कर्नाटक में बारिश की कमी से चलते जल संकट है। हालांकि, इसके बाद भी तमिलनाडु ने अपने पानी के हिस्से में कोई कमी नहीं करने पर जोर दिया।
Cauvery Water dispute: कावेरी जल विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिया है। कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है। प्राधिकरण ने कर्नाटक में बारिश की कमी को देखते हुए कर्नाटक को 5000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को छोड़ने का आदेश दिया था। यह पानी 15 दिनों में कर्नाटक को देना होगा।
दरअसल, कर्नाटक में बारिश की कमी से चलते जल संकट है। हालांकि, इसके बाद भी तमिलनाडु ने अपने पानी के हिस्से में कोई कमी नहीं करने पर जोर दिया। दोनों पक्ष इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। दोनों राज्यों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु को अगले 15 दिनों के लिए 5,000 क्यूसेक पानी जारी करने के पक्ष में फैसला सुनाया।
कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि भविष्य के फैसले पानी की उपलब्धता पर निर्भर होंगे। कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण को मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए हर 15 दिनों में मीटिंग्स आयोजित करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गवई ने दोनों राज्यों द्वारा प्राधिकरण के आदेशों का अनुपालन करने के महत्व पर जोर दिया।
सूखा से ग्रस्त है कर्नाटक
कर्नाटक को पानी छोड़ने का निर्णय सूखा, अपर्याप्त वर्षा और जलाशयों में कम हुए वॉटर लेवल की वजह से लिया गया है। जल और कृषि विशेषज्ञों से बनी कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और कावेरी जल नियंत्रण समिति ने अपनी सिफारिशों में इन कारकों को प्राथमिकता दी।
सुप्रीम कोर्ट ने इन समितियों के भीतर कर्नाटक की विशेषज्ञता को मान्यता दी। राज्य से वर्तमान वास्तविकता को समझने का आग्रह किया। मेकेदातु जलाशय के निर्माण और संबंधित मामलों पर सुनवाई स्थिति का और आकलन होने तक दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी गई।
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