DRDO ने भारतीय नौसेना के सोनार सिस्टम के लिए कोच्चि में परीक्षण और मूल्यांकन फैसेलिटी शुरू की

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। इसके तहत भारतीय नौसेना के  कोच्चि में स्थित नेवल फिजिकल और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला (NPOL) में सोनार सिस्टम के लिए टेस्टिंग और मूल्यांकन सुविधा शुरू की गई है।

Anish Kumar | Published : Nov 8, 2022 7:27 AM IST

नई दिल्ली/कोच्चि। रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है। इसके तहत भारतीय नौसेना के  कोच्चि में स्थित नेवल फिजिकल और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला (NPOL) में सोनार सिस्टम के लिए टेस्टिंग और मूल्यांकन सुविधा शुरू की गई है। बता दें कि सबमर्सिबल प्लेटफॉर्म फॉर एकॉस्टिक कैरेक्टराइजेशन एंड इवैल्यूएशन (SPACE) मॉड्यूल को हाल ही में लॉन्च किया गया था। इसका उपयोग भारतीय नौसेना द्वारा जहाजों, पनडुब्बियों और हेलिकॉप्टरों के अलावा अलग-अलग प्लेटफार्मों पर किया जा सकता है।

क्या है Hull-Mounted सोनार सिस्टम?
Hull-Mounted सोनार सिस्टम नेवल प्लेटफॉर्म्स का मेन अंडरवॉटर सेंसर है, जो पानी के अंदर पनडुब्बियों, मानव रहित वाहनों, डाइवर डिलिवरी व्हीकल और माइंस का सटीक पता लगाने में काम आता है। सबमर्सिबल प्लेटफॉर्म फॉर एकॉस्टिक कैरेक्टराइजेशन एंड इवैल्यूएशन (SPACE) फैसेलिटी को चेन्नई स्थित एलएंडटी शिपबिल्डिंग द्वारा नेवल फिजिकल और समुद्र विज्ञान प्रयोगशाला (NPOL)द्वारा अनुमानित जरूरत के आधार पर तैयार किया गया है। 

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जनवरी, 2022 में मिली थी  सबमर्सिबल प्लेटफॉर्म की मंजूरी :   
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस सुविधा का उपयोग मुख्य रूप से सोनार सिस्टम के मूल्यांकन के अलावा फौरन तैनाती और सेंसर और ट्रांसड्यूसर जैसे साइंटिफिक पैकजेस की आसान रिकवरी के लिए किया जाएगा। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि SPACE प्लेटफॉर्म का डिजाइन शिपिंग एंड वेसल क्लासिफाइंग अथॉरिटी की सभी वैधानिक जरूरतों के मुताबिक तैयार किया गया है और यह केरल इनलैंड वेसल रूल्स के अनुसार निरीक्षण और रजिस्ट्रेशन मानदंडों को पूरा करता है। जनवरी, 2022 में केरल राज्य बिजली बोर्ड ने सोनार सिस्टम के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए इडुक्की जलाशय में एक सबमर्सिबल प्लेटफॉर्म स्थापित करने के लिए NPOL को अपनी मंजूरी दे दी थी।

क्या है INS सागरध्वनि?
बता दें कि NPOL का अपना समुद्री ध्वनिक अनुसंधान पोत (Marine Acoustic Research Vessel)है, जिसे आईएनएस सागरध्वनि के नाम से जाना जाता है। इसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड में बनाया गया था। इस पोत को DRDO के लिए भारतीय नौसेना चलाती और मेंटेन करती है। इस पोत में पर्यावरण और ध्वनि प्रयोगों के संचालन के लिए कई सुविधाएं मौजूद हैं, जो उथले और गहरे दोनों तरह के पानी में काम करती हैं। 

NPOL ने 1983 में बनाया पहला सोनार सिस्टम : 
बता दें कि NPOL ने 1983 में पहली बार उन्नत पैनोरमिक सोनार Hull-Mounted (APSOH) बनाया था। अब तक इसने कई सोनार प्रणालियां बनाई हैं, जिनमें पंचेंद्रिया, हमसा और मिहिर शामिल हैं। जिन्हें भारतीय नौसेना की पनडुब्बियों के अलावा सतह के जहाजों और हवाई प्लेटफार्मों पर फिट किया गया है।

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