नेशनल न्यूज। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर से रेप और मर्डर की घटना के बाद से ममता सरकार चौतरफा घिर गई है। डॉक्टर मुख्यमंत्री से इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं। ममता बनर्जी की पश्चिम बंगाल सरकार ने आज विधानसभा में एंटी रेप बिल सर्वसम्मति से पास कर दिया है। इस कानून के पास होने के बाद प्रदेश में बलात्कारियों को कठोर दंड या पीड़िता का मौत पर मृत्युदंड तक दिया जा सकेगा। रेप विरोधी कानून पॉक्सो एक्ट पहले ही देश में लागू है। ऐसे में एंटी रेप कानून और पॉक्सो एक्ट में क्या अंतर है।
क्या है पॉक्सो एक्ट ?
पॉक्सो एक्ट में विशेषकर बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में लागू होता है। यह मुख्यत: प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्स (POCSO) एक्ट है। यह कानून वर्ष 2012 में प्रभावी हुआ था। इस कानून को लाने की वजह यही थी कि नाबालिग बालिकाओं को यौन उत्पीड़न मामलें संरक्षण दिया जा सके।
ममता सरकार का एंटी रेप बिल क्या है ?
ममता सरकार की ओर से पास किए गए एंटी रेप बिल में उम्रकैद के साथ फांसी की सजा का प्रावधान है। इस कानूने के तहत दोषियों को 10 दिन के अंदर फांसी सजा का सख्त नियम बनाया गया है।
पॉक्सो एक्ट और एंटी रेप कानून में ये अंतर
महिला अपराध से जुड़े दोनों कानून में सबसे बड़ा अंतर ये है कि एंटी रेप लॉ सिर्फ लड़कियों के लिए ही बनाया गया है जबकि पॉक्सो एक्ट लकड़ी और लड़के दोनों के लिए बना है। पॉक्सो एक्ट मुख्य रूप से छोटी बच्चियों की सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए बनाया गया है जबकि एंटी रेप कानून बालिग लड़कियों के साथ होने रेप के मामलों में सजा दिलाने के लिए बना है।
एंटी रेप लड़कियों के लिए, पॉक्सो दोनों के लिए
पॉक्सो एक्ट में किसी बच्ची को पोर्नोग्राफी में फंसाने पर 5 साल की सजा और दोबारा ऐसे मामले में पकड़े जाने पर 7 साल की सजा है। पॉक्सो एक्ट में बालिकाओं के साथ यौन अपराध पर 20 साल उम्रकैद या आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है। जबकि एंटी रेप कानून में रेप पीड़िता मरणासन्न हालत में होने या उसकी मौत हो जाने पर इसे जघन्न अपराधा को मानते हुए दोषी को फांसी की सजा दी जाती है। यदि कोई दूसरी बार रेप केस में दोषी पाया जाता है तो उसे फांसी की सजा दी जाती है।
पॉक्सो एक्ट में झूठी शिकायत करने पर 6 महीने की सजा और जुर्माना है। वहीं यौनाचार और दुराचार भी एंटी रेप कानून में आता है। एसिड अटैक भी एंटी रेप कानून के अंदर आता है और 10 साल की सजा का प्रावधान है।