Exclusive Interview: संघ प्रमुख से मिलकर बोले कुरैशी-'हमने अपनी चिंताएं बताई, उन्होंने दिया पॉजिटिव रिस्पांस'

भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी (Dr. MY Qurashi) ने हाल ही में संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की। 5 लोगों का डेलीगेशन के साथ यह मुलाकात नई दिल्ली की एक मस्जिद में की गई। इस दौरान दोनों के बीच क्या-क्या बातें हुईं? आप भी जानें।
 

Exclusive Interview Dr SY Qureshi. हाल ही में आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने दिल्ली में कुछ मुस्लिम स्कॉलर्स के साथ बातचीत की। इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं भी सामने आईं। संघ प्रमुख से मुलाकात करने वालों में भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी भी शामिल रहे। एशियानेट डॉयलॉग्स में इस बार हमारे साथ हैं डॉ. एस वाई कुरैशी जिन्होंने संघ प्रमुख के साथ हुई बातचीत का ब्यौरा दिया। एशियानेट न्यूज के रेजिडेंट एडीटर प्रसन्ना रघुवासम ने डॉ. एस वाई कुरैशी के साथ बातचीत की है। पेश है इसके मुख्य अंश...

आएसएस चीफ से मिलने का कारण
डॉ. एसवाई कुरैशी ने बताया कि हम सभी दोस्त साथ में बैठते हैं तो देश के हालात पर बातचीत होती थी। फिर हमें लगा कि आरएसएस चीफ से मिलना चाहिए और उनका व्यू भी जानना चाहिए कि वे मौजूदा स्थिति को किस तरह से देखते हैं। इसलिए हमने उनसे मिलने के लिए एप्रोच किया और करीब एक महीने के बाद उन्होंने कहा कि दिल्ली आ रहे हैं और वहीं मुलाकात की जाए। फिर हमने उनसे मुलाकात की।

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मुलाकात को लेकर लगे आरोप
मुस्लिम समुदाय के 5 लोगों की आरएसएस प्रमुख से मुलाकात के बाद कई तरह के आरोप भी लगे। इसपर कुरैशी ने कहा कि यह आरोप बिल्कुल भी निराधार हैं। हममें से ज्यादातर लोग रिटायर्ड हैं और हम न तो कम्युनिटी को रिप्रेजेंट करते हैं और न हीं हमारा कोई संगठन है। हमारे मन में कुछ चिंताएं थी जिसकी वजह से हमने यह मुलाकात की। जो भी आरोप हैं वे बिल्कुल निराधार हैं।

मुलाकात के बाद क्या फीडबैक मिला
पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा कि 99 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह अच्छा कदम है। जबकि 1 प्रतिशत लोग जो आलोचना कर रहे हैं, उनका कहना है कि इसका कोई रिजल्ट नहीं निकला, इससे कुछ नहीं होने वाला है, लेकिन वे भी इस बात को मानते हैं कि हर समस्या का समाधान सिर्फ डॉयलॉग से ही संभव है। हमारा काम है प्रयास करना बाकी रिजल्ट तो अल्लाह के हाथ में है।

हिंदू-मुस्लिम तनाव और सुरक्षा का मामला
डॉ. कुरैशी ने कहा कि हमने यह मुद्दा उठाया और संघ प्रमुख ने माना कि इसके लिए कुछ कदम उठाए जाने चाहिए क्योंकि यह आपसी सद्भाव के लिए जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों की तरह हिंदुओं में लोग हैं जो आपसी भाईचारा और सौहार्द चाहते हैं। वहीं कुछ लोग हैं जो कहते हैं कि जो हो रहा है, सही है। डॉ. कुरैशी ने कहा कि उन्होंने कुछ कंसर्न सामने रखे और कहा कि गाय हिंदुओं के लिए पूज्य है लेकिन कुछ लोग खुलेआम बीफ खाते हैं और हिंदुओं को भड़काते हैं। डॉ. कुरैशी ने कहा कि मेरे कई सारे दोस्त हिंदू हैं जो बीफ अवायड करते हैं तो मैंने भी पिछले 50 सालों से बीफ नहीं छुआ है। कई देशों में इस पर बैन भी है। डॉक्टर रेड मीट खाने के लिए मना करते हैं तो आप मान जाते हैं। तो क्या यह आपसी सौहार्द के लिए नहीं किया जा सकता है। हमारी इस सभी मुद्दों पर बातचीत हुई है।

