भारत-पाकिस्तान युद्ध में मेडल पाने वाले सैनिक के पास अपना घर नहीं, 71 की उम्र में ऑटो चलाने को मजबूर

साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान जिस सैनिक को स्टार मेडल मिला, आज उसके पास रहने के लिए अपना घर तक नहीं है। यही नहीं, आर्थिक परेशानियों की वजह से उन्हें ऑटो रिक्शा चलाने को मजबूर होना पड़ा है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 4, 2021 6:20 AM IST / Updated: Mar 04 2021, 11:53 AM IST

नेशनल डेस्क। साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान जिस सैनिक को स्टार मेडल मिला, आज उसके पास रहने के लिए अपना घर तक नहीं है। यही नहीं, आर्थिक परेशानियों की वजह से उन्हें ऑटो रिक्शा चलाने को मजबूर होना पड़ा है। हैदराबाद में रहने वाले सेना के पूर्व जवान शेख अब्दुल करीम अपने परिवार का पेट भरने के लिए ऑटो चलाते हैं। उन्होंने राज्य सरकार से मदद की अपील की है। शेख अब्दुल करीम को 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में उनकी बहादुरी के लिए एक विशेष पुरस्कार स्टार मेडल दिया गया था।

क्या कहना है करीम का
शेख अब्दुल करीम ने कहा कि वे अपने पिता की मृत्यु के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। उनके पिता ने पहले ब्रिटिश सेना में काम किया था और बाद में भारतीय सेना में भी शामिल हुए। अब्दुल करीम ने कहा कि वे 1964 में भारतीय सेना में बतौर सैनिक शामिल हुए। उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया और लाहौल क्षेत्र में तैनात रहे। उन्हें स्टार मेडल से सम्मानित किया गया। 

बाद में सेना से हटा दिया गया
शेख अब्दुल करीम ने कहा कि इंदिरा गांधी के शासन में जब सेना में सरप्लस जवान थे, उनमें से कई को पोस्टिंग से हटा दिया गया था और वे भी उनमें से एक थे। करीब के मुताबिक, सेना में रहते हुए उन्होंने सरकारी जमीन के लिए आवेदन किया था और उन्हें 5 एकड़ जमीन दी गई थी। यह जमीन तेलंगाना के गोलपल्ली गांव में है। करीम ने कहा कि लगभग 20 वर्षों के बाद उन्हें जो 5 एकड़ जमीन दी गई थी, वह 7 गांव के लोगों के बीच वितरित की गई है। इसके बारे में शिकायत करने के बाद उन्हें एक दूसरे गांव में 5 एकड़ जमीन की पेशकश की गई थी, लेकिन उनके गांव से अलग होने की वजह से उन्होंने उसे लेने से इनकार कर दिया। करीब एक साल हो जाने के बाद भी अब तक जमीन के विवरण का दस्तावेज तैयार नहीं हुआ है। 

71 साल की उम्र में चला रहे ऑटो 
करीम ने कहा कि सेना से निकाले जाने के बाद उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनके पास घर भी नहीं है और अब 71 वर्ष की उम्र में अपने परिवार के खर्चों की व्यवस्था के लिए ऑटो रिक्शा चलाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मैंने 9 साल तक सेना के जवान के रूप में इस देश के लिए अपनी सेवाएं दीं, लेकिन मुझे सेना से हटा दिया गया और अब 71 साल की उम्र में वे ऑटो रिक्शा चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनकी आमदनी इतनी कम है कि परिवार के खर्चे पूरे नहीं पड़ते। उन्होंने सरकार से गरीबों को दिए जाने वाले डबल बेडरूम फ्लैटों के साथ बेघर हुए पूर्व सैनिकों को घर दिए जाने का भी आग्रह किया।

पदक जीतने के बावजूद नहीं मिलती पेंशन 
उन्होंने कहा कि अच्छी सेवा के लिए पदक जीतने के बावजूद उन्हें सरकार से किसी भी तरह की पेंशन या कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है। उन्होंने केंद्र सरकार से भी अपील की है वैसे पूर्व सैनिकों की आर्थिक मदद की जाए, जिनकी हालत अच्छी नहीं है।

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