तमिलनाडु के श्रीपेरमबुदुर में चुनावी अभियान के दौरान LTTE (Liberation Tigers of Tamil Eelam ) की आत्मघाती महिला हमलावर धनु ने राजीव गांधी की 21 मई 1991 को हत्या कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या की साजिश में शामिल 26 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी।
Rajiv Gandhi assassination case: राजीव गांधी हत्याकांड के आरोपियों की रिहाई के खिलाफ कांग्रेस भी सुप्रीम कोर्ट जाएगी। कांग्रेस ने एपेक्स कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है। कांग्रेस इसी सप्ताह रिव्यू पेटीशन डालेगी। उधर, कांग्रेस की आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने इस मामले में दोषियों की समय से पहले रिहाई के अपने आदेश की समीक्षा के लिए पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
कांग्रेस इसी सप्ताह जाएगी कोर्ट
कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पार्टी, राजीव गांधी हत्याकांड के छह दोषियों को रिहा करने के अपने आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका दायर करेगी। याचिका इस सप्ताह दायर की जाएगी। उन्होंने बताया कि आदेश में निर्धारित आधार पर दोषियों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए एक नया समीक्षा आवेदन अगले कुछ दिनों में पार्टी की ओर से दायर किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इन लोगों को किया गया रिहा
राजीव गांधी की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरण, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार और रॉबर्ट पॉयस को सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवम्बर को रिहा करने का आदेश दिया था। इससे पहले मई में सुप्रीम कोर्ट पेरारिवलन को पहले ही रिहा कर चुकी है। जिस समय नलिनी को पकड़ा गया था, तब वो दो महीने की गर्भवती थी। यह जानकर सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था।
26 दोषियों को मौत की सजा
21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरमबुदुर में चुनावी अभियान के दौरान LTTE (Liberation Tigers of Tamil Eelam ) की आत्मघाती महिला हमलावर धनु ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। ट्रायल कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या की साजिश में शामिल 26 दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी। हालांकि, मई 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने 19 आरोपियों को बरी कर दिया था। जबकि 4 आरोपियों (नलिनी, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, संथन और पेरारिवलन) की मौत की सजा बरकरार रखी थी। जबकि रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार की मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी थी। इन की दया याचिका पर तमिलनाडु के राज्यपाल ने नलिनी की मृत्युदंड को उम्रकैद में बदला था। लेकिन बाकी आरोपियों की दया याचिका 2011 में राष्ट्रपति ने ठुकरा दी थी।
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