ED डायरेक्टर के तीसरे एक्सटेंशन को SC में जया ठाकुर ने किया चैलेंज, लोकतांत्रिक ढांचे को नष्ट करने का आरोप

केंद्र सरकार ने 18 नवम्बर को ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का सेवा कार्यकाल तीसरी बार एक साल के लिए और बढ़ा दिया। इस आदेश के अगले ही दिन ईडी डायरेक्टर के सर्विस एक्सटेंशन वाले केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस एसके कौल ने खुद को केस से अलग कर लिया था।

Dheerendra Gopal | Published : Dec 1, 2022 3:47 PM IST / Updated: Dec 01 2022, 09:33 PM IST

ED Director third extension challenged: ईडी डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा के एक्सटेंशन की चुनौती फिर से सुप्रीम कोर्ट में दी गई है। संजय मिश्र के कार्यकाल में तीसरी बार एक्सटेंशन दिया गया है। कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर बार-बार के कार्यकाल विस्तार को देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट करने का मामला करार दिया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशान और प्रताड़ित करने के लिए ईडी का इस्तेमाल कर रही है, इसलिए इसके डायरेक्टर की सर्विस को बार-बार एक्टेंड कर रही। कहा गया है कि केंद्र सरकार एजेंसियों का दुरुपयोग कर लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर क्या कहा गया?

याचिकाकर्ता की ओर से रिट दायर करने वाले अधिवक्ता वरुण ठाकुर और शशांक रत्नू ने कहा कि संजय कुमार मिश्र के कार्यकाल का विवादित विस्तार हमारे देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नष्ट कर रहा है। शीर्ष अदालत ने पहले ही एक विशिष्ट आदेश पारित किया था कि ईडी डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा को कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा लेकिन केंद्र ने उनको तीसरी बार विस्तार दे दिया है। पहले उन्हें 17 नवंबर, 2021 से 17 नवंबर, 2022 तक दूसरा विस्तार दिया था। इसके बाद यह याचिका दायर की गई थी। अब तीसरी बार फिर से 18 नवम्बर 2023 तक सेवा विस्तार दे दिया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि इस विस्तार से ऐसा लग रहा है कि प्रतिवादी संख्या 1 का कानून के शासन के प्रति कोई सम्मान नहीं है।

ईडी डायरेक्टर के सेवा विस्तार के बाद सुनवाई करने वाले जज हट गए

दरअसल, केंद्र सरकार ने 18 नवम्बर को ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा का सेवा कार्यकाल तीसरी बार एक साल के लिए और बढ़ा दिया। इस आदेश के अगले ही दिन ईडी डायरेक्टर के सर्विस एक्सटेंशन वाले केस की सुनवाई कर रहे जस्टिस एसके कौल ने खुद को केस से अलग कर लिया था। दरअसल, जस्टिस कौल की बेंच, ईडी डायरेक्टर के लिए पांच साल तक के विस्तार की अनुमति देने वाले संशोधित कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में रणदीप सिंह सुरजेवाला, जया ठाकुर, टीएमसी नेता मोहुआ मोइत्रा और साकेत गोखले ने अलग-अलग याचिकाएं दाखिल की थीं।

क्यों है विवाद?

केंद्र सरकार ने आईआरएस अधिकारी संजय कुमार मिश्रा को 19 नवम्बर 2018 को ईडी का डायरेक्टर नियुक्त किया था। 1984 बैच के आईआरएस अधिकारी मिश्रा को ईडी चीफ बनाए जाने के बाद कार्यकाल खत्म होने के पहले यानी 13 नवम्बर 2020 को फिर से एक एक्सटेंशन दे दिया गया। यह एक्सटेंशन दो साल का था। इस कार्यकाल विस्तार के बाद विपक्ष ने सत्ता के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी दुर्लभ एवं स्पेशल केस में ही विस्तार की अनुमति दी जा सकती है। इस तरह का विस्तार देने के लिए विस्तार की वजह को विस्तृत तरीके से स्पष्ट करना होगा। इसके बाद यह भी कहा गया कि आगे संजय मिश्रा के सेवा में कोई विस्तार नहीं दिया जाएगा। लेकिन इसी 18 नवम्बर 2022 को संजय मिश्रा के पूर्व के दो साल के विस्तार को तीन साल करते हुए उनको 2023 तक डायरेक्टर बने रहने का रास्ता सरकार ने साफ कर दिया। सरकार ने पिछले साल एक अध्यादेश जारी किया था जिसके तहत ईडी और सीबीआई प्रमुखों के कार्यकाल को दो साल की अनिवार्य अवधि के बाद तीन साल तक बढ़ाया जा सकता है। इसी संशोधित कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

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