स्वतंत्रता आंदोलन के समय हमें एकजुट होने की आवश्यक्ता था, ताकि हम ब्रिटिश सत्ता को अपने देश से उखाड़ फेकें। यही वह समय था, जब पहली बार हमें राष्ट्रभाषा की जरूरत महसूस हुई।
अखिल भारत के परस्पर व्यवहार के लिए ऐसी भाषा की आवश्यकता है जिसे जनता का अधिकतम भाग पहले से ही जानता-समझता है। और हिन्दी इस दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ है।- महात्मा गांधी
जैसा कि हम सभी जानते हैं, भारत विविध भाषाओं वाला देश है। 2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 122 भाषाएं और 234 मातृभाषाएं हैं। साथ ही संविधान की 8वीं अनुसूची में भी 22 भाषाएं पहले से ही दर्ज हैं। ये भाषाएं हैं- (1) असमी (2) बंगाली (3) गुजराती (4) हिन्दी (5) कन्नड़ (6) कश्मीरी (7) कोकणीं (8) मलयालम (9) मणिपुरी (10) मराठी (11) नेपाली (12) उड़िया (13) पंजाबी (14) संस्कृत (15) सिंधी (16) तमिल (17) तेलगू (18) उर्दू (19) बोदो (20) संथाली (21) मैथली (22) डोगरी।
स्वतंत्रता आंदोलन के समय हमें एकजुट होने की आवश्यक्ता था, ताकि हम ब्रिटिश सत्ता को अपने देश से उखाड़ फेकें। यही वह समय था, जब पहली बार हमें राष्ट्रभाषा की जरूरत महसूस हुई। पर राष्ट्रभाषा किस बनाया जाए यह बड़ा सवाल था। इसका जवाब महात्मा गांधी ने साल 1917 में गुजरात शिक्षा सम्मेलन में दिया था। उन्होंने कहा था कि हिन्दी अधिकतर भारतीयों द्वारा बोली जाती है। साथ ही हिन्दी की उदारता और सरलता इसे अर्थशास्त्र, सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक विषयों के लिए उपयुक्त बनाती है। इसके अलावा हिन्दी आजादी के बाद भी पूरे देश को एकसूत्र में पिरोने का काम करेगी। साल 1949 में 14 सितंबर के दिन हिन्दी को राजकीय भाषा का दर्जा दिया गया। बाद में इसी दिन को हम हिंदी दिवस के रूप में मनाने लगे।
भारत की राजकीय भाषा को लेकर संविधान सभा में विस्तार में चर्चा हुई थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि हिंदी को राजकीय भाषा का दर्जा मिलना चाहिए और देवनागरी उसकी लिपि होनी चाहिए। 1968 में ली गई राजकीय भाषा शपथ के अनुसार राजकीय भाषा विभाग समय-समय पर केन्द्र सरकार के लिए नए लक्ष्य तय करता है और साथ में हिंदी में पत्र लिखना, टेलीग्राम करना जैसे इत्यादि कार्य भी करता है। राजकीय भाषा की नीति के क्रियान्वन के लिए देश भर मे 8 अलग-अलग जगहों पर क्षेत्रीय कार्यालय भी खोले गए हैं। ये जगह हैं बैंगलोर, कोचिन, मुम्बई,कोलकाता, गुवाहाटी, भोपाल, दिल्ली और गाजियाबाद। आधुनिक तकनीकि भी आसानी से हिंदी भाषा के डिजिटल उपयोग के लिए बेहतर है और हम आसानी से हिंदी को डिजिटल रूप में उपयोग कर सकते हैं।
अंत में यहां हमारे गृहमेंत्री अमित शाह के उस ट्वीट का जिक्र करना आवश्यक है, जो उन्होंने हाल ही में हिंदी दिवस पर किया था। अमित शाह ने लिखा था "भारत विभिन्न भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना महत्व है परन्तु पूरे देश की एक भाषा होना अत्यंत आवश्यक है जो विश्व में भारत की पहचान बने. आज देश को एकता की डोर में बांधने का काम अगर कोई एक भाषा कर सकती है तो वो सर्वाधिक बोले जाने वाली हिंदी भाषा ही है."
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।