बिलकिस बानो से बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के दोषी 11 लोगों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकार रिहाई से जुड़ी फाइलें कोर्ट में पेश करने पर सहमत हो गई हैं।
नई दिल्ली: 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो से बलात्कार और उसके परिवार की हत्या के दोषी 11 लोगों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई आज स्थगित कर दी गई। मामले में अगली सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी। मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने केंद्र और गुजरात सरकार से कहा कि वे दोषियों की रिहाई के संबंध में दस्तावेज पेश करेंगे।
पीठ ने कहा कि समयसीमा निर्धारित करने के निर्देश के लिए वह नौ मई को मामले को सूचीबद्ध करेगी ताकि गर्मी की छुट्टी के बाद अदालत खुलने पर मामले की फिर से सुनवाई हो सके। गौरतलब है कि मामले की सुनवाई के लिए नई बेंच भी बनेगी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार को दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें न दिखाने पर फटकार लगाई। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि आप चाहते ही नहीं है कि बेंच इस मामले पर सुनवाई करे।
गुजरात सरकार ने फाइलें कोर्ट में पेश करने पर सहमति जताई
उन्होंने कहा कि 19 जून को मैं रिटायर हो जाऊंगा। उस दौरान मैं छुट्टी पर रहूंगा, इसलिए मेरा लास्ट वर्किंग-डे 19 मई है। हमने पहली ही यह साफ कर दिया था कि मामले को निपटारे के लिए सुना जाएगा। आप केस जीत सकते हैं या हार हार सकते हैं, लेकिन कोर्ट के प्रति अपने कर्तव्य को मत भूलना। इसके बाद केंद्र-गुजरात सरकार ने 11 दोषियों की रिहाई से जुड़ी फाइलें कोर्ट में पेश करने पर सहमति जताई है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप को भयानक कृत्य बताया
इससे पहले मार्च में हुई एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप और उसके परिवार की हत्या को एक "भयानक" कृत्य करार दिया था। कोर्ट ने गुजरात सरकार से यह भी पूछा था कि क्या उसने 11 दोषियों को छूट देते समय हत्या के अन्य मामलों में समान मानकों को लागू किया था।अदालत ने कहा था, "जैसे आप सेब की तुलना संतरे से नहीं कर सकते, वैसे ही नरसंहार की तुलना एक हत्या से नहीं की जा सकती... आज बिलकिस है, लेकिन कल कोई औऱ भी हो सकता है। यह आप या मैं हो सकते हैं।"
बिलकिस बानो ने दी थी गुजरात सरकार के फैसले को चुनौती
बता दें कि बिलकिस बानो ने पिछले साल नवंबर में गुजरात सरकार द्वारा 11 दोषियों की "समय से पहले" रिहा करने के फैसले को सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उसने अपनी याचिका में कहा था कि उनकी सजा में छूट ने "समाज की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है"।