सुप्रीम कोर्ट ने शादी के बहाने रेप के आरोपी पर FIR रद्द की। कोर्ट ने कहा कि महिला ने यह FIR तब दर्ज कराई जब आरोपी की शिकायत पर उसे कारण बताओ नोटिस मिला। यह FIR बदला लेने की भावना से की गई थी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदमी के खिलाफ दर्ज FIR और चार्जशीट को रद्द कर दिया है। उस पर शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगाया गया था। कोर्ट ने कहा कि यह FIR "सोच-समझकर और आने वाले नतीजों का बदला लेने के लिए" दर्ज की गई थी। जस्टिस संजय करोल और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसने इस मामले की कार्यवाही को रद्द करने से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि FIR तभी दर्ज की गई जब आरोपी की शिकायतों के बाद महिला के ऑफिस ने उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

महिला ने क्या आरोप लगाया था…

मामले के मुताबिक, नगर निगम में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम करने वाली एक महिला कर्मचारी ने अपने सहकर्मी, एक सहायक राजस्व निरीक्षक पर आरोप लगाए थे, जिसके साथ वह 5 साल से दोस्त थी। शादीशुदा और एक बेटे की मां होने के बावजूद, उसने शादी के भरोसे पर आरोपी के साथ शारीरिक संबंध बनाए। महिला ने आरोप लगाया कि 15 मार्च, 2023 को आरोपी ने शादी का वादा करके उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाए, जो अप्रैल 2023 तक जारी रहा। जब उसने बाद में शादी के बारे में पूछा, तो आरोपी ने कथित तौर पर मना कर दिया और उसे किसी और से शादी करने के लिए कहा।


इसके बाद, उसने अपने सहकर्मी के खिलाफ रेप की FIR दर्ज कराई। हालांकि, FIR से पहले आरोपी ने महिला के खिलाफ उत्पीड़न, आत्महत्या की धमकी और गाली-गलौज का आरोप लगाते हुए कई शिकायतें दर्ज कराई थीं। आरोपी ने नगर निगम और पुलिस अधिकारियों के सामने भी शिकायतें दर्ज कराई थीं, जिसके बाद 6 जुलाई, 2023 को महिला को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। इसमें चेतावनी दी गई थी कि अगर उसका व्यवहार नहीं सुधरा तो उसे नौकरी से निकाला जा सकता है। उसने कथित घटना के 4 महीने बाद और केवल प्रशासनिक कार्रवाई शुरू होने के बाद ही FIR दर्ज की।

सुप्रीम कोर्ट ने FIR और चार्जशीट को रद्द करने से पहले क्या कहा…

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि FIR केवल कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद दर्ज की गई थी, जिससे इस बात की पूरी संभावना बनती है कि यह "सोच-समझकर और आने वाले नतीजों का बदला लेने के लिए" दर्ज की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने FIR और चार्जशीट को रद्द करते हुए कहा, "अगर अपराध के ब्यौरे को पहली नजर में सच मानें, तो पहली बार में शिकायतकर्ता तैयार नहीं थी और उसे शादी के भरोसे पर संबंध बनाने के लिए मनाया गया था। जब उसने कुछ दिनों बाद पूछा कि शादी कब होगी, तो कथित तौर पर अपीलकर्ता ने मना कर दिया और उसे किसी और से शादी करने के लिए कहा। 

यह पहला मौका था जब शिकायतकर्ता को यह एहसास होने पर कि उसका फायदा उठाया गया है, जरूरी कार्रवाई करनी चाहिए थी। अगर ऐसा नहीं भी किया गया, तो यह तथ्य कि FIR केवल कारण बताओ नोटिस जारी होने के बाद दर्ज की गई, जिसके शिकायतकर्ता के लिए जाहिर तौर पर बड़े वास्तविक परिणाम हो सकते हैं, इस बात की पूरी संभावना छोड़ देता है कि यह सोच-समझकर और ऊपर बताए गए नतीजों का बदला लेने के लिए दर्ज की गई थी।"