अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले के बाद CBI की यूपी, राजस्थान व बंगाल में 42 जगहों पर रेड

Published : Jul 05, 2021, 11:32 AM ISTUpdated : Jul 05, 2021, 11:48 AM IST
अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट में घोटाले के बाद CBI की यूपी, राजस्थान व बंगाल में 42 जगहों पर रेड

सार

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेशा यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट में हुए घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने सोमवार को 42 जगहों पर छापामार कार्रवाई की है।

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में सीबीआई की टीम ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। सोमवार को सीबीआई ने गोमती नदी के किनारे बने रिवर फ्रंट यानी गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में गाजियाबाद, लखनऊ और आगरा में 42 जगहों पर छापा मारा है। बता दें कि यह प्रोजेक्ट पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का ड्रीम रहा है।

यूपी में 40 जगहों सहित राजस्थान और बंगाल में भी छापा
सीबीआई ने अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री काल के दौरान गोमती नदी परियोजना में कथित भ्रष्टाचार को लेकर मामला दर्ज किया था। इसी को लेकर सोमवार को यूपी के 40, जबकि राजस्थान और पश्चिम बंगाल में एक-एक जगहों पर छापा मारा गया। यह करीब 1500 करोड़ रुपए का घोटाला बताया जाता है। इसमें मामले में सीबीआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय(ED) भी मनी लॉन्ड्रिंग के तहत जांच कर रही है। योगी सरकार ने 3 साल पहले इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति दी थी।

190 आरोपी हैं इस घोटाले में
इस घोटाले में शुक्रवार को ही सीबीआई ने 190 लोगों पर मामला दर्ज किया है। यूपी के लखनऊ, नोयडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा आगरा आदि में छापा मारा गया है। उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार बनते ही इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया था। यह प्रोजेक्ट शुरू से ही घोटाले को लेकर विवादों में रहा है।

विधानसभा चुनाव से पहले छापे से हलचल बढ़ी
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। इससे पहले इन छापों से राजनीति हलचल बढ़ गई है। दरअसल, यूपी के चुनाव में सपा पूरी दमखम के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।

यह है पूरा मामला
लखनऊ में गोमती रिवर फ्रंट के लिए अखिलेश यादव की सपा सरकार ने 1513 करोड़ मंजूर किए थे। लेकिन इसमें 1437 करोड़ रुपए जारी होने के बावजूद सिर्फ 60% काम पूरा किया जा सका था। योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद इस मामले की न्यायिक जांच शुरू हुई। जांच में सामने आया कि एक डिफाल्टर कंपनी का ठेका देने के मकसद से टेंडर की शर्तें तक बदल दी गई थीं। इसके लिए 800 टेंडर निकाले गए थे, लेकिन इसका अधिकार चीफ इंजीनियर के पास था। इस मामले की जांच मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में कराई गई थी। इसमें कई खामियां सामने आने के बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।

इन पर घोटाले का आरोप
इस मामले में 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाने में 8 लोगों के खिलाफ सबसे पहले मामला दर्ज किया गया था। नवंबर 2017 में EOW ने भी जांच शुरू की थी। दिसंबर 2017 में मामला CBI को सौंपा गया। शुरुआत में सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर गोलेश चन्द्र गर्ग, एसएन शर्मा, काजिम अली, शिवमंगल सिंह, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव, सुरेन्द्र यादव के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।

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