भारत बनाम इंडिया: क्या देश के दोनों नामों को एक दूसरे से रिप्लेस कर इस्तेमाल किया जा सकता

सवाल यह कि क्या INDIA नाम की जगह पर Bharat नाम को इस्तेमाल किया जा सकता है। रिपब्लिक ऑफ इंडिया की जगह रिपब्लिक ऑफ भारत प्रचलन में बिना किसी संशोधन के लाया जा सकता है?

 

INDIA Vs Bharat row: भारत बनाम इंडिया को लेकर बहस शुरू हो चुका है। इंडिया नाम को रिप्लेस करते हुए केंद्र सरकार ने भारत नाम का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। ताजा मामला, जी20 के अधिकारियों के लिए बन रहे आई कार्ड और प्रेसिडेंट द्रौपदी मुर्मू की ओर से मेहमानों को भेजे गए निमंत्रण पत्र का है। विपक्ष, इंडिया की जगह पर भारत का नाम इस्तेमाल करने पर हमलावर है। सवाल यह कि क्या इंडिया नाम की जगह पर भारत नाम को इस्तेमाल किया जा सकता है। रिपब्लिक ऑफ इंडिया की जगह रिपब्लिक ऑफ भारत प्रचलन में बिना किसी संशोधन के लाया जा सकता है?

क्या कहते हैं संविधान विशेषज्ञ?

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दरअसल, संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा गया है: 'इंडिया, दैट इज़ भारत'...लेकिन यह केवल वर्णन के लिए उपयोग में लाया गया है। दोनों का परस्पर उपयोग नहीं किया जा सकता है। संविधान विशेषज्ञ पी डी टी आचार्य ने कहा कि भारत गणराज्य के नाम को इस्तेमाल करने के लिए या किसी भी बदलाव के लिए कई संशोधनों की आवश्यकता होगी। उनकी टिप्पणी 'भारत के राष्ट्रपति' के नाम से जारी किए गए जी20 रात्रिभोज निमंत्रण के बाद आई है।

देश के नाम पर वर्तमान स्थिति में बदलाव लाने के लिए क्या करना होगा?

पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि इसके लिए संविधान में संशोधन करना होगा। अनुच्छेद 1 बदलना होगा और फिर अन्य सभी आर्टिकल्स में परिवर्तन करने होंगे। उन्होंने बताया कि जहां भी इंडिया (India) नाम का उपयोग किया जाता है, वहां नाम को परिवर्तित करना होगा। आप देश के लिए केवल एक ही नाम रख सकते हैं। दो नाम एक दूसरे की जगह नहीं ले सकते, इससे न केवल भारत में बल्कि बाहर भी बहुत भ्रम पैदा होगा।

संयुक्त राष्ट्र में नाम बदलवाने के लिए करना होगा संविधान में संशोधन

आचार्य ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में भारत का नाम रिपब्लिक ऑफ इंडिया है और कल को अगर इसे रिपब्लिक ऑफ भारत लिखना है तो संविधान में संशोधन करना होगा। यही नहीं, संविधान संशोधन के बाद दुनिया के सभी देशों को यह मैसेज भेजना होगा कि हमारा नाम बदल दिया गया है। नाम को लेकर जो भी परिवर्तन करना है, उसके लिए संविधान में संशोधन करके लाना होगा अन्यथा इंडिया का नाम सिर्फ इंडिया ही रहेगा। क्योंकि अनुच्छेद 1 में लिखा गया इंडिया दैट इज़ भारत केवल वर्णनात्मक है, ऐसा नहीं है कि ये दोनों नाम आपस में बदलकर एक दूसरे की जगह पर जब चाहा इस्तेमाल किया जा सकेगा। एक देश के लिए केवल एक ही नाम होता है।

तो 18 सितंबर का विशेष सत्र, देश के नाम परिवर्तन के लिए?

संविधान विशेषज्ञों की मानें तो भारत नाम का इस्तेमाल, आधिकारिक तौर पर करने के लिए संविधान संशोधन करना ही होगा अन्यथा रिपब्लिक ऑफ इंडिया ही कानूनी तौर पर इस्तेमाल होगा। तो अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार, संविधान संशोधन करने जा रही। 18 सितंबर को बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में उन अटकलों को बदल मिल रहा है जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि पांच दिवसीय संसद सत्र के दौरान इंडिया को भारत नाम में परिवर्तित करने के लिए सदन में प्रस्ताव लाया जाएगा।

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