संवैधानिक अधिकारों की बात
हम क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, कैसे रहते हैं यह तो हमारा संवैधानिक अधिकार है। इस पर डॉ. कुरैशी ने कहा कि हमने यह बात भी उनके सामने रखी कि संवैधानिक अधिकारों को चुनौती नहीं दी जा सकती है। लेकिन मेरा मानना है कि कुछ अधिकारों को शांति और सौहार्द के लिए छोड़ा भी जा सकता है। डॉ कुरैशी ने कहा कि उन्होंने यह सजेशन दिया कि इस तरह से प्रोवोक करने वावी चीजें नहीं होनी चाहिए। आप तो जानते हैं कि सरकार उनकी है और वे इस पर बैन भी लगा सकते हैं। लेकिन वे अल्पसंख्यकों की भावना का भी ख्याल रख रहे हैं।

हिंदू-मुसलमान और भारतीय मुसलमान
डॉ. कुरैशी ने कहा कि हमने आरएसएस द्वारा हिंदू-मुलसमान कहने की बात पर चर्चा की। वे हिंदू राष्ट्र की भी बात करते हैं। उनका मानना है कि पहले सभी हिंदू थे और बाद की सेंचुरीज में वे कन्वर्ट हुए। इसलिए जिस तरह से हिंद-ईसाई हैं, हिंदू-सिख हैं, उसी तरह से हिंदू मुसलमान हैं। हमने इस पर तुरंत रियेक्ट किया और कहा कि ज्योग्राफिकली देखा जाए तो हिंदू कम्युनिटी ही नहीं एक अलग धर्म है। उसी तरह से इस्लाम भी अलग धर्म है। तो हमें हिंदू-मुसलमान कहना गलत है। उन्होंने इसे माना और कहा कि आप खुद भारतीय मुसलमान कह सकते हैं, इस पर हमें कोई आपत्ति नहीं है। तो क्या राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ हिंदू-मुसलमान कहने की जगह भारतीय मुसमान कहना स्वीकार करेगी? इस पर कुरैशी ने कहा कि इस मुद्दे पर उन्होंने स्पष्ट किया है कि भारतीय मुसलमान कहा जा सकता है और इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी।

मुस्लिम जनसंख्या का मुद्दा
आरएसएस अक्सर तेजी से बढ़ती मुस्लिम आबादी का मुद्दा उठाता है और उसका कहना है कि इससे डेमोग्राफिक चेंज हो रहे हैं। इस पर एसवाई कुरैशी ने कहा कि हमने इस मसले पर भी खुलकर बात की है। मैंने अपनी किताब भी उन्हें दी जिसमें मुस्लिम आबादी को लेकर कई तरह के भ्रम को दूर किया गया है। जो कल्पना की जाती है सच्चाई उससे अलग है। 1991-92 में जो जनगणना हुई थी उसमें हिंदू-मुस्लिम आबादी का अंतर 1.2 था। अब यह घटकर नीचे चला गया है क्योंकि हिंदुओं से ज्यादा तेजी से मुसलमानों ने फैमिली प्लानिंग अपनाई है। हमने उनके सामने 4 प्वाइंट्स में बात रखी है। दूसरा प्वाइंट यह है कि फैमिली प्लानिंग न अपनाने वाली दूसरी बड़ी जनसंख्या हिंदुओं की है। आज की तारीख में 53 प्रतिशत मुस्लिम और 50 प्रतिशत हिंदू फैमिली प्लानिंग अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं। तीसरी बात हमने कही कि यह चर्चा होती है कि मुस्लिम आबादी जल्द ही हिंदू आबादी को पार कर जाएगी। यह पूरी तरह से निराधार है। 

