अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने का ED ने किया विरोध, सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा-गलत संदेश जाएगा

प्रवर्तन निदेशालय ने अपने हलफनामा में कहा कि देश का कानून सभी के लिए समान है। चुनाव प्रचार करना कोई मौलिक, संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है।

Dheerendra Gopal | Published : May 9, 2024 11:31 AM IST / Updated: May 09 2024, 05:56 PM IST

Arvind Kejriwal interim bail: लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने पर सुप्रीम कोर्ट विचार कर रहा है। उधर, ईडी ने एफिडेविट दायर कर अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने अपने हलफनामा में कहा कि देश का कानून सभी के लिए समान है। चुनाव प्रचार करना कोई मौलिक, संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है। अरविंद केजरीवाल को चुनाव के लिए अंतरिम जमानत नहीं दिया जाना चाहिए। ईडी ने कहा कि अभी तक किसी भी नेता को प्रचार के लिए जमानत नहीं दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में कहा-केजरीवाल निर्वाचित सीएम हैं, आदतन अपराधी नहीं…

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ईडी ने अरविंद केजरीवाल को दिल्ली आबकारी नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के कथित आरोपों में 21 मार्च 2024 को अरेस्ट किया था। अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चैलेंज किया है। सुप्रीम कोर्ट, केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर सुनवाई कर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केजरीवाल दिल्ली के निर्वाचित मुख्यमंत्री हैं। वह आदतन अपराधी नहीं हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा: चुनाव हैं, ये असाधारण परिस्थितियां हैं और वह आदतन अपराधी नहीं हैं।

चुनाव प्रचार मौलिक अधिकार नहीं…

उधर, ईडी ने गुरुवार को जमानत दिए जाने पर विचार किए जाने का विरोध करते हुए एफिडेविट देकर इसका विरोध किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अबतक किसी भी राजनीतिक नेता को प्रचार के लिए जमानत नहीं दी गई है। केजरीवाल को अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए जेल से बाहर जाने दिया जाना एक गलत मिसाल होगा। ईडी ने कहा कि केजरीवाल ने मुख्य रूप से लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत मांगी है। यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और यहां तक ​​कि कानूनी अधिकार भी नहीं है। ईडी ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 123 चुनाव हुए हैं और यदि चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी जाती है तो किसी भी राजनेता को न्यायिक हिरासत में नहीं रखा जा सकता क्योंकि चुनाव साल भर होते हैं। कोर्ट के ही एक तर्क को दोहराते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने कहा कि प्रचार करना एक राजनेता के काम का हिस्सा है और समानता के नियम का पालन करते हुए, छोटे किसान या छोटे व्यापारी भी अपने काम की मांगों को पूरा करने के लिए अंतरिम जमानत मांग सकते हैं। ईडी ने यह भी कहा कि केजरीवाल मौजूदा चुनाव भी नहीं लड़ रहे हैं तो जमानत दिए जाने का कोई आधार भी नहीं।

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