Covid 19 Third Wave: बच्चों को Omicron से बचाने के लिए रखें ये सावधानी

कोरोना के खतरे को देखते हुए 15-18 साल के बच्चों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया गया है, लेकिन 15 साल से कम उम्र के बच्चे अभी भी कोरोना के खतरे के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।

नई दिल्ली। देश में कोरोना की तीसरी लहर (Covid 19 Third Wave) ने दस्तक दे दी है। वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) के चलते खतरा और बढ़ गया है। कोरोना के खतरे को देखते हुए 15-18 साल के बच्चों के लिए टीकाकरण (Corona Vaccination) शुरू कर दिया गया है, लेकिन 15 साल से कम उम्र के बच्चे अभी भी कोरोना के खतरे के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं। आईआईटी कानपुर (Indian Institute of Technology, Kanpur) में किए गए अध्ययन के अनुसार देश में फरवरी 2022 तक ओमिक्रॉन का पीक आ सकता है। 

डॉक्टरों के अनुसार कोरोना के मामले में बच्चे वयस्कों की तरह ही संवेदनशील हैं। हालांकि, अधिकांश बच्चों को गंभीर बीमारी होने की संभावना कम होती है। अधिकांश प्रभावित बच्चों में लक्षण नहीं दिखते या उनमें हल्के से मध्यम लक्षण हो सकते हैं। हालांकि, प्रभावित बच्चे सुपर स्प्रेडर हो सकते हैं। वे बीमारी को कमजोर रोग निरोधी क्षमता वाले अन्य बच्चों, वयस्कों और बुजुर्गों में फैला सकते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि बच्चों को ओमिक्रॉन से कैसे बचाया जा सकता है।

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बचाव ही एकमात्र उपाय
अभी भारत में 15 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण नहीं हो रहा है। ऐसे में बचाव ही एक मात्र उपाय है। यह पक्का करना चाहिए कि परिवार के सभी वयस्क कोरोना का टीका लगवा लें। घर में काम करने वाले लोग, ड्राइवर, गार्ड्स, शिक्षक इत्यादी भी कोरोना का टीका लगवा लें। दो साल से अधिक उम्र के बच्चे घर से बाहर जा रहे हों तो वे मास्क जरूर लगाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। बच्चों में हाथों को बार-बार धोने की आदत डालें। बड़े अपार्टमेंट्स या बंद समुदायों में रहने वाले लोगों के लिए यह और अधिक जरूरी है। घर के बड़े सदस्य कोरोना से बचाव के प्रति व्यवहार में बच्चों के लिए रोल मॉडल की तरह काम करें। 

जहां तक संभव हो बच्चों को सार्वजनिक स्थान पर ले जाने से बचें। अस्पताल जाते समय या भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने पर कोविड गाइडलाइन का पालन करें। बच्चों के पोषण का ध्यान रखना जरूरी है। जिन बच्चों को सर्दी, खांसी या बुखार है उन्हें दूसरों से अलग रखें। नवजात और दो साल से कम उम्र के बच्चों में रोग से लड़ने की ताकत पूरी तरह विकसित नहीं होती। कोरोना टीका के अभाव में ऐसे बच्चे अतिसंवेदनशील हैं। जो बच्चे मां का दूध पी रहे हैं उनमें कोरोना के खिलाफ लड़ने वाला एंटीबॉडी मां के दूध से पहुंच जाएगा।


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