Deep Dive With Abhinav Khare: हिंदूफोबिया से ग्रसित 'सेक्यूलर मीडिया' के उपदेश

मौजूदा समय में मीडिया एक रटा रटाया उपदेश देने में लगी हुई है, जिसके तहत हिंदू त्योहार दुष्कर्म, पानी की बर्बादी, वायु प्रदूषण और महिलाओं को नीचा दिखाने वाला होता है। लेकिन उसी जगह पर बाकी धर्मों के त्योहार शांति और दया फैलाते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 27, 2019 3:57 PM IST / Updated: Nov 18 2019, 04:02 PM IST

हमारे देश की सेक्यूलर मीडिया पूरी तरह से हिंदूफोबिया से ग्रसित हो चुकी है। मीडिया में हर हिंदू त्योहार को तोड़-मरोड़ के पेश किया जाता है, जबकि बाकी हर धर्म के त्योहार को भली भांति दिखाया जाता है। मीडिया हर हिंदू त्योहार के ऊपर कीचड़ उचालने का प्रयास करता रहता है, वहीं बाकी धर्मों के त्योहारों का जमकर महिमामंडन भी किया जाता है। मीडिया का यह रवैया निश्चित रूप से हिंदुओं को अपने त्योहारों के बारे में बुरा महसूस कराता है। मीडिया हमेशा ही यह चिल्लाता रहता है कि हिंदू कैसे अपने धर्म में बदलाव ला सकते हैं पर कभी भी किसी भी दूसरे धर्म को लेकर ऐसी बात तक नहीं होती है। हर गैर-हिंदू त्योहार को शांति, प्रेम और सभी को साथ लेकर चलने वाला बताया जाता है और फिर इन त्योहारों की तारीफ में कसीदे पढ़े जाते हैं।

Deep Dive With Abhinav Khare

क्विंट नामक एक वेबसाइट ने होली को एक ऐसे त्योहार के रूप में दिखाया है, जिसमें गलियों में बच्चों का आतंक होता है। वायु प्रदूषण और पटाखों को लेकर दीवाली हमेशा ही पसंदीदा टारगेट रहा है। और सबसे बेतुका तर्क तो नवरात्रि को लेकर दिया गया जिसमें कहा गया कि नवरात्रि को दौरान उपवास रखना सेहत के लिए हानिकारक है, जबकि रोजा रखना दुनिया के स्वास्थ्यवर्धक कामों में से एक हैं। 

क्विंट की ही तरह स्क्रॉल भी हिंदूफोबिया फैलाने में कहीं से भी पीछे नहीं है। होली मनाने से पानी की समस्या और दीवाली मनाने से वायु प्रदूषण होता है, पर देश में लाखों बकरों का खून बहाने वाले बकरीद से कोई नुकसान नहीं है बल्कि इससे मुंबई का बकरा बाजार भली भांति सज जाता है और लोगों को रोजगार भी मिल जाता है। इस स्तर का पाखंड वाकई चिताजनक और शर्मनाक है। 

Abhinav Khare

द वायर ने स्पर्म से भरे गुब्बारों की अफवाह सुनकर होली को "रेप  कल्चर" को बढ़ावा देने वाला त्योहार बता दिया। साथ ही जलीकट्टू को जानवरों के साथ ज्यादती करने वाला त्योहार भी बताया। यदि वास्तव में ऐसा है तो ये लोग मुहर्रम पर क्यों चुप रहते हैं, जिसमें नाबालिग बच्चे भी खुद को जलती हुई साकलों से पीटते हैं। 

हैफिंग्टन पोस्ट के अनुसार करवा चौथ पुरुष प्रधान त्योहार है और इसमें महिलाओं का शोषण होता है लेकिन ईस्टर से हिंदू और मुस्लिमों के बीच भाईचारा और दया की भावना बढ़ती है। 

मौजूदा समय में मीडिया एक रटा रटाया उपदेश देने में लगी हुई है, जिसके तहत हिंदू त्योहार दुष्कर्म, पानी की बर्बादी, वायु प्रदूषण और महिलाओं को नीचा दिखाने वाला होता है। लेकिन उसी जगह पर बाकी धर्मों के त्योहार शांति और दया फैलाते हैं। मीडिया जान बूझकर हिंदुओं को उनके धर्म को लेकर शर्मिंदा कर रहा है और हमें इस झांसे में नहीं आना है। मीडिया हिंदुस्तान में ही हिंदूफोबिया फैला रहा है और हमें इसे रोकना है।            

कौन हैं अभिनव खरे

अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।

अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।
 

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