ISRO अधिकारी का चौंकाने वाला खुलासा, कहा- 'विक्रम लैंडर ने जो किया वह प्लान में नहीं था'

इसरो के अधिकारी ने दावा किया है कि चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर ने जिस तरह से चंद्रमा की सतह पर उछल-कूद की, वह हमारे प्लान का हिस्सा नहीं था।

 

ISRO Chandrayaan-3. चंद्रमा की सतह पर विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान के फिर से एक्टिव होने की उम्मीदों के बीच इसरो के परियोजना निदेशक पी वीरमुथुवेल ने कहा है कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर ने जिस तरह से चंद्रमा की सतह पर उछल कूद की थी, वह हमारे प्लान का हिस्सा नहीं था। पी वीरमुथुवेल ने कहा कि चंद्रमा पर हॉप प्रयोग कर रहा विक्रम लैंडर हमारे प्लान में नहीं था और वह अपने मिशन के उद्देश्यों से भी आगे निकल गया।

23 अगस्त 2023 को हुई लैंडिंग

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बीते 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान 3 ने ऐतिहासिक लैंडिंग की। चंद्रयान के विक्रम लैंडर को चंद्रमा के वातावरण का अध्यय करने के लिए डिजाइन किया गया है। चंद्रमा की सतह पर अंधेरा होने और मौसम ठंडा होने से पहले विक्रम लैंडर और रोवर प्रज्ञान ने 14 दिनों तक कई तरह के प्रयोग किए। वीरमुथुवेल ने कहा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर 14 दिवसीय रिसर्च के दौरान ढेर सारा डाटा भेजा। उन्होंने कहा कि कमांड मिलने के बाद विक्रम लैंडर ने अपने इंजन चालू किए। फिर उम्मीद के मुताबिक खुद को लगभग 40 सेंटीमीटर तक ऊपर उठाया और शिव शक्ति प्वाइंट के अपने मूल स्थान से 30-40 सेंटीमीटर की दूरी तक सुरक्षित गया। इस दौरान उसने कुछ उछलकूद (हॉप) किया, जो हमारे प्लान में नहीं था। इससे यह उम्मीद बनती है कि भविष्य में ऐसा मिशन विकसित किया जा सकता है, जो चंद्रमा की सतह के नमूने वापस ला सके। यह संभव होगा तो हम भविष्य में मानव मिशन की भी उम्मीद कर सकते हैं।

चंद्रमा पर सूर्यास्त के बाद से कोई हलचल नहीं

इसरो अधिकारी ने कहा कि चंद्रमा पर सूर्यास्त होने पर विक्रम और प्रज्ञान की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा इस उम्मीद में कई प्रयास किए जा रहे हैं कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की रात खत्म होने पर फिर से एक्टिव होंगे। हालांकि अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। लेकिन विक्रम लैंडर और रोवर ने जितना भी रिसर्च किया है, वह सराहनीय है। जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रमा की 1 रात धरती के 14 रातों के बराबर होता है। फिलहाल रोवर को एक्टिव करने के सभी प्रयासों का अंत होता दिख रहा है क्योंकि 30 सितंबर को शिव शक्ति प्वाइंट पर सूरज की रोशनी कम होने लगी है।

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