37 साल की यात्रा का लिया आनंद, सभी जजों को मिलना चाहिए संविधान पीठ का हिस्सा बनने का समान अवसर: CJI

Published : Nov 07, 2022, 05:29 PM IST
37 साल की यात्रा का लिया आनंद, सभी जजों को मिलना चाहिए संविधान पीठ का हिस्सा बनने का समान अवसर: CJI

सार

अपने विदाई भाषण में चीफ जिस्टिस उदय उमेश ललित (CJI UU Lalit) ने कहा कि मैंने अपने 37 साल के कार्यकाल का आनंद लिया। जस्टिस चंद्रचूड़ को कमान सौंपना बहुत अच्छा एहसास है।

नई दिल्ली। भारत के चीफ जिस्टिस उदय उमेश ललित (CJI UU Lalit) मंगलवार (8 नवंबर) को रिटायर हो जाएंगे। सोमवार (7 दिसंबर) उनका आखिरी कार्यदिवस रहा। अपने विदाई भाषण में यूयू ललित ने सुप्रीम कोर्ट में अपने 37 साल के सफर को याद किया और कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल का आनंद उठाया। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ अगले सीजेआई बनेंगे।

यूयू ललित ने कहा कि जस्टिस चंद्रचूड़ को कमान सौंपना बहुत अच्छा एहसास है। उन्होंने अपने पिता और 16वें सीजेआई यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ के सामने पेश होकर सुप्रीम कोर्ट में अपना कार्यकाल शुरू किया था। चीफ जस्टिस ने कहा, "मैंने इस कोर्ट में 37 साल बिताए हैं। कोर्ट नंबर वन से मेरी यात्रा शुरू हुई थी। इससे पहले मैं बॉम्बे में प्रैक्टिस कर रहा था। यहां पहली बार सीजेआई वाई वी चंद्रचूड़ के सामने एक मामले का उल्लेख करने आया था। मेरी यात्रा इस कोर्ट से शुरू हुई थी और आज इसी कोर्ट में समाप्त हो रही है। मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को संविधान पीठ का हिस्सा बनने का समान अवसर मिलना चाहिए। " 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- यूयू ललित के कार्यकाल में हुए काफी सुधार
भारत के 50वें CJI के रूप में कार्यभार संभालने जा रहे जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि CJI ललित को सुप्रीम कोर्ट का सीनियर वकील और जज बनने का अनूठा गौरव मिला है। आज हमारे यहां ललित परिवार की तीन पीढ़ियां हैं। CJI ललित के पिता CJI स्वयं और अगली पीढ़ी। आपके चीफ जस्टिस के रूप में कार्यकाल में बड़ी संख्या में सुधार हुए। आपके द्वारा किए गए सुधार आगे भी जारी रहेंगे। मैं चीफ जस्टिस को लंबे समय से जानता हूं। मैंने केवल एक ही मामले पर उनका विरोध किया है।

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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जजों के सभी बचे हुए रिक्त पदों को भरने के लिए जस्टिस ललित की कोशिश अधूरी रह गई। उनके उत्तराधिकारी जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस एस ए नजीर ने कॉलेजियम के पांच सदस्यों द्वारा नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश के प्रस्ताव पर लिखित सहमति लेने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई है। 

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