ध्यान से सुनिएगा मैं CHINA का नाम ले रहा हूं...विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन बार्डर, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री सहित कई मुद्दों पर बेबाकी से दिया जवाब

EAM Jaishankar on China: पूर्वी लद्दाख में LAC पर चीन की आक्रामकता को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार निशाना साध रहे कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पलटवार किया है।

 

Dheerendra Gopal | Published : Feb 21, 2023 12:14 PM IST / Updated: Feb 25 2023, 07:36 PM IST
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राहुल गांधी ने नहीं पीएम मोदी ने बार्डर सेना भेजी...

मंगलवार को एक इंटरव्यू में विदेश मंत्री ने कहा- भारत-चीन बार्डर पर राहुल गांधी ने नहीं बल्कि पीएम नरेंद्र मोदी ने सेना भेजी है। चीन द्वारा सेना की तैनाती के जवाब में वास्तविक नियंत्रण रेखा और 1962 में जो हुआ उसे विपक्षी दल को ईमानदारी से देखना चाहिए।

बड़ी अर्थव्यवस्था वाले चीन से सीधे तौर पर भिड़ने से बचने की बात कहते हुए जयशंकर ने कहा कि "वे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। मैं क्या करने जा रहा हूं? एक छोटी अर्थव्यवस्था के रूप में मैं एक बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ लड़ाई करने जा रहा हूं? यह इस पर प्रतिक्रिया करने का सवाल नहीं है। यह सामान्य ज्ञान का सवाल है। दूसरा , कृपया एक बात का ध्यान रखें, हमारे बीच एक समझौता हुआ था कि वे सेना को बड़ी संख्या में सीमा पर नहीं लाएंगे। तो आपके उस तर्क से मुझे सबसे पहले समझौता तोड़ना चाहिए?" 

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चीन ने जो पुल बनाया वह क्षेत्र पहले से उसके कब्जे में था

पिछले साल चीन द्वारा पैंगोंग झील पर पुल बनाने पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के आक्रोश का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा- यह क्षेत्र 1962 के युद्ध के बाद से चीन के कब्जे में था। कांग्रेसी नेताओं को 'सी' से शुरू होने वाले शब्दों को समझने में कुछ समस्या आती है। वह क्षेत्र वास्तव में चीनी नियंत्रण में कब आया? मुझे लगता है वे जानबूझकर स्थिति को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं। चीनी पहली बार 1958 में वहां आए थे और चीनियों ने अक्टूबर 1962 में इस पर कब्जा कर लिया था। अब आप 2023 में एक पुल के लिए मोदी सरकार को दोष देने जा रहे हैं, जिस पर चीनियों ने 1962 में कब्जा कर लिया था। आपमें यह कहने की ईमानदारी नहीं है कि यह वहीं हुआ, जहां यह हुआ था।

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राजीव गांधी बीजिंग गए, सीमा पर स्थिरता के लिए समझौता किए

जयशंकर ने कहा- राजीव गांधी 1988 में बीजिंग गए थे। उन्होंने 1993 और 1996 में समझौतों पर हस्ताक्षर किए। मुझे नहीं लगता कि उन समझौतों पर हस्ताक्षर करना गलत था। राजीव गांधी ने सीमा को स्थिर करने के लिए यह कदम उठाया। उन्होंने वही किया जो देशहित में करना चाहिए था। इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। चीन से समझौता करके उन्होंने बार्डर को स्थिर किया।

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मोदी सरकार क्या चीन के मुद्दे पर डिफेंसिव है?

विदेश मंत्री ने कहा- वर्तमान में चीन सीमा पर शांतिकाल की सबसे बड़ी तैनाती है। मुझे लगता है चीन के मुद्दे को लेकर एक नैरेटिव नहीं बनानी चाहिए कि सरकार डिफेंसिव है। हम शांति चाहते हैं लेकिन हमने चीन बार्डर पर सबसे अधिक सेना तैनात कर रखा है। यह सब शांति के लिए है। मैं लोगों से पूछता हूं कि क्या हम उदार हो रहे थे, जिसने भारतीय सेना को एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) भेजा।  राहुल गांधी ने उन्हें नहीं भेजा। नरेंद्र मोदी ने उन्हें भेजा। हमारे पास आज चीन सीमा पर हमारे इतिहास में शांतिकाल की सबसे बड़ी तैनाती है। हम वहां भारी कीमत पर सैनिकों को बड़ी मेहनत से रख रहे हैं। हमारी सरकार सीमा पर हो रहे बुनियादी ढांचे के खर्च को पांच गुना बढ़ा दिया। अब मुझे बताओ रक्षात्मक और उदार व्यक्ति कौन है? वास्तव में सच कौन बोल रहा है? कौन चीजों को सही ढंग से प्रजेंट कर रहा है? कौन इतिहास के साथ खेल रहा है? आप लोग खुद देखो।

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चीन मुद्दे की अधिक जानकारी नहीं...

