भारत-चीन संबंध: नई दिल्ली क्यों पहुंचे चाइनीज डिफेंस मिनिस्टर ली शांगफू, 10 देशों के रक्षा मंत्रियों का क्या है मेन एजेंडा?

चीन के रक्षा मंत्री ली शांगफू (Chinese Defence Minister Li Shangfu) का दिल्ली आगमन हो चुका है। वे शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित होने वाली शंघाई कूपरेशन ऑर्गनाइजेश के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे।

 

Chinese Defence Minister Arrives Delhi. चीन के रक्षा मंत्री ली शांग फू दिल्ली में होने वाली एक बड़ी बैठक में शामिल होने के लिए भारत पहुंच चुके हैं। शुक्रवार यानी 28 अप्रैल को दिल्ली में शंघाई कूपरेशन ऑर्गनाइजेश (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक का आयोजन किया जाएगा। इस मीटिंग के अलावा वे भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ द्विपक्षीय वार्ता में भी शामिल रहेंगे।

भारत पहुंचे चीनी रक्षा मंत्री- गलवान मामले के बाद पहला दौरा

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भारत और चीन के बीच गलवान घाटी हादसे के बाद चीनी रक्षा मंत्री का यह पहला भारत दौरा है। भारत और चीन के बीच हाल ही में इंडिया-चाइना कमांडर लेवल की 18वीं मीटिंग हुई है। चाइना की तरफ चुशूल-मोल्दो साइट पर यह बैठक की गई है। कमांडर लेवल की 18वीं मीटिंग के दौरान भारत और चीन एलएसी के पश्चिमी सेक्टर में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर राजी हुए हैं। यह मीटिंग 5 महीने के अंतराल के बाद आयोजित की गई। दोनों देशों के बीच कमांडर लेवल की अंतिम बैठक इससे पहले दिसंबर 2022 में आयोजित की गई थी।

भारत और रूस के रक्षा मंत्रियों की होगी मुलाकात

इस बीच यह भी खबर है कि भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोएगू से भी मुलाकात करेंगे। दोनों नेताओं के बीच दिसंबर 2021 में टू प्लस टू मिनिस्टिरियल डॉयलाग का आयोजन किया गया। तब रूस के रक्षा मंत्री ने भारत का दौरा किया था। रिपोर्ट्स की मानें तो भारतीय रक्षा मंत्री एससीओ मीटिंग के दौरान क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के साथ काउंटर टेरेरिज्म जैसे मुद्दे पर एससीओ रक्षा मंत्रियों के साथ बात करेंगे। 2023 में भारत एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है जिसकी थीम है- सेक्योर एससीओ।

क्या है शंघाई कूपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO)

शंघाई कूपरेशन ऑर्गेनाइजेशन की स्थापना 2001 में हुई थी। यह इंटरगवर्मेंटल ऑर्गनाइजेशन है। एससीओ के सदस्य देशों में कजाकिस्तान, चीन, किर्गीस्तान, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उजबेकिस्तान और भारत हैं। इन सदस्य देशों के अलावा बेलारूस और ईरान ऑब्जर्वर देश हैं और उनके विदेश मंत्री भी मीटिंग में शामिल होंगे।

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