दिल्ली-NCR में पॉल्युशन(Pollution in Delhi-NCR) का स्तर फिर से बढ़ गया है। शुक्रवार(11 नवंबर) की सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लेवल 'गंभीर' श्रेणी के भी ऊपर 500 के पार चला गया।
नई दिल्ली. दिल्ली-NCR में पॉल्युशन(Pollution in Delhi-NCR) का स्तर फिर से बढ़ गया है। शुक्रवार(11 नवंबर) की सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लेवल 'गंभीर' श्रेणी के भी ऊपर 500 के पार चला गया। दिल्ली के ओखला में 558, आनंद विहार में 343, जहांगीरपुरी में 453, नोएडा के सेक्टर 62 में 356, गाजियाबाद के वसुंधरा में 379 और गुरुग्राम सेक्टर 51 में एक्यूआई 651 दर्ज किया गया। बता दें कि 0-50 के बीच का एक्यूआई अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401-500 गंभीर माना जाता है।पढ़िए पूरी डिटेल्स...
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए दायर याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। हालांकि इससे पहले SC ने याचिका पर 10 नवंबर को सुनवाई की बात कही गई थी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हीमा कोहली और जस्टिस जेबी पादरीवाला की पीठ ने इस याचिका पर तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि यह मामला न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है, इसलिए इस पर तुंरत सुनवाई नहीं की जा सकती है। प्रदूषण को कम करने के दूसरे और वास्तविक समाधान खोजे जाएं।
हालांकि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग( Air Quality Management) ने कहा है कि वह स्थिति की फिर समीक्षा करेगा। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि केंद्र का एयर क्वालिटी पैनल ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRP) के फेज-3 (गंभीर) के तहत दिल्ली-एनसीआर में जगह-जगह प्रतिबंध हटाने पर फैसला ले सकता है।
पैनल ने गुरुवार को एक आदेश भी जारी किया, जिसमें अधिकारियों से निर्माण स्थलों पर पॉलिशिंग, वार्निंग और पेंटिंग का काम तुरंत बंद करने को कहा गया, क्योंकि इन गतिविधियों से वाष्पशील कार्बनिक यौगिक(volatile organic compounds) बनते हैं, जो हवा की विषाक्तता को और बढ़ाते हैं और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। इन गतिविधियों को जीआरएपी के फेज-III के क्लोज 4 (iii) के तहत निर्माण और विध्वंस गतिविधियों की गैर-प्रदूषणकारी श्रेणी के रूप में नहीं माना जा सकता है और जब भी जीआरएपी चरण- III के आदेश लागू होते हैं, या संचालन में होते हैं, तो इसे परियोजना स्थलों पर रोकने की आवश्यकता होती है। जीआरएपी के फेज-3 के तहत दिल्ली-एनसीआर में आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर सभी निर्माण और विध्वंस कार्य प्रतिबंधित हैं। ईंट भट्टों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर को भी संचालित करने की अनुमति नहीं है। वायु गुणवत्ता पैनल ने कहा, "सीएक्यूएम दिल्ली-एनसीआर के बदलते वायु गुणवत्ता परिदृश्य पर कड़ी नजर रख रहा है। इसके हिसाब से GRP पर इसकी उप-समिति ने उचित निर्णय के लिए स्थिति की व्यापक समीक्षा के लिए बैठक बुलाई है।
हालांकि रात में अनुकूल हवा की गति, आसपास के राज्यों में छिटपुट बारिश और पराली जलाने से उत्सर्जन में काफी गिरावट के कारण दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में बुधवार को सुधार हुआ। राष्ट्रीय राजधानी में 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गुरुवार को 295 रहा। बुधवार को यह 260, मंगलवार को 372, सोमवार को 354, रविवार को 339 और शनिवार को 381 था। बुधवार को दर्ज किया गया एक्यूआई 20 अक्टूबर के बाद सबसे कम था, जब यह 232 था। नवंबर के लिए, यह 29 नवंबर, 2020 के बाद से सबसे अच्छा एक्यूआई था, जब यह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार 231 था।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के पर्यावरण निगरानी और अनुसंधान केंद्र के प्रमुख वीके सोनी ने कहा कि 11 नवंबर से हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार लाने का अनुमान है। अनुकूल हवा की गति-10 से 18 किमी प्रति घंटे रह सकती है। दिल्ली सरकार ने पिछले कुछ दिनों में शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार को देखते हुए सोमवार को 9 नवंबर से प्राथमिक कक्षाओं को फिर से खोलने और अपने 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने के आदेश को रद्द करने का फैसला किया था। हालांकि, GRAP के चरण 3 के तहत BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल चार पहिया वाहन दिल्ली की सड़कों से दूर रहे। रविवार को, सीएक्यूएम ने अधिकारियों को क्षेत्र में गैर-बीएस VI डीजल हल्के मोटर वाहनों के चलने और जीआरएपी के चरण 4 के तहत लगाए गए ट्रकों के राजधानी में प्रवेश पर प्रतिबंध हटाने का निर्देश दिया था।
यह भी पढ़ें
बर्फबारी के चलते जल्द करवट बदलेगा देश का मौसम, बस कुछ दिन और इंतजार, फिर निकलेंगे गर्म कपड़े, देखें कुछ PICS
पराली जलाने पर एक्शन लेने में 'लाचार' साबित हुई पंजाब की AAP सरकार, 3 महीने में 30000 मामले