राहुल गांधी ने कहा था एस जयशंकर को विदेश नीति के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है और उन्हें थोड़ा और सीखने की जरूरत है? इसपर जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा- अगर वायनाड सांसद के पास अधिक जानकारी या ज्ञान है तो मैं उन्हें सुनने को तैयार हूं। मैं केवल इतना कह सकता हूं कि मैं चीन में सबसे लंबे समय तक राजदूत रहा हूं। अगर उनके पास चीन के लिए बेहतर ज्ञान है तो मैं हमेशा सुनने को तैयार हूं। मेरे लिए जीवन एक सीखने की प्रक्रिया है। यदि यह एक संभावना है, तो मैंने कभी भी अपने दिमाग को किसी भी चीज़ के लिए बंद नहीं किया है, चाहे वह कितना भी असंभव क्यों न हो।

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कांग्रेस सरकार ने सीमाओं पर बुनियादी ढ़ांचे का निर्माण नहीं किया

विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने बुनियादी ढांचे का निर्माण क्यों नहीं किया? मोदी काल के दौरान सीमा के बुनियादी ढांचे के बजट को पांच गुना बढ़ा दिया गया है। 2014 तक यह लगभग 3000-4000 करोड़ रुपये था, आज यह 14,000 करोड़ रुपये है। आप जो सड़कें देखते हैं, जो पुल बनते हैं, वे दोगुने या तीन गुने हो गए हैं, सुरंगों को देखें, यह सरकार सीमा के बुनियादी ढांचे के लिए गंभीर है। 

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मोदी सरकार चीन से नहीं डरती

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा- हम चीन से नहीं डरते हैं। अगर डरते होते तो बॉर्डर पर सेना तैनात नहीं करते। कांग्रेस को तो ईमानदारी से ये देखना चाहिए कि 1962 में क्या हुआ था। लद्दाख में पैंगोंग झील के पास का इलाका 1962 से चीन के अवैध कब्जे में है।

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1984 के दंगों पर क्यों नहीं बनी डॉक्यूमेंट्री?

जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाने वाले विदेशी मीडिया, कांग्रेस पार्टी, BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री और अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस के बयानों की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा- इस वक्त इन सारी रिपोर्ट्स और बयानों का सिर्फ एक ही मतलब है कि लंदन और न्यूयॉर्क में चुनावी मौसम शुरू हो गया है। आजकल विदेशी मीडिया और विदेशी ताकतें पीएम मोदी को टारगेट कर रही हैं। एक कहावत है- वॉर बाय अदर मीन्स, यानी युद्ध छेड़ने के दूसरे उपाय। ऐसे ही यहां पॉलिटिक्स बाय अदर मीन्स यानी दूसरे उपायों से पॉलिटिक्स की जा रही है।आप सोचिए, अचानक क्यों इतनी सारी रिपोर्ट्स आ रही हैं, इतनी बातें की जा रही हैं, ये सब पहले क्यों नहीं हो रहा था। अगर आपको डॉक्यूमेंट्री बनाने का शौक है तो दिल्ली में 1984 में बहुत कुछ हुआ। हमें उस घटना पर डॉक्यूमेंट्री देखने को क्यों नहीं मिली।

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ध्यान से सुनिएगा मैं CHINA का नाम ले रहा हूं...

चीन के मुद्दे पर राहुल गांधी और कांग्रेस को जवाब देते हुए उन्होंने कहा- आरोप लगता है कि हम चीन से डरते हैं, उसका नाम भी नहीं लेते हैं। मैं बता दूं कि हम चीन से नहीं डरते। अगर डरते होते तो भारतीय सेना को चीन बॉर्डर पर किसने भेजा? ये सेना राहुल गांधी ने नहीं भेजी, नरेंद्र मोदी ने भेजी है। कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां आरोप लगाती हैं कि लद्दाख में पैंगोंग झील के पास चीन ब्रिज बना रहा है। मैं आपको बता दूं यह इलाका 1962 से चीन के अवैध कब्जे में है। इस वक्त भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पीस टाइम डिप्लॉयमेंट चीन बॉर्डर पर तैनात है, और प्लीज आप इस बात को नोट कीजिए…मैंने चीन कहा…CHINA…

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