सितंबर तक आ सकती है बच्चों की वैक्सीन, हमें दोनों डोज लेने के बाद होगी बूस्टर डोज की जरूरत

इस समय 2 साल से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए COVAXIN का II और III चरण के परीक्षण चल रहे हैं। उम्मीद है कि बहुत जल्द परिणाम सामने आने वाले हैं।

नई दिल्ली. पुणे की ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में पिछले एक साल से कोरोना के खिलाफ युद्धस्तर पर काम चल रहा है। ICMR-एनआईवी की निदेशक प्रिया अब्राहम ने कहा- 2021 हमारे लिए एक कठिन लेकिन पुरस्कृत करने वाला साल है। जो देश में SARS-CoV-2 पर वैज्ञानिक रिसर्च में सबसे आगे रही है। महामारी और वैक्सीन को लेकर पूछे जाने वाले कई सवालों के जवाब उन्होंने दिए। आइए जानते हैं कोविड-19 से जुड़े कुछ नए सवाल और उनके जवाब।

इसे भी पढ़ें- भारत में वैक्सीनेशन 57.88 करोड़ डोज के पार, रिकवरी 97.52% के साथ मार्च 2020 के बाद से सबसे अधिक

Latest Videos


सवाल-हम कब तक बच्चों के लिए वैक्सीन की उम्मीद कर सकते हैं? Covaxin का ट्रायल किस चरण में है। 
जवाब-
इस समय 2 साल से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए COVAXIN का II और III चरण के परीक्षण चल रहे हैं। उम्मीद है कि बहुत जल्द परिणाम सामने आने वाले हैं। औऱ इन परिणामों को प्रस्तुत किया जाएगा। इसलिए, सितंबर तक या उसके ठीक बाद, हमारे पास बच्चों के लिए COVID-19 के टीके हो सकते हैं। इसके अलावा जायडस कैडिला की वैक्सीन का भी ट्रायल चल रहा है।

सवाल- इनके अलावा और कौन से टीके हमारे नागरिकों के लिए उपलब्ध कराए जा सकते हैं?
जवाब-
Zydus Cadila का वैक्सीन पहला DNA वैक्सीन होगा जो इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगा। इसके अलावा, जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड का एम-आरएनए वैक्सीन, बायोलॉजिकल-ई वैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का नोवोवैक्स और, एक और दिलचस्प है - भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड द्वारा विकसित एक इंट्रा-नासल वैक्सीन। इस टीके को जैब की आवश्यकता नहीं है और इसे नोजल के माध्यम से दिया जा सकता है। 

इसे भी पढ़ें-  कोरोना की तीसरी लहर से जुड़ी बड़ी खबर, ICMR ने बताया कहां होगा वायरस का सबसे कम असर


सवाल- क्या वर्तमान में उपलब्ध कोई भी टीका डेल्टा-प्लस वैरिएंट पर प्रभावी होगा?
जवाब-
सबसे पहले, डेल्टा-प्लस वैरिएंट के डेल्टा वैरिएंट की तुलना में फैलने की संभावना कम है। मुख्य रूप से डेल्टा वैरिएंट 130 से अधिक देशों में मौजूद है। यह पूरी दुनिया में फैल गया है। एनआईवी में हमने इस वैरिएंट पर अध्ययन किया है। हमने टीके लगाने वाले लोगों के शरीर में बनने वाले एंटीबॉडी का अध्ययन किया है और इसकी जांच की है। यह पाया गया है कि इस प्रकार के प्रति एंटीबॉडी की प्रभावकारिता दो से तीन गुना कम हो गई है। फिर भी, टीके अभी भी वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षात्मक हैं। बीमारी के गंभीर रूपों को रोकने के लिए टीके बहुत महत्वपूर्ण हैं।  बीमारी के कारण  रोगी अस्पताल में भर्ती हो सकते हैं और उनकी मृत्यु भी हो सकती है इसलिए, वैरिएंट जो भी हो, वैक्सीन अब तक सभी के लिए सुरक्षात्मक है, जिसमें डेल्टा वैरिएंट भी शामिल है। इसलिए किसी भी तरह की कोई झिझक नहीं होनी चाहिए।

सवाल- क्या आने वाले समय में हमें बूस्टर डोज की जरूरत होगी? क्या इस मामले में कोई अध्ययन किया जा रहा है?
जवाब-
बूस्टर डोज पर विदेशों में स्टडी चल रही है। बूस्टर डोज के लिए कम से कम सात अलग-अलग टीकों की कोशिश की गई है। WHO ने इसे तब तक के लिए रोक दिया है जब तक कि अधिक देश टीकाकरण नहीं कर लेते। ऐसा इसलिए है क्योंकि उच्च आय और निम्न आय वाले देशों के बीच एक वैक्सीन का अंतर है। लेकिन, भविष्य में बूस्टर के लिए सिफारिशें जरूर आएंगी।

सवाल- क्या वैक्सीन के मिक्स एंड मैच के लिए भी स्टडी हो रही है? क्या यह हमारे लिए फायदेमंद होगा?
जवाब-
एक ऐसी स्थिति थी जहां अनजाने में दो अलग-अलग टीके की डोज दी गई थी। हमने एनआईवी में उन सैंपलों का परीक्षण किया और पाया कि जिन रोगियों को दो डोज में अलग-अलग टीके मिले, वे सुरक्षित थे। कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया और इम्युनोजेनेसिटी थोड़ी बेहतर थी। तो, यह निश्चित रूप से ऐसा कुछ नहीं है जो सुरक्षा समस्या का कारण बने। हम इस घटना की स्डटी कर रहे हैं और कुछ दिनों में और अधिक विवरण देने में सक्षम होंगे।