दिल्ली यूनिवर्सिटी के मैथमेटिक्स प्रोफेसर दिनेश सिंह और उनके साथी अजय कुमार ने पिछले 70 सालों के आधार पर जो कैलकुलेशन किया है उसमें यह निकलकर आया कि आने वाले हजार वर्षों तक ऐसा नहीं होने वाला है। मैंने अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया है और वह ग्राफ भी आरएसएस चीफ को दिखाया। उन्होंने इसका विरोध नहीं किया बल्कि ध्यान से हमारी बातों को सुना और समझा। मीटिंग के दौरान पापुलेशन और सिक्योरिटी के मुद्दे पर आरएसएस को कंवीनंस किया या नहीं। इस मुद्दे पर डॉ. एसवाई कुरैशी ने कहा कि हमने पूरी कोशिश की है। मैं दावे के साथ नहीं कह सकता है कि हमने उन्हें समझा दिया है या सहमत कर लिया है लेकिन हमने अपना प्वाइंट ऑफ व्यू रखा है। साथ ही आपको उनका रिस्पांस बता रहा हूं।

बीफ के अलावा आरएसएस चीफ ने क्या मुद्दे उठाए
मीटिंग के दौरान आरएसएस चीफ ने बीफ के अलावा काफिर कहने का मामला उठाया। हमने उन्हें समझाया कि यह पूरी तरह से अरबी शब्द है। जो इस्लाम को मानते हैं वे मोनिन, मुस्लिम कहे जाते हैं और जो विश्वास नहीं करते उन्हें काफिर कहा जाता है। उन्होंने कहा कि इसे गाली की तरह इस्तेमाल किया जाता है। हमने कहा कि ऐसा है तो इससे परहेज करना चाहिए। हम किसी को काफिर नहीं कहते। उसी वक्त हमने उन्हें यह भी बताया कि अक्सर मुसलमानों को जेहादी और पाकिस्तानी कहा जाता है। यह भी गलत है। इस पर आरएसएस प्रमुख ने भी कहा कि यह गलत है और पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए। यह उनका पाजिटिव रिस्पांस था।

हेटस्पीच पर क्या चर्चा हुई
मीटिंग के दौरान नुपूर शर्मा और उदयपुर में टेलर की हत्या का मामला उठा या नहीं। इस पर एसवाई कुरैशी ने कहा कि हमने इन स्पेशिफिक मुद्दों पर चर्चा नहीं की। हां हेट स्पीच पर बात हुई कि यह दोनों तरफ से बंद होनी चाहिए। हरिद्वार में धर्म संसद का मामला हमने उठाया तो उन्होंने कहा कि हम इसे स्वीकार नहीं करते हैं। आरएसएस चीफ ने यह भी कहा कि हमने तो स्पष्ट किया है कि हर मस्जिद में शिवलिंग ढूंढने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए। उनका यह बहुत ही पावरफुल मैसेज है जो हिंदू समुदाय में नीचे तक गया है। 

क्या काशी-मथुरा के पीछे आरएसएस है
क्या काशी और मथुरा का मुद्दा उछालने के पीछे आरएसएस का हाथ है। इस सवाल पर एसवाई कुरैशी ने कहा कि देखिए हम कोई लिस्ट बनाकर उनसे मिलने नहीं गए थे। यह एक सिंपल मीटिंग थी जिसमें सुरक्षा हमारा मेन मुद्दा था। कई लोग कहते हैं एनआरसी पर बात नहीं की सीएए पर चर्चा नहीं हुई लेकिन हम वहां कोई मेन्यू कार्ड लेकर नहीं गए थे। उन्होंने हमारी भावनाओं को समझा और कहा कि है इस तरह के डॉयलॉग्स होते रहने चाहिए। उन्होंने 2-3 लोगों के नाम भी बताए कि आप सब इनसे संपर्क में रहें और जब कभी मेरी बहुत आवश्यकता होगी तो वे भी मिलेंगे। 

क्या पीएम से भी होगी मुलाकात
इस सवाल पर डॉ. कुरैशी ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री से मिलने की कोशिशें की हैं। वह किसी भी साधारण व्यक्ति से ज्यादा बिजी रहते हैं तो जब भी समय मिलेगा। हम जरूर मुलाकात करेंगे। आरएसएस की सरकार सुनती है, इस पर कुरैशी ने कहा कि यह सच है और आरएसएस की लोग और सरकार दोनों सुनते हैं। हम पीएम से मुलाकात करेंगे तो निश्चित तौर पर कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।

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