ग्रेटा थनबर्ग ने हाल ही में इंटरनेट पर सनसनी मचा दी। 16 साल की स्वीडिश ग्रेटा के परिवार में ज्यादातर लोग अभिनेता हैं। UN में विश्व के नेताओं के सामने 'हाउ डेयर यू' वाला वीडियो उनका काफी वायरल हुआ। इसके बाद वे ट्विटर पर ट्रेंड करने लगीं। जब से दुनिया ने राष्ट्रवादी नेताओं को वोट करना शुरू कर दिया, तभी से वामपंथियों के पास ग्लोबल चेहरों की कमी है। इसलिए सुर्खियां पाने के लिए बेताब रहने लोगों को इस 16 साल की लड़की में उम्मीद नजर आने लगी।
ग्रेटा थनबर्ग ने हाल ही में इंटरनेट पर सनसनी मचा दी। 16 साल की स्वीडिश ग्रेटा के परिवार में ज्यादातर लोग अभिनेता हैं। UN में विश्व के नेताओं के सामने 'हाउ डेयर यू' वाला वीडियो उनका काफी वायरल हुआ। इसके बाद वे ट्विटर पर ट्रेंड करने लगीं। जब से दुनिया ने राष्ट्रवादी नेताओं को वोट करना शुरू कर दिया, तभी से वामपंथियों के पास ग्लोबल चेहरों की कमी है। इसलिए सुर्खियां पाने के लिए बेताब रहने लोगों को इस 16 साल की लड़की में उम्मीद नजर आने लगी।
ग्रेटा की तुलना शांति के नोबेल पुरस्कार विजेता पाकिस्तान की मलाला युसुफजई से की जाने लगी, जिसे तालिबान ने अपना निशाना बनाया था। मलाला की तरह ग्रेटा भी इन लोगों के लिए नई उम्मीद की तरह है।
Deep Dive With Abhinav Khare
ग्रेटा का जो वीडियो वायरल हुआ, उसमें हमने देखा है कि कैसे उसने अपनी बात रखी और सुर्खियों में आ गई। यह वास्तव में गलत है। हर बच्चा बचपन को जीने का हकदार है और लाइमलाइट और प्रसिद्धि के भूखे मां-बाप बच्चों को यूं रैलियों में भारी भरकम स्पीच बोलने के लिए भेज देते हैं।
प्रसिद्धि पाने के भूखे पेरेंट्स की नोबेल जीतने के लिए यह बच्चों की बोली लगाने जैसा ही है। इन जैसे लोग ही प्रसिद्धि पाने के लिए कुछ भी करते हैं, यहां तक की अपने बच्चों का बलिदान भी कर देते हैं।
Abhinav Khare
ग्रेटा ने 15 साल की उम्र से क्लाइमेट चेंज के खिलाफ विरोध किया था। यह स्वीडिश संसद के सामने था। अब ग्रेटा का संयुक्त राष्ट्र का भाषण वायरल हो गया, जिसकी वजह से वह दुनिया भर में फेमस हो गई है। लेकिन इस दौरान एक गौर करने वाली बात ये है कि जब ग्रेटा से क्लाइमेट चेंज से जुड़ा सवाल पूछा गया तो वे जवाब नहीं दे पाईं। अगर आप किसी समस्या पर काम करते हैं और उस पर जानकारी दे रहे होते हैं तो किसी भी वक्त आपको उससे जुड़े सवाल का जवाब पता होना चाहिए।
एक तरफ हमारे पास ग्रेटा जैसे आईकन हैं, तो दूसरी ओर साल्लुमरदा थिमक्का हैं, जिन्होंने बिना स्वार्थ के हजारों पेड़ लगाए और उन्हें कोई पहचान कोई लाइम लाइट नहीं मिली। वह पर्यावरण की असली रक्षक हैं। इस तरह के कई उदाहरण है, जिन्होंने पर्यावरण को लेकर अपना बलिदान तक दे दिया।
लेकिन यह कड़वा सच है कि ऐसे रक्षकों की पहचान करने की बजाय, दुनिया बनाऊ आइकन के पीछे भाग रही है। मैं उन मुद्दों का समर्थन करता हूं लेकिन उन मीडिया पोर्टल, अभिनेताओं, फेसबुक ग्रुप और चैनल्स का विरोध करता हूं, जो ऐसे बनाऊ आइकन को वायरल करने में लगातार साथ दे रहे हैं। हमने स्थिति की गंभीरता को महसूस नहीं किया और सिर्फ व्यक्ति और वजह का समर्थन करने लगे।
जल्द ही हम ऐसे लोगों को भारत, भारत की संस्कृति, हमारे मूल्यों, हिंदुत्व और कश्मीर के खिलाफ बात करते देखेंगे। इसलिए हमें इसे रोकना चाहिए। हर दूसरे व्यक्ति को आइकन समझने से पहले उसके बारे में जान लेना चाहिए।
कौन हैं अभिनव खरे
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।