Exclusive:भगवा पर राजनीति ठीक नहीं, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने तिरंगे के रंग को बारीकी से समझाया

देश में हिजाब और भगवा पर मचे विवाद के बीच दो समुदायों में अलग-अलग राय है। सोशल मीडिया से लेकर राज्यों तक एक बड़ा वर्ग हर जगह अपनी अलग बात रख रहा है। इस बीचकेरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने इस पर अपनी दो टूक राय दी है। उन्होंने बताया कि रंगों को लेकर कुरान में क्या जिक्र है। 

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने भगवा को लेकर भी बातचीत की। एशियानेट न्यूज ने विशेष बातचीत में केरल के राज्यपाल ने कहा कि बाइबिल में एक सुनहरे बछड़े का जिक्र है। कुरान कहता है कि यह केसरिया रंग का होना चाहिए, वह रंग जो आंखों को सबसे ज्यादा भाता है। तुम्हारे लिए, भगवा रंग धार्मिक है, मेरे लिए केसरिया रंग है जो मेरी आंखों को भाता है। मेरे लिए एक भारतीय के रूप में केसरिया त्याग का रंग है। हम अजीब लोग हैं, हम कहते हैं कि हमारे पास यह तिरंगा है - भगवा हिस्सा हिंदू है, सफेद हिस्सा अन्य है, और हरा हिस्सा मुसलमान है। लोग इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते। भारतीय रंग में केसर का अर्थ है त्याग! इसका अर्थ है त्याग की भावना, इसका अर्थ है अपने लिए नहीं दूसरों के लिए जीना। सफेद शांति का प्रतीक है, हरा रंग मुसलमानों को नहीं दर्शाता है, हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है।

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यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कही ये बात
केरल के राज्यपाल ने कहा कि हमारे संविधान में इसका (यूनिफॉर्म सिविल कोर्ड) प्रावधान है। ये हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम ऐसा माहौल पैदा करें, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड वास्तविकता बन सके। यूनिफॉर्म सिविल कोड का मकसद सबके बीच में समरूपता पैदा करना नहीं है। सिविल कोड यह थोड़े कहेगा कि मुसलमानों को शादी के बाद मेहर नहीं देना है। इसे नहीं रोका जाएगा। मुसलमानों की बड़ी तादात उन देशों में रह रही है, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू है, तो क्या इससे उनके मजहब को कोई खतरा पैदा हो गया है? जब वहां नहीं हुआ तो हिंदुस्तान में कैसे पैदा हो जाएगा। हमें उनके दिमाग से ये गलतफहमियां निकालनी चाहिए। और पढ़ें

हिजाब विवाद को बताया इन लोगों की साजिश
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान (kerala governor arif mohammed khan) ने कहा कि हिजाब पर जो विवाद पैदा किया गया है, वो बिल्कुल अनावश्यक है। इसके पीछे साजिश है। साजिश ये है कि भारत में जो नई नस्ल है, उसमें लड़कियां खासतौर से स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटी में बहुत अच्छा परफॉर्म कर रही हैं। मुस्लिम बच्चियों की परफॉर्मेंस भी बहुत अच्छी है। यहां एक छोटा तबका है जो पहले तीन तलाक जारी रखना चाहता था वह इस पर चिंता व्यक्त कर रहा है कि कॉलेज जाने वाली मुस्लिम लड़कियों का आचरण ऐसा है जो दीन के लिए खतरा बन रहा है। ये वो माइंडसेट है। इसलिए ये हिजाब की कंट्रोवर्सी पैदा करके कॉलेज-यूनिवर्सिटी की एजुकेशन लड़कियां न हासिल कर सकें। अगर हिजाब पहनकर पढ़ाई कर भी ली तो उन्हें जो नौकरियां मिलनी हैं, उस पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। और ये वापस घर की चहारदीवारी के अंदर कैद हो जाएंगी। आज हमारी बच्चियां फाइटर जेट उड़ा रही हैं, और भी कई काम पुरुषों से बेहतर कर रही हैं। इसलिए ऐसे अनावश्यक विवादों को खत्म कर देना चाहिए और बच्चों को कहना चाहिए कि वे अपनी शिक्षा की तरफ ध्यान दें। अपनी हालत को बदलने का एक ही तरीका है। 

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