इसे भी पढ़ें- खुद को नुकसान पहुंचाने वाले युवाओं में दर्द सहने की क्षमता अधिक, सुसाइड मौत का एक बड़ा कारण: रिसर्च

सवाल- क्या कोई नई COVID-19 की टेस्टिंग पद्धति सामने आई है जो बेहतर परिणाम देती है और जिस पर अधिक भरोसा किया जा सकता है?
जवाब-
दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में मामलों से अस्पताल और प्रयोगशालाएं थीं। उनके कई कर्मचारी संक्रमित थे। इसलिए, उस दौरान टेस्टिंग कम हो गई थीं। इन सभी ने परीक्षण की प्रभावकारिता को प्रभावित किया। आरटी-पीसीआर परीक्षण विधि अपने आप में केवल लगभग 70% संवेदनशील है। लेकिन फिर भी डब्ल्यूएचओ द्वारा इसकी सिफारिश की जाती है। लेकिन, भविष्य में हम आसान और तेज 'प्वाइंट-ऑफ-केयर' परीक्षण देख सकते हैं जहां हमें प्रयोगशाला में नमूने भेजने की आवश्यकता नहीं है।

सवाल- क्या यह संभव है कि कोई दूसरी लहर न आए?
जवाब-
नए वेरिएंट आते रहेंगे। लेकिन हम ठीक से मास्क पहनकर और सभी को वैक्सीनेशन के लिए प्रोत्साहित करके इससे बच सकते हैं। फिर लहर भी आए, तो बड़ी बात नहीं होगी।

 

सवाल- भीड़-भाड़ वाली जगहों की कई तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं। इस तरह के गैरजिम्मेदाराना रैवये से कितना नुकसान हो सकता है?
जवाब-
निश्चित रूप से, यह एक समस्या होगी और हम अगली लहर के लिए एक बुलावा है। WHO के DG डॉ. टेड्रोस ए. घेब्रेयुसस ने कहा कि “जब हम इसे खत्म करने का फैसला करेंगे तो महामारी खत्म हो जाएगी। यह हमारे हाथ में है।" इसका मतलब है कि हमें सावधान रहना होगा। विशेष रूप से आने वाले त्योहारों के मौसम में, हमें भीड़ में शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि इस तरह से वायरस फैलेगा।

सवाल- क्या मानसून के दौरान COVID-19 संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है?
जवाब-
जी हां, डेंगू, चिकनगुनिया और जीका वायरस जैसे वायरल संक्रमण जो मच्छरों के काटने से फैलते हैं, मानसून के दौरान बढ़ने वाले हैं। इसके लिए जमा पानी को आसपास नहीं रखना चाहिए क्योंकि उसमें मच्छर पनपते हैं। मच्छरों के काटने से फैलने वाले इन संक्रमणों के ऊपर कोरोना का संक्रमण होना और भी बुरा होगा।

इसे भी पढ़ें- Big Decision, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-लड़कियां दे सकती हैं NDA का एग्जाम, एडमिशन पर फैसला बाद में होगा

सवाल- क्या बर्ड-फ्लू या जीका वायरस से संक्रमित लोग SARS-CoV-2 संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील हो सकते हैं?
जवाब-
इसका जवाब देते हुए WHO के DG ने कहा- बर्ड फ्लू और जीका वायरस का कोरोना वायरस से कोई संबंध नहीं है। लेकिन HINI बर्ड फ्लू या स्वाइन फ्लू वायरस और SARS-CoV-2 के बीच एक समानता यह है कि उनके संक्रमण को मास्क पहने, सोशल डिस्टेंसिंग, हाथों की सफाई और खांसी के शिष्टाचार से रोका जाता है। ये सभी वायरस सांस के जरिए फैलते हैं। इस प्रकार, COVID प्रोटोकॉल का पालन करके हम इन सभी वायरस के प्रसार को सीमित कर सकते हैं। हालांकि जीका वायरस मच्छर के काटने से फैलता है।

सवाल- सेल्फ टेस्टिंग किट भी अब बाजारों में आ गई है। क्या यह परीक्षण को और गति देगा?
जवाब-
सेल्फ टेस्टिंग किट एंटीजन टेस्ट किट हैं और इसलिए, उनकी संवेदनशीलता आरटी-पीसीआर से कम है। लक्षण वाले मरीजों में संवेदनशीलता अधिक होने की संभावना है। लेकिन, बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए संवेदनशीलता कम होगी।

सवाल- ICMR का विकसित RT-LAMP टेस्ट क्या है?
जवाब-
ICMR का बनाया हुआ RT-LAMP परख एक लागत प्रभावी परख है। इसके लिए महंगे उपकरण या व्यापक प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है और इसे जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी किया जा सकता है। इस प्रकार के त्वरित और तेज परीक्षण जो तकनीकी रूप से इतने उन्नत स्थानों में नहीं किए जा सकते, भविष्य में और अधिक लोकप्रिय हो जाएंगे।
 

Share this article
click me!

Latest Videos

पनवेल में ISKCON में हुआ ऐसा स्वागत, खुद को रोक नहीं पाए PM Modi
कागजों पर प्लान, सिर्फ ऐलान... क्यों दिल्ली-NCR को नहीं मिल रही धुआं-धुआं आसमान से मुक्ति?
वोटिंग के बीच नरेश मीणा ने SDM को ही मार दिया थप्पड़, जानें वायरल वीडियो का पूरा सच
फर्स्ट टाइम तिरुपति बालाजी के दरबार पहुंचे Arvind Kejriwal, बताया क्या मांगी खास मन्नत
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल