पर्रिकर के नाम से जाना जाएगा IDSA, उद्घाटन पर बोले रक्षामंत्री-वे डिफेंस के मामलों में थिंक टैंक थे

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 15 नवंबर को नई दिल्ली में देश के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की याद में उनके नाम पर रखे गए रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान का उद्घाटन किया है। इस मौके रक्षामंत्री ने पर्रिकर को डिफेंस और इंटरनेशनल मामलों का थिंक टैंक बताया।

नई दिल्ली. दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस ( Institute for Defence Studies and Analyses) को अब पूर्व रक्षा मंत्री स्वर्गीय मनोहर पर्रिकर(Manohar Parrikar) के नाम से यानी MP-IDSA के नाम से जाना जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने 15 नवंबर को पर्रिकर की याद में संस्थान की पट्टिका का अनावरण किया। उल्लेखनीय है कि संस्थान अपना 57वां स्थापना दिवस मना रहा है। वैसे यह 11 नवंबर को मनाया जाता है। इस इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष रक्षामंत्री होते हैं। इंस्टीयूट का नाम बदलने का निर्णय इसी साल की शुरुआत में जनरल बॉडी(general body) की मीटिंग में सर्वसम्मति से लिया गया था। हाल में स्वर्गीय पर्रिकर को पद्मभूषण दिया गया है। यह सम्मान राष्ट्रपति रामनाथ सिंह के हाथों पर्रिकर के बेटे उत्पल ने ग्रहण किया था।

रक्षामंत्री ने पर्रिकर को बताया डिफेंस और विदेशी मामलों का थिंक टैंक
राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के जिन नेताओं के साथ मेरा पुराना संपर्क रहा है, मनोहर पर्रिकर उनमें से  एक थे। रक्षा को लेकर उनकी गहरी समझ से वो हमारे लिए मूल्यवान सहकर्मी बन गए थे। रक्षामंत्री ने कहा कि पर्रिकर ने स्वदेशीकरण पर जोर देकर राजनीति-सैन्य तालमेल( politico-military) को एक अमूल्य संपत्ति बना दिया। वे राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय मामलों के थिंक टैंक थे। 

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रक्षामंत्री ने पर्रिकर को इनके लिए भी याद किया
राजनाथ सिंह ने कहा कि पर्रिकर ने रक्षामंत्री रहते हुए संस्थान के कामों को आगे बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया था। वे हमारे सशस्त्र बलों(Armed Forces) के लिए विचारशील नेता(thoughtful leader) थे। उरी घटना के बाद 2016 में काउंटर टेरोरिस्ट स्ट्राइक में उनके नेतृत्व में सशस्त्र बलों के हित में लिए गए वन रैंक वन पेंशन(One Rank One Pension) के फैसले को लंबे समय तक याद किया जाएगा।

MP-IDSA एक अमूल्य खजाना
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तेजी से बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य( global security scenario) और Covid 19 महामारी जैसे अदृश्य खतरों के मद्देनजर अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता पर जोर दिया। रक्षामंत्री ने  MP-IDSA को एक अमूल्य खजाना बताते हुए कहा कि यह देश की रक्षा और सुरक्षा को एक नई दिशा प्रदान कर सकता है। रक्षामंत्री ने वहां अध्ययनरत स्टूडेंट्स से कहा कि आप सभी पारंपरिक युद्ध से लेकर गैर संपर्क और संकर युद्ध(hybrid warfare) सहित अन्य कॉन्सेप्ट का अध्ययन कर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने संस्थान से राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में अधिक गहराई से विचार करने का आह्वान किया ताकि यह राष्ट्र के समग्र विकास में भी उपयोगी हो सके। उन्होंने संस्थान, विशेष रूप से विद्वानों को अनुसंधान और नीति निर्माण के क्षेत्र में नए विचारों के साथ आने और एक मजबूत और सक्षम भारत के निर्माण में योगदान करने का आह्वान किया। 

कुछ प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन भी किया
रक्षामंत्री ने इंस्टीट्यूट में 100 किलोवाट ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर ऊर्जा संयंत्र का भी उद्घाटन किया। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की योजना के तहत सरकारी भवनों पर सोलर रूफ-टॉप प्लांटों को बढ़ावा देने के लिए सोलर पावर प्लांट प्रोजेक्ट की स्थापना की गई है। अपनी स्थापना के बाद से, सौर संयंत्र ने सफलतापूर्वक 1,41,540 इकाइयों को बचाया है। इससे प्रति वर्ष 14 लाख रुपये से अधिक की बचत हुई है। 

राजनाथ सिंह ने संस्थान में एक ओपन एयर जिम का भी उद्घाटन किया। उन्होंने स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया, खासकर महामारी के दौरान।  रक्षामंत्री ने कहा कि सरकार द्वारा टीकाकरण की संख्या 100 करोड़ को पार कर गई है,लेकिन लोगों द्वारा अपने स्वयं के स्वास्थ्य के बारे में जागरुकता हमें कोविड -19 के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त रूप से विजयी बनाएगी। 

रक्षा मंत्री ने संस्थान के विद्वानों द्वारा लिखित पुस्तकों का भी विमोचन किया, जिसमें देश की रक्षा, सुरक्षा, विदेश नीति और सामरिक अनिवार्यताओं के लिए प्रासंगिक अनुसंधान विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। अपने स्वागत भाषण में संस्थान के महानिदेशक सुजान आर चिनॉय ने राजनाथ सिंह को धन्यवाद दिया

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