World Day Against Child Labour: बच्चों की तस्करी पर लगे रोक, सरकार लाए एंटी ट्रैफिकिंग बिल

बालश्रम या बाल मजदूरी (Child Labour) समाज के लिए अभिशाप की तरह है। समय-समय पर इसके खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं लेकिन क्या वाकई बच्चों का भला हो पा रहा है। 
 

नई दिल्ली. 12 जून को वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य बाल श्रम को रोकना है। इस वर्ष यह दिवस मनाने से पहले रेस्क्यू किए गए बच्चों को फिर से बसाने की मांग उठी है। साथ ही यह मांग भी की गई है कि रेस्क्यू किए जाने वाले बच्चों के लिए आवासीय स्कूल बनाए जाएं। बच्चों के वेलफेयर के लिए बजट में भी विशेष प्रबंध किए जाएं।

बच्चों का हो बेहतर पुनर्वास
शुक्रवार को राजनधानी दिल्ली में कैलाश सत्यार्थी फाउंडेशन व बचपन बचाओ आंदोलन के तत्वाधान में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका थीम- नेशनल कंसल्टेशन आन द इरेडिकेशन आफ चाइल्ड लेबर बाई 2025 था। इस कार्यक्रम में कुछ ऐसे यंग लीडर्स को सम्मानित किया गया, जिन्हें बचपन में जबरन मजदूरी करने पर विवश किया गया था। इन युवाओं ने बच्चों के रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन की मांग की है। उन्होंने कहा कि जो बच्चे बाल मजदूरी के दलदल से बचाए जा रहे हैं, उन्हें रेजिडेंशियल स्कूलों में रखा जाना चाहिए, ताकि वे पढ़ सकें और उन्हें हर मौके मिलें। 

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इस योजना का दिया सुझाव
कार्यक्रम के दौरान सरकार को एक सुझाव दिया गया है। इसके तहत देश के सभी 749 जिलों को नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट स्कीम से जोड़ा जाए। ताकि इफेक्टिव मानिटरिंग और बच्चों को योजनाओं को लाभ मिले। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के विदिशा में रहने वाले सुरजीत लोधी को सम्मानित किया गया। 18 वर्षीय सुरजीत अपने गांव में बच्चों को शिक्षा के लिए मदद करते हैं। उनकी इस पहल के अच्छे परिणाम भी सामने आए हैं। यही कारण है कि इन्हें 2021 में प्रतिष्ठित डाइना अवार्ड से सम्मानित किया गया था। नशे के खिलाफ उनके अभियान और बच्चों को शिक्षा के लिए प्रेरित करने का अन्य बच्चों पर बेहद सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है।

कानून का सख्ती से हो पालन
उन्होंने कहा कि चाइल्ड लेबर के खिलाफ मौजूदा कानून का सख्ती से पालन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को जल्द ले जल्द एंटी ट्रैफिकिंग बिल पेश करना चाहिए क्योंकि ज्यादातर बच्चों के मजदूरी करने के लिए तस्करी की जाती है। कार्यक्रम में जिन युवाओं को सम्मानित किया गया उनमें से 5 राजस्थान के रहने वाले हैं। इनमें से अमर लाल, तारा बंजारा और राजेश जाटव ने डरबन में आयोजित इंटरनेशनल लेबर आर्गनाइजेश में भारत का प्रतिनिधित्व किया. जिसमें चाइल्ड लेबर को जड़ से खत्म करने पर चर्चा की गई।

कौन है तारा बंजारा
17 साल की तारा बंजारा राजस्थान के अलवर जिले में निमदी की रहने वाली हैं। तारा का पूरा बचपन सड़क बनाने की मजदूरी करते बीता है। लेकिन इस समय वे अपनी बैचलर डिग्री पूरी करने वाली हैं और तारा का सपनी पुलिस आफिसर बनने का है। 21 साल के राजेश जाटव भरतपुर जिले के अकबरपुर गांव के रहने वाले हैं। राजेश को 8 साल की उम्र में एक ईंट भट्ठे से रेस्क्यू किया गया था। बाद में इन्हें बाल आश्रम में रखा गया। सही पुनर्वास होने के कारण राजेश इस समय दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर रहे हैं। इसी तरह कई बच्चे हैं जिनको बेहतर रिहैबिलिटेशन मिला और आज वे कामयाबी की नई इबारत लिख रहे हैं।

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