सार

चीन से सटे पूर्वी लद्दाख में सेना को और मजबूत बनाने के लिए सरकार ने एक सप्ताह के भीतर 2000 से अधिक ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव दिया है। ये ड्रोन  पूरे साजो-सामान के साथ रिमोटली पाइलेटेड एरियल व्हीकल (RPAV) के साथ होंगे। एक हफ्ते में कुल पांच RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी किए गए।

Indian Army Buying 2000 Drones: चीन से सटे पूर्वी लद्दाख में सेना को और मजबूत बनाने के लिए सरकार ने एक सप्ताह के भीतर 2000 से अधिक ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव दिया है। ये ड्रोन  पूरे साजो-सामान के साथ रिमोटली पाइलेटेड एरियल व्हीकल (RPAV) के साथ होंगे। एक हफ्ते में कुल पांच RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी किए गए। ये सभी सर्विलांस ड्रोन और RPAV फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के माध्यम से खरीदे जा रहे हैं, जिन्हें चीन के साथ उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। 

रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, 2000 से अधिक ड्रोन खरीदने से भारतीय सेना पहले की तुलना में ज्यादा मजबूत और ताकतवर होगी। खासकर चीन से सटी उत्तरी सीमा पर ड्रोन से निगरानी बेहद जरूरी है। एक्सपर्ट के मुताबिक, आने वाले समय में युद्ध तकनीक से लड़ा जाएगा और इसके लिए ड्रोन जैसे आधुनिक निगरानी सिस्टम को खरीदना बेहद जरूरी है।  

एशियानेट न्यूज से बातचीत में भारतीय सेना के पूर्व अधिकारी और रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल वीके चतुर्वेदी ने कहा- ड्रोन हथियार प्रणाली के साथ ही निगरानी के लिए भी बेहद जरूरी है। ड्रोन के जरिए बहुत सारे काम किए जा सकते हैं। ड्रोन ऑफेंसिव (पिन-पॉइंट टारगेट) और निगरानी सभाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन ड्रोनों को उत्तरी सीमाओं में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के साथ निगरानी के लिए तैनात किया जाएगा, ताकि दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। खासकर चीन द्वारा बॉर्डर एरिया के आसपास निर्माण और दूसरी चीजों के बारे में नजर रखने में मदद मिलेगी। 

क्या है RPAV?
25 अक्टूबर को सरकार ने भारतीय सेना के पैराशूट (विशेष बल) बटालियनों के साथ तैनात किए जाने वाले 750 आरपीएवी के लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) जारी किया। पैराशूट बटालियन को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया जाना बेहद जरूरी है। बता दें कि RPAV एक पावरफुल सिचुएशनल अवेयरनेस डिवाइस है, जो टारगेट एरिया को स्कैन करने की क्षमता के साथ-साथ दिन और रात में निगरानी का काम करता है। इसके साथ ही यह स्पेशल मिशन में टारगेट की  3D स्कैन इमेज भी देता है। 

RPAS के लिए भी RFP जारी : 
RPAV डिवाइस को सिचुएशन अवेयरनेस, कम दूरी की निगरानी, टारगेट एरिया को स्कैन करने के साथ ही उसकी 3डी इमेज देने के लिए तैनात किया जाएगा। इससे सेना को मजबूती तो मिलेगी ही, साथ ही वो डायरेक्ट एक्शन टास्क के दौरान सटीक हमलों को अंजाम भी दे सकेगी। बता दें कि इससे पहले, 20 अक्टूबर को 80 मिनी रिमोटली पायलटेड एरियल सिस्टम (RPAS) के लिए एक RFP जारी किया गया था। RPAS का उपयोग सामरिक निगरानी के लिए किसी विशेष क्षेत्र में दुश्मन के सैनिकों, उपकरणों और हथियार प्रणालियों का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

आर्टिलरी यूनिट की निगरानी करेंगे RPAS : 
RPAS की जरूरत 15 किमी की मिशन रेंज के साथ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में आर्टिलरी यूनिट की निगरानी के लिए होती है। अगर RPAS अच्छा काम करते हैं तो आर्मी के लिए बड़ी संख्या में इसकी खरीद की जा सकती है। इसके अलावा, सेना हिमालय में संचालित किए जाने वाले 1,000 निगरानी कॉप्टरों की भी मांग कर रही है और बैटल कमांडरों को लाइव फीड उपलब्ध करा रही है। 

पिछले हफ्ते 363 ड्रोन के लिए जारी हुआ था RFP : 
ये सभी UAV और RPAV भारतीय कंपनियों से मंगवाए जाएंगे। ये कॉप्टर सेना को हवाई और निरंतर निगरानी क्षमता प्रदान करेंगे। इसमें एक मल्टी-सेंसर सिस्टम होगा, जो रियल टाइम निगरानी करेगा। इससे पहले पिछले हफ्ते सेना ने 363 ड्रोन खरीदने के प्रस्तावों के लिए दो RFP जारी किए थे। इनमें 163 ड्रोन उच्च ऊंचाई पर संचालित होने वाले हैं, जबकि शेष 200 सहायक उपकरण के साथ मध्यम ऊंचाई के लिए होंगे। 

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