Deep Dive with Abhinav Khare: वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्शों पर खरा उतरता है 'नागरिकता संशोधन बिल'

यह नागरिक संशोधन बिल सही मायनों में वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्शों का अनुसरण करता है। इस बिल के तहत हम उन सभी लोगों को अपना रहे हैं, जिनको गलत तरीके से उनके ही घर से बेदखल किया गया है। 

भारतीय कानून के अनुसार जिस इंसान ने बिना किसी वैध दस्तावेज के देश के अंदर प्रवेश किया है या फिर वीजा खत्म होने के बाद भी यदि कोई भारत के अंदर रह रहा है तो वह अवैध प्रवासी कहा जाएगा। भारतीय नागरिकता बिल में संशोधन के प्रस्ताव ने कई लोगों को विवाद करने का विषय दे दिया है। नए बिल के अनुसार सभी हिन्दू, बुद्ध, सिक्ख, पारसी और क्रिस्चियन धर्म के वो लोग जो पड़ोसी देशों जैसे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत में आए हैं, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा। भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए हर व्यक्ति को एक प्रकिया से गुजरना पड़ता है, जिसे देशीकरण कहते हैं। इसके तहत उस इंसान को या तो भारत में रहना पड़ता है या फिर भारत सरकार के साथ 11 सालों तक काम करना पड़ता है। इस बिल के जरिए भारत सरकार 11 साल की अवधि को 6 साल करना चाह रही है। हर विदेशी नागरिक को अभी भी भारत का नागरिक बनने के लिए इस प्रकिया से गुजरना पड़ेगा पर लोग इस बात पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैं। यह बिल उन सभी लोगों के साथ न्याय कर रहा है, जिन्हें गैरकानूनी तरीके से उनके ही देश के बाहर कर दिया गया है।

Deep Dive with Abhinav Khare

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दुर्भाग्यवश हमारे देश का विपक्ष हमेशा की तरह एक लोकतांत्रिक देश में हुई लोगों की दुर्दशा से बेखबर है। हम पहले ही बहुत देरी कर चुके हैं। इसके बाद भी यह बिल सही दिशा में उठाया गया एक कदम है। इन लोगों को इनके देश से सिर्फ धार्मिक आधार पर भगाया गया है। हम भी अपने देश को बर्बाद होने से बचाने की कोशिश कर रहे हैं, पर इस दौरान हमें उन लोगों को भी बचाने का प्रयास करना चाहिए, जिन्हें गलत तरीके से सताया गया है। इसके लिए हमें पहले उन लोगों की पहचान करनी होगी जो हमारे देश में ही रहकर हमारे दुश्मन की तरह काम करते हैं। जिन लोगों ने देश के विकास में कोई योगदान देने की बजाय उल्टा मुश्किलें खड़ी की हैं। यही लोग देश की संस्कृति के नाम पर फिर से देश में फूट डाल रहे हैं, पर हमें इनसे सतर्क रहना है। 

Abhinav Khare

यह नागरिक संशोधन बिल सही मायनों में वसुधैव कुटुम्बकम के आदर्शों का अनुसरण करता है। इस बिल के तहत हम उन सभी लोगों को अपना रहे हैं, जिनको गलत तरीके से उनके ही घर से बेदखल किया गया है। हमने यह पहले भी पारसी और यहूदी लोगों के साथ ऐसा होते देखा है, जिन्हें उनके घर से भगा दिया गया था और उन्होंने भारत में शरण मांगी। भारत का हिस्सा बनने के बाद से ये लोग देश की राष्ट्रनिर्माण प्रक्रिया का हिस्सा रहे हैं। 
 

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।

अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।

 

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