संसद की PAC समिति के लद्दाख दौरे पर रक्षा मंत्रालय ने जताई आपत्ति, कहा - सीमा पर हालात संवेदनशील

भारत-चीन सीमा विवाद के बीच संसद की एक पब्लिक अकाउंट समिति (PAC) का लद्दाख दौरा होना है। इसी को लेकर रक्षा मंत्रालय ने आपत्ति जताई है। मंत्रालय ने कहा कि वे दोनों देशों के बीच उपजे संवेदनशील हालातों के बीच पीएसी की समिति के लद्दाख दौरे के समर्थन में नहीं है। इससे पहले यह दौरा इस महीने के आखिरी सप्ताह में प्रस्तावित था।

Asianet News Hindi | Published : Oct 29, 2020 9:27 AM IST / Updated: Oct 29 2020, 02:58 PM IST

नई दिल्ली/लेह. भारत-चीन सीमा विवाद के बीच संसद की एक पब्लिक अकाउंट समिति (PAC) का लद्दाख दौरा होना है। इसी को लेकर रक्षा मंत्रालय ने आपत्ति जताई है। मंत्रालय ने कहा कि वे दोनों देशों के बीच उपजे संवेदनशील हालातों के बीच पीएसी की समिति के लद्दाख दौरे के समर्थन में नहीं है। इससे पहले यह दौरा इस महीने के आखिरी सप्ताह में प्रस्तावित था।

सूत्रों के मुताबिक, रक्षा मंत्रालय फिलहाल इस दौरे के समर्थन में इसलिए नहीं है क्योंकि लद्दाख में सीमा पर अभी भी दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने हैं, ऐसे में सेना वहां अपनी तैयारियों में जुटी है। इसी वजह से पीएसी की समिति का ऐसे वक्त में दौरा करना ठीक नहीं होगा। 

कांग्रेस नेता अधीर रंजन करेंगे समिति की अगुवाई
दरअसल, संसद की समिति को 8 से 10 नवंबर को लद्दाख का दौरा करने जा रही है। संसद की विशेष समिति के दौरे की अगुवाई कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी करने वाले हैं। इस समिति को बीते दिनों ही स्पीकर की ओर से लद्दाख दौरे की मंजूरी मिली थी। ये समिति हाल ही में कैग (CAG) द्वारा उठाए गए सवालों की जांच और मौजूदा स्थिति को परखने के लिए दौरा करना चाहती है। 

 पहले 28-29 अक्टूबर को होना था दौरा
मिली जानकारी के अनुसार पहले यह दौरा 28-29 अक्टूबर को होना था, लेकिन सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए इसे आगे बढ़ा दिया गया। हालांकि रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जब सीमा पर दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट जाएंगी और स्थिति सामान्य होगी तब समिति अपना यह दौरा कर सकती है।

सीमा विवाद पर क्या है स्थिति?
भारत और चीन के बीच मई 2020 से ही लद्दाख सीमा पर संवेदनशील स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों के बीच अबतक कई राउंड की सैन्य और डिप्लोमेटिक लेवल पर वार्ताएं हो चुकीं हैं लेकिन अबतक सभी बैठकें बेनतीजा ही निकलीं हैं। इसी कारण से दोनों ही देशों ने अबतक सीमावर्ती इलाकों में हजारों की संख्या में सैनिकों की तैनाती कर रखी है।

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