भारत-म्यांमार सीमा पर क्यों लगाई जाएगी बाड़? गृह मंत्री ने घुसपैठ को लेकर कही सबसे बड़ी बात

Published : Jan 21, 2024, 05:00 AM IST
amit shah

सार

म्यांमार में चल रहे जातीय संघर्षों की वजह से वहां लोग काफी संख्या में बॉर्डर क्रॉस करके भारत में एंट्री करते हैं। यह समस्या इन दिनों काफी ज्यादा बढ़ गई है। इस पर केंद्र सरकार ने फैसला लिया है। 

India-Myanmar Border. भारत और म्यांमार के बीच सीमा पार से लोगों का आसानी से आना-जाना होता है। मौजूदा समय में म्यांमार में जातीय संघर्ष जारी है, जिसकी वजह से वहां के लोग सीमा पार करके भारत में एंट्री कर जाते हैं। ऐसे में भारतीय सरकार ने प्लानिंग की है कि अब सीमा पर बाड़ लगाई जाएगी, ताकि इस तरह से आने वालों पर लगाम लगाई जा सके और अपनी सीमा को भी सुरक्षित किया जा सके।

गृहमंत्री अमित शाह ने किया ऐलान

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि भारत में मुक्त आवाजाही को प्रतिबंधित करने के लिए भारत म्यांमार से लगी सीमा पर बाड़ लगाएगा। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब बड़ी संख्या में म्यांमार के सैनिक जातीय संघर्षों से बचने के लिए भारत की ओर भाग रहे हैं। अमित शाह ने असम पुलिस कमांडो की पासिंग आउट परेड में कहा कि म्यांमार के साथ भारत की सीमा को बांग्लादेश के साथ सीमा की तरह संरक्षित किया जाएगा।

म्यांमार के सैनिक भारत में घुसे

पिछले तीन महीनों में म्यांमार सेना के लगभग 600 सैनिक भारत में घुस आए हैं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि पश्चिमी म्यांमार राज्य रखाइन में एक जातीय सशस्त्र समूह अराकन आर्मी (एए) के उग्रवादियों द्वारा उनके शिविरों पर कब्जा करने के बाद उन्होंने मिजोरम के लांग्टलाई जिले में शरण ली है। सीमा पर बाड़ लगाकर भारत दोनों देशों के बीच फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) को खत्म कर देगा। सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को जल्द ही दूसरे देश में प्रवेश के लिए वीजा की आवश्यकता होगी। एफएमआर को 1970 के दशक में लाया गया था क्योंकि भारत-म्यांमार सीमा पर रहने वाले लोगों के बीच पारिवारिक और जातीय संबंध हैं।

 

 

अक्टूबर में शुरू हुए म्यांमार में जातीय संघर्ष

अक्टूबर के अंत में तीन जातीय अल्पसंख्यक बलों द्वारा हमले शुरू कर दिए। म्यांमार के कुछ कस्बों और सैन्य चौकियों पर कब्जा करने और सैनिकों को भागने के लिए मजबूर करने के बाद 2021 के तख्तापलट में सत्ता पर कब्जा करने के बाद से म्यांमार के जनरलों को अपनी सबसे बड़ी परीक्षा का सामना करना पड़ रहा है।

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