
Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि सास-ससूर या किसी तीसरे व्यक्ति ने पति-पत्नी के बीच लड़ाई कराई और अगर इसके चलते विवाह खत्म होने की स्थिति बनी तो उसके खिलाफ केस दर्ज हो सकता है। दोषी पाए जाने पर उसे पीड़ित पक्ष को मुआवजा देना होगा। इस मामले में जजमेंट आना बाकी है।
इस फैसले से जोड़ों के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप से निपटने के तरीके बदल सकते हैं। कोर्ट के अनुसार, अगर कोई तीसरा पक्ष किसी जोड़े के प्यार या स्नेह को ठेस पहुंचाने की कोशिश करता है तो प्रभावित पति या पत्नी को उनके खिलाफ स्नेह-विमुखता (एओए) का मामला दर्ज करने का अधिकार है। इस फैसले से पति-पत्नी अपने विवाह में हस्तक्षेप करने वाले किसी भी व्यक्ति से मुआवजा मांग सकेंगे।
इस तरह अब एक महिला अपनी सास के खिलाफ केस दर्ज करा सकती है। अगर सास अपने बेटे और बहू के बीच झगड़ा लगाने के लिए दोषी पाई गई तो उसे मुआवजा देना होगा। इस मामले में एक वकील ने दिलचस्प पहलू पर प्रकाश डालते हुए पूछा कि क्या सास को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है अगर वह अपने बेटे और उसकी पत्नी, या अपनी बेटी और उसके पति के बीच झगड़े का कारण बनती है।
महिला वकील ने ऐसे सास और ससुर को सावधान रहने के लिए कहा है जो बेटे-बहू या बेटी-दामाद के बीच झगड़ा लगाते हैं। इंस्टाग्राम पर वकील ने लिखा, "भारत के बाहर यह बहुत आम है, लेकिन भारत में अदालतें इस आधार पर दीवानी मुकदमा दायर कर सकती हैं, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐसे दावों को उचित ठहराया है, जिससे पति-पत्नी को अपने विवाह न्यायालय में हस्तक्षेप करने के लिए किसी तीसरे पक्ष पर मुकदमा करने की अनुमति मिल गई है।"
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वकील ने कहा, “पति-पत्नी के बीच प्यार खत्म होने के दावे के प्रमुख पहलू: जानबूझकर किया गया हस्तक्षेप: आपको यह साबित करना होगा कि सास या किसी तीसरे पक्ष ने वैवाहिक संबंध को नष्ट करने के इरादे से काम किया। आपको उनके कार्यों और आपके विवाह के टूटने के बीच एक स्पष्ट संबंध दिखाना होगा। आपको यह साबित करना होगा कि हस्तक्षेप से पहले सच्चा प्यार मौजूद था।”