रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के एक कार्यक्रम में Rajnath Singh ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रक्षा प्रौद्योगिकियों के मामले में भारत अग्रणी हो।
उन्होंने कहा कि हमें खुद को मजबूत करना चाहिए और किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। र
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मंगलवार को कहा कि भारत को अपने दुश्मनों के खिलाफ न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए तुरंत हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन देशों ने रक्षा इनोवेशन किया है, उन्होंने अपने दुश्मनों को बेहतर बनाया है और इतिहास पर अपनी छाप छोड़ी है।
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के एक कार्यक्रम में श्री सिंह (Defence Minister) ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रक्षा प्रौद्योगिकियों के मामले में भारत अग्रणी हो।
उन्होंने कहा कि हमें खुद को मजबूत करना चाहिए और किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें उन प्रौद्योगिकियों को भी प्राप्त करना होगा जो अभी कुछ ही देशों के पास हैं।
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों को और मजबूत करना होगा
श्री सिंह ने कहा कि समय बीतने के साथ बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणालियां और अधिक मजबूत होती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए, हमें तुरंत हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकास के बारे में सोचना होगा। यह हमारे रक्षा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम होगा और हम सभी को इसमें अपना प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित किए गए और देश के सशस्त्र बलों को सौंपे गए कई प्लेटफार्मों ने भारत के सुरक्षा ढांचे को मजबूत किया है। पर जैसे-जैसे समय बदल रहा है, हमारी रक्षा आवश्यकताएं भी उसी के अनुसार बदल रही हैं। उन्होंने कहा कि आज युद्ध के मैदान में 'तकनीक' नाम का एक नया योद्धा आया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से युद्ध के मैदान में प्रौद्योगिकी की भूमिका बढ़ी है, वह अद्भुत और अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में भारत के साथ रक्षा प्रौद्योगिकियों को भविष्य के साथ तालमेल बिठाना होगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि वह देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण और एकीकरण हमेशा की तरह जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि एकीकरण और आधुनिकीकरण सिर्फ सरकार के प्रयासों से नहीं हो रहा है। यह हमारे सशस्त्र बलों के मन की बैठक के कारण भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि जब हम देश को एक शुद्ध रक्षा निर्यातक बनाने की बात करते हैं, तो रास्ता डीआरडीओ, सशस्त्र बलों, निजी उद्योगों और शिक्षाविदों जैसी संस्थाओं के बीच सहयोग के माध्यम से जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में डीआरडीओ के कामकाज के तरीके में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई उपाय कर चुकी है।
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