राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने मंगलवार को कहा कि 1993 से दिल्ली में सीवर की सफाई करने के दौरान 64 लोगों की मौत हो गयी और पिछले दो साल में इस तरह के काम में 38 लोगों की जान गयी ।
नई दिल्ली. राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने मंगलवार को कहा कि 1993 से दिल्ली में सीवर की सफाई करने के दौरान 64 लोगों की मौत हो गयी और पिछले दो साल में इस तरह के काम में 38 लोगों की जान गयी । एनसीएसके अध्यक्ष मनहर वालजीभाई जाला ने दावा किया कि दिल्ली सरकार ‘हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013’ को लागू नहीं कर रही है और बाकी देश में एक गलत संदेश गया है ।
कानून मंत्री ने दी सफाई
हालांकि, दिल्ली के सामाजिक कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कानून का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया है और मॉल और बहुमंजिला इमारतों के सेप्टीक टैंक में मौतें हुई हैं, जहां दिल्ली जल बोर्ड की सीवर सफाई मशीनें नहीं पहुंच पाती। मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म कर दिया है और मॉल तथा इमारतों में सेप्टीक टैंक की सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था को खंगाल रही है। उन्होंने कहा, मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और निकृष्ट प्रथा के अंत के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हमने मंगलयान विकसित किया, हमें सीवर सफाई के लिए नयी प्रौद्योगिकी विकसित करनी चाहिए। दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद, जाला ने कहा कि पिछले दो साल में अकेले दिल्ली में ही सीवर में 38 लोगों की मौत हुई थी और 1993 के बाद से शहर में 64 मौतें हो चुकी है । सीवर की सफाई करते हुए मारे गए इन 64 लोगों में राज्य सरकार ने 46 के परिवारों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया।
मॉल और बहुमंजिला इमारतों की सफाई में हुई मौतें
आयोग ने दिल्ली प्रशासन से बाकी परिवारों को एक हफ्ते के भीतर मुआवजा प्रदान करने को कहा। पिछले साल किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया कि दिल्ली में हाथ से मैला ढोने वाले कुल 50 लोग थे लेकिन ‘‘उनके पुनर्वास के लिए कुछ नहीं किया गया। भाषा आशीष नरेश नरेश 2409 1559 दिल्ली जसजस आवश्यक .दिल्ली दि 30 दिल्ली सीवर मौत दिल्ली में 1993 के बाद से सीवर की सफाई के दौरान 64 लोगों की मौत : एनसीएसके नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (एनसीएसके) ने मंगलवार को कहा कि 1993 से दिल्ली में सीवर की सफाई करने के दौरान 64 लोगों की मौत हो गयी और पिछले दो साल में इस तरह के काम में 38 लोगों की जान गयी । एनसीएसके अध्यक्ष मनहर वालजीभाई जाला ने दावा किया कि दिल्ली सरकार ‘हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013’ को लागू नहीं कर रही है और बाकी देश में एक गलत संदेश गया है । हालांकि, दिल्ली के सामाजिक कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि दिल्ली सरकार ने कानून का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया है और मॉल और बहुमंजिला इमारतों के सेप्टीक टैंक में मौतें हुई हैं, जहां दिल्ली जल बोर्ड की सीवर सफाई मशीनें नहीं पहुंच पाती।
सरकार ने खत्म की है हाथ से मैला ढोने की प्रथा
मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म कर दिया है और मॉल तथा इमारतों में सेप्टीक टैंक की सफाई की वैकल्पिक व्यवस्था को खंगाल रही है । उन्होंने कहा, मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए और निकृष्ट प्रथा के अंत के लिए हाथ मिलाना चाहिए। हमने मंगलयान विकसित किया, हमें सीवर सफाई के लिए नयी प्रौद्योगिकी विकसित करनी चाहिए। दिल्ली सरकार के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद, जाला ने कहा कि पिछले दो साल में अकेले दिल्ली में ही सीवर में 38 लोगों की मौत हुई थी और 1993 के बाद से शहर में 64 मौतें हो चुकी है । सीवर की सफाई करते हुए मारे गए इन 64 लोगों में राज्य सरकार ने 46 के परिवारों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया। आयोग ने दिल्ली प्रशासन से बाकी परिवारों को एक हफ्ते के भीतर मुआवजा प्रदान करने को कहा। पिछले साल किए गए एक सर्वेक्षण में कहा गया कि दिल्ली में हाथ से मैला ढोने वाले कुल 50 लोग थे लेकिन उनके पुनर्वास के लिए कुछ नहीं किया गया।
(यह खबर न्यूज एजेंसी पीटीआई भाषा की है। एशियानेट हिंदी की टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)