कितनी है दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की प्राइज मनी, विनर को और क्या मिलता है?

दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। जानिए इस पुरस्कार का इतिहास, चयन प्रक्रिया और विजेता को मिलने वाली प्राइज मनी से जुड़ी रोचक बातें। 

Dada Saheb Phalke Award 2024: मिथुन चक्रवर्ती को इस साल दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है। उन्हें 8 अक्टूबर को 70वें नेशनल फिल्म अवॉर्ड समारोह में इस अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। इस बात की जानकारी खुद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी। बता दें कि दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड फिल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान है। इस अवॉर्ड में नगद पुरस्कार के अलावा शॉल और स्वर्ण कमल मेडल भी दिया जाता है। कैसे चुना जाता है अवॉर्ड विनर, उसे क्या-क्या मिलता है जानते हैं सबकुछ।

दादा साहेब अवॉर्ड के विनर को क्या-क्या मिलता है?

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नगद पुरस्कार: दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड पाने वाले को 10 लाख रुपए नगद दिए जाते हैं।

स्वर्ण कमल पदक: इसके अलावा एक स्वर्ण कमल भी प्रदान किया जाता है।

शॉल: विजेता को सम्मान स्वरूप एक शॉल भी भेंट की जाती है।

हर साल 3 पुरस्कार: दादा साहेब फाल्के अकादमी के द्वारा हर साल उनके नाम पर कुल 3 पुरस्कार दिए जाते हैं, इनमें फाल्के रत्न अवार्ड, फाल्के कल्पतरु अवार्ड और दादासाहेब फाल्के अकादमी अवार्ड शामिल हैं।

कब से हुई दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड की शुरुआत?

भारत सरकार ने 1969 में 'दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड' की शुरुआत की। यह सबसे पहले यह पुरस्कार देविका रानी को मिला था। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए आयोजित 17वें समारोह में एक्ट्रेस देविका रानी को पहली बार इस सम्मान से नवाजा गया। 1971 में दादा साहेब फाल्के के सम्मान में एक डाक टिकट भी जारी किया गया था।

कैसे होता है विजेता का चुनाव?

नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स समारोह में ही दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भी दिया जाता है। ऐसे में इसके लिए विजेता चुनने की पूरी प्रॉसेस केंद्र सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय करता है।

कौन थे दादा साहेब फाल्के?

दादासाहेब फाल्के का असली नाम धुंडीराज गोविन्द फाल्के है। उनका जन्म 30 अप्रैल, 1870 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में एक मराठी परिवार में हुआ था। उन्हें भारतीय सिनेमा का पितामह भी कहा जाता है। उनकी शुरुआती पढ़ाई शिक्षा कला भवन, वडोदरा से हुई। बाद में उन्होंने मुंबई के सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से एक्टिंग के गुर सीखे।

दादा साहेब को कैसे आया फिल्म बनाने का आइडिया

क्रिसमस के मौके पर दादा साहेब फाल्के ने ‘ईसा मसीह’ पर बनी एक मूवी देखी। इसके बाद ही उनके मन में भी फिल्म बनाने का ख्याल आया। 1912 में उन्होंने फिल्म 'हरिश्चंद्र' बनाई, जो कि भारत की पहली फिल्म है। ये एक मूक फिल्म थी, जिसमें डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, लाइटमैन, कैमरा डिपार्टमेंट सबकुछ उन्होंने ही संभाला। यहां तक कि फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर भी दादा साहेब ही थे।

अब तक किन्हें मिल चुका दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड

अब तक 54 लोगों को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इनमें देविका रानी, बीरेन्द्रनाथ सरकार, पृथ्वीराज कपूर (मरणोपरांत), पंकज मलिक, रूबी मेयर्स, बीएन रेड्डी, धीरेन्द्रनाथ गांगुली, कानन देवी, नितिन बोस, रायचंद बोरल, सोहराब मोदी, पैदी जयराज, नौशाद, एलवी प्रसाद, दुर्गा खोटे, सत्यजीत रे, वी शांताराम, बी नागा रेड्डी, अशोक कुमार, लता मंगेशकर, अक्किनेनी नागेश्वर राव, भालजी पेंढरकर, भूपेन हजारिका, मजरूह सुल्तानपुरी, दिलीप कुमार, राज कुमार (कन्नड़), शिवाजी गणेशन, कवि प्रदीप, बीआर चोपड़ा, ऋषिकेश मुखर्जी, आशा भोंसले, यश चोपड़ा, देव आनंद, मृणाल सेन, अदूर गोपालकृष्णन, श्याम बेनेगल, तपन सिन्हा, मन्ना डे, वीके मूर्ति, डी रामानायडू, के बालाचंदर, सौमित्र चटर्जी, प्राण, गुलजार, शशि कपूर, मनोज कुमार, के विश्वनाथ, विनोद खन्ना (मरणोपरांत), अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, आशा पारेख, वहीदा रहमान और मिथुन चक्रवर्ती शामिल हैं।

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