Exclusive सुरेश रैना की ऑटोबायोग्राफी ‘Believe’ रिलीजः बोले-सबको शुक्रिया कहने के लिए लिखी यह किताब

Published : Jun 14, 2021, 07:53 PM ISTUpdated : Jun 14, 2021, 08:48 PM IST
Exclusive सुरेश रैना की ऑटोबायोग्राफी ‘Believe’ रिलीजः बोले-सबको शुक्रिया कहने के लिए लिखी यह किताब

सार

यूपी की गलियों में क्रिकेट खेलकर बड़ा हुआ एक लड़का क्रिकेट के हर फार्मेट में भारत का प्रतिनिधित्व किया। क्रिकेट करियर में फिल्ड से लेकर अपने सन्यास की घोषणा तक सबको चौकाने वाले सुरेश रैना की आत्मकथा ‘Believe’ रिलीज हो चुकी है। आत्मकथा में वह कई सच दुनिया के सामने लाए हैं। 

नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट के धुरंधर खिलाड़ी सुरेश रैना की ऑटोबायोग्राफी ‘बिलीव’ आ चुकी है। रैना ने अपनी आत्मकथा में करियर से लेकर उन सबके बारे में विस्तार से लिखा है जिनसे उनका जीवन प्रभावित हुआ। पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के साथ अचानक से क्रिकेट को अलविदा कहने वाले रैना ने क्रिकेट जीवन के कई अनकही बातों का भी जिक्र किया है तो कई साथी क्रिकेटर्स से अपने रिश्तों के बारे में भी चर्चा की है। आत्मकथा रिलीज होने के बाद सुरेश रैना ने एशियानेट के राजेश कालरा से विशेष बातचीत की है। 

आत्मकथा लिखने के पीछे यह था मकसद 

आत्मकथा रिलीज होने के बाद बातचीत करते हुए सुरेश रैना ने कहा कि मुझे क्रिकेटर के रुप में गढ़ने या करियर को संवारने में बहुत से लोगों का योगदान रहा। इसमें मेरे सीनियर्स, साथी और बहुत से लोग शामिल रहे। इस आत्मकथा को लिखने का एकमात्र उद्देश्य यही था कि कम से कम उन सभी लोगों को धन्यवाद दे सकूं। उन्होंने कहा कि इतनी छोटी उम्र में अपनी आत्मकथा लिखने में सिर्फ इसलिए सोची ताकि सपोर्ट करने वालों को शुक्रिया कह सकूं। 

संघर्ष के दिनों से लेकर सफल क्रिकेटर बनने तक के किस्सों पर बात

लखनऊ स्पोट्र्स काॅलेज में हाॅकी की सबसे बेहतरीन लेगेसी होने के दौरान क्रिकेटर सुरेश रैना ने क्या सोचा था कि कभी देश के लिए मौका मिलेगा। रैना ने कहा कि हाॅकी की लेगेसी रही है लेकिन एक खिलाड़ी के रुप में बड़ा सपोर्ट वहां रहा। सबसे बड़ी बात यह कि हम सबको देश के लिए ही खेलना है। चाहें कोई भी खिलाड़ी हो या खेल हो। लोगों का  प्यार और आशीर्वाद मिला और मैं देश के लिए खेला। 

हाॅस्टल लाइफ ने इंडिपेंडेंट बनाया, डिसीजन मेकिंग बन सका

हाॅस्टल लाइफ से इंडिपेंडेंसी आई। हाॅस्टल की जितना एक साल की फीस थी उससे कहीं अधिक एकेडमी की फीस थी। उस समय खेल पर फोकस करने से घरवालों का दबाव पढ़ाई पर फोकस करने का रहता था। लेकिन हाॅस्टल लाइफ ने डिसीजन मेेकिंग बनाया, इंडिपेंडेंसी आई। खेल और पढ़ाई को बैलेंस करना सीखा। हम यह फैसला लेने में सक्षम साबित हुए कि क्या करना चाहिए, क्या नहीं। क्या अच्छा है क्या बुरा। 

क्रिकेट की जर्नी, माही से रिश्ते और द्रविड़ से मिली सीख पर भी बात

रैना ने अपनी बातचीत में क्रिकेट की जर्नी, पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से उनकी बांडिंग और द्रविड़ ने उनके करियर को कैसे बेहतर करने में मदद की इस पर भी खूब खुलकर बातें की हैं। क्रिकेट के महानतम फील्डर रहे जोंटी रोड्स द्वारा रैना को सबसे बेहतरीन फील्डर्स में टाॅप पर रखने के सवाल पर भी उन्होंने इससे जुड़ी कई बातें बताई। 
 

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