सार

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की जोधपुर स्थित डिफेंस लेबोरेटरी ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के लिए रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु रहित (CBRN) वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम  बनाया है। इसकी मदद से ऊंचाई वाली जगहों पर तैनात रहने वाले सैनिकों को साफ-स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा।

Water Purification System for Army: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की जोधपुर स्थित डिफेंस लेबोरेटरी ने भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के लिए रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु रहित (CBRN) वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम  बनाया है। इसकी मदद से ऊंचाई वाली जगहों पर तैनात रहने वाले सैनिकों को साफ-स्वच्छ पानी उपलब्ध कराया जा सकेगा। दरअसल, युद्ध या किसी आपदा के दौरान ज्यादातर पानी के सोर्स केमिकल और रेडियोएक्टिव पदार्थों की वजह से प्रदूषित हो जाते हैं। ऐसे में इस सिस्टम को सभी तरह की युद्ध और आपातकाल परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है।

जोधपुर की डिफेंस लैब (DLJ) के टेक्निकल ऑफिसर संतोष भाटी ने एशियानेट न्यूज से बातचीत में कहा- युद्ध के दौरान रेडियोएक्टिव पदार्थों की वजह से पानी प्रदूषित हो जाता है। इस तरह के पानी को अगर पी लिया जाए तो वह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं और बीमारियां पैदा कर सकता है। यहां तक ​​कि कई बार मौत भी हो सकती है।

DRDO ने 2 तरह के वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम बनाए : 
बता दें कि जोधपुर की डिफेंस लैब ने दो तरह के CBRN वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम डेवलप किए हैं। ये CBRN WPS Mk1 और CBRN WPS Mk2 हैं। इन दोनों सिस्टम में फर्क ये है कि Mk1 रेगिस्तान और मैदानी इलाकों में तैनात सैनिकों के लिए है। यह 1 डिग्री तापमान के नीचे काम नहीं कर सकता। वहीं Mk2 को ज्यादा ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात रहने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया है और यह जीरो डिग्री पर भी काम करता है। 

इसलिए पड़ी वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की जरूरत : 
DRDO ने भारतीय सेना को अब तक 10 CBRN WPS Mk-1 सिस्टम दिए हैं, जो उपयोग में हैं। DRDO की लैब ने Mk-2 के दो प्रोटोटाइप भी तैयार  किए हैं, जिनमें से एक भारतीय सेना के 14वीं कोर के तहत लद्दाख क्षेत्र के तांगत्से में तैनात है। DRDO के एक वैज्ञानिक के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख में दो साल पहले भारत और चीन के सैनिकों के बीच सीमा को लेकर हुए विवाद के बाद एमके -2 प्रणाली को लाने की जरूरत महसूस हुई थी।

वॉटर रिसोर्सेज को नुकसान पहुंचा सकते हैं दुश्मन : 
दरअसल, चीनी सेना से तकरार के बाद ये आशंका थी कि दुश्मन पानी के स्रोतों को दूषित कर सकते हैं। ऐसे में फ्रंटलाइन पर तैनात जवान अगर प्रदूषित पानी को पिएंगे तो ये उनके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। ऐसे में CBRN WPS Mk-2 जैसा वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम भारतीय सैनिकों की हेल्थ के लिए बहुत कारगर साबित होगा। 

1 घंटे में इतने लीटर पानी शुद्ध करता है ये सिस्टम : 
1बता दें कि Mk-2 वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम -20 डिग्री से लेकर 55 डिग्री के बीच के तापमान में दूषित पानी को शुद्ध करने का काम करता है। अगर पानी में न्यूक्लियर पार्टिकल्स (परमाणु तत्व या धूल) हैं तो ये सिस्टम 1 घंटे में 2500 लीटर पानी को प्यूरिफाइ कर सकता है। वैसे नॉर्मल कंडीशन में ये एक घंटे में 6 हजार लीटर पानी को शुद्ध कर सकता है। 

सेना को 244 वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की जरूरत : 
बता दें कि CBRN WPS Mk-2 वॉटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम की टेस्टिंग पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो में किया गया, जो 14800 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना ने ऐसी 54 प्रणालियों की खरीद के लिए ऑर्डर दिया है। हालांकि, उन्हें 244 सिस्टम की जरूरत है।

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