कोरोना के चलते सुरक्षित हुईं महिलाएं, 83% कम हुए शारीरिक उत्पीड़न के मामले

कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है। यह लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। लॉकडाउन के चलते लोगों को कुछ समस्याएं भी उठानी पड़ रही हैं। हालांकि, लॉकडाउन के चलते देश की राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में कमी देखने को मिली है। 
 
नई दिल्ली. कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है। यह लॉकडाउन 3 मई तक बढ़ा दिया गया है। लॉकडाउन के चलते लोगों को कुछ समस्याएं भी उठानी पड़ रही हैं। हालांकि, लॉकडाउन के चलते देश की राजधानी में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में कमी देखने को मिली है। 

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार  22 मार्च से 12 अप्रैल तक धारा 376 के तहत रेप के 23 मामले दर्ज किए गए हैं। इसी दौरान पिछले साल 139 रेप केस दर्ज किए गए थे। यानी पिछली बार की तुलना में रेप के मामलों में  83.4% की कमी देखने को मिली है। 

महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामले भी कम हुए
डाटा के मुताबिक, 22 मार्च से 12 अप्रैल तक महिलाओं के खिलाफ मारपीट और अत्याचार के मामलों में भी कमी देखने को मिली है। इस दौरान महिलाओं से मारपीट और अत्याचार के 33 मामले दर्ज किए गए हैं। पिछली साल इसी दौरान 233 केस दर्ज किए गए थे। यानी पिछली बार की तुलना में मारपीट और महिलाओं से अत्याचार के मामलों में 85.8% की कमी हुई है।

इसलिए कम हो रहे अपराध
एक सीनियर पुलिस अफसर के मुताबिक, कई बार अपराध अचानक होते हैं, जैसे किसी ने उकसा दिया। लेकिन अब सभी लोग घर पर हैं। ना भीड़ है ना ही गुस्सा दिलाने वाला माहौल है। ऐसे में अपराध कम हो रहे हैं।

महिलाओं के खिलाफ कम हो रहे अपराधों को लेकर पुलिस अफसर ने बताया, लोगों का संपर्क घट रहा है। मेट्रो, बस अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हैं। इसके अलावा शराब की ब्रिकी भी बंद है। अपराध कम होने का एक कारण यह भी है। वहीं, दुकानें और कारोबार भी बंद हैं, इसलिए धोखाधड़ी के केसों में भी कमी आई है। 

कुछ पुराने मामलों में भी केस हो रहे दर्ज
पुलिस अफसर ने बताया, जब समाज होता है, तभी आरोप होते हैं। सोशल डिस्टेंसिंग होने से भी अपराध कम हुए हैं। उन्होंने बताया कि कुछ रेप के पुराने मामले अभी सामने आए हैं। पुलिस ने बताया, 15 से 31 मार्च तक भी अपराध घटे हैं। पिछले साल इस अवधि में महिलाओं के खिलाफ छेड़छाड़ के 144  मामले सामने आए थे, जो इस बार सिर्फ 72 सामने आए हैं। वहीं, लूट के 109 मामलों से घटकर 53 रह गए हैं।  

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