Exclusive Interview Part 1: ISRO के नए चेयरमैन S. Somanath ने बताया 'क्या है भारत का नया मिशन और विजन'

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के निदेशक और इसरो के प्रमुख वैज्ञानिक एस. सोमनाथ (S. Somanath) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नए चेयरमैन बनाए गए हैं। इस मौके पर उन्होंने asianetnews.com से भारत के 'मिशन और विजन' पर चर्चा की।

नई दिल्ली. इसरो के नए चैयरमेन एस. सोमनाथ ने कहा है कि उन्होंने(भारत सरकार) युवा उद्यमियों (young entrepreneurs) को इस फील्ड में अपना टैलेंट दिखाने दरवाजे ओपन कर दिए हैं। सोमनाथ ने युवाओं को गेम चेंजर बताया। उन्होंने कहा कि युवा अंतरिक्ष विज्ञान(space science) के एक विशेष क्षेत्र में अपने कौशल और कल्पना को सीमित करने के बजाय उन्हें और ऊंची उड़ान दे सकते हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) के निदेशक और इसरो के प्रमुख वैज्ञानिक एस. सोमनाथ (S. Somanath) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चेयरमैन नियुक्त किया है। वे के सिवान की जगह ले रहे हैं, जिनका कार्यकाल इसी हफ्ते यानी शुक्रवार को समाप्त हो रहा है। बता दें कि सोमनाथ को भारत के सबसे ताकतवर स्पेस रॉकेट जीएसएलवी एमके-3 लॉन्चर के विकास कार्य का नेतृत्व करने वाले वैज्ञानिकों में गिना जाता है।

स्टार्टअप के लिए अच्छा मौका
सोमनाथ ने कहा कि कई स्टार्टअप्स(startups) इस फील्ड में आ रहे हैं। हालांकि रॉकेट निर्माण और विकास अन्य लॉन्च व्हीकल्स के मुकाबले एक जोखिमभरा क्षेत्र है। उपग्रहों(satellites) के निर्माण और असेम्बलिंग में भी ऐसा ही है। लेकिन हम इसमें संभावनाएं ढूंढ रहे हैं। सोमनाथ ने कहा कि अंतरिक्ष आधारित डेटा कम जोखिम वाला क्षेत्र है, जो अधिकतम युवाओं को आकर्षित कर रहा है। स्पेस बेस्ड सर्विस में अवसरों की एक नई विंडो  खुलती हैं। ISRO पूरी तरह से इसके पीछे(सपोर्ट) है।

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आम आदमी तक लाभ
सोमनाथ ने कहा कि देश विक्रम साराभाई (देश इस वर्ष साराभाई की 50वीं पुण्यतिथि मना रहा है) के नक्शेकदम पर चल रहा है, जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास के एक अलग प्रक्षेपवक्र(trajectory ) की परिकल्पना की थी। जबकि अधिकांश देशों ने अपनी रक्षा शक्ति को बढ़ाने अंतरिक्ष का उपयोग किया था। भारत ने अपनी उपलब्धियों का उपयोग आम आदमी तक वैज्ञानिक लाभ पहुंचाने के लिए किया। यह टेलीमेडिसिन और दूरस्थ शिक्षा में किए गए महान कदमों से साफ होता है।

20 सरकारी विभागों से संपर्क में
सोमनाथ ने कहा कि उनका मिशन इस काम को जारी रखना होगा। देश में ऐसे कई विभाग हैं, जिन्हें स्पेस टेक्नोलॉजी का सपोर्ट चाहिए। ISRO इन क्षेत्रों में ऐसे विभागों से बातचीत और सहयोग के साथ उपयोगकर्ता आधारित पहल(user-based initiatives) डेवलप करेगा। सोमनाथ ने कहा-"वर्तमान में इसरो लगभग 20 सरकारी विभागों के साथ सीधे संपर्क में है। 80 विभाग और भी हैं, जिनसे हमारा अप्रत्यक्ष जुड़ाव है। मेरा ध्यान उन सभी को एक छत्र के नीचे लाने और देश के आम लोगों के जीवन को ऊपर उठाने वाले उत्पादों को विकसित करने पर होगा।" 

छोटे उपग्रहों पर भी जोर
सोमनाथ ने कहा कि हम सर्विस सेक्टर में और अधिक योगदान कर सकते हैं। यह डेटा संचालित कम्यूनिकेशन सेक्टर में भी हो सकता है। यह हमारे प्रायोरिटी वाली फील्ड में एक है। यानी ट्रांसपोंडर्स(एक प्रकार का रेडियो ट्रांसमीटर है, जो विशेष सिग्नल प्राप्त होने पर स्वचालित रूप से सिग्नल प्रसारित करता है।) का उपयोग करने की और संभावनाएं हैं। लेकिन हमें अंतिम-माइल कनेक्टिविटी के लिए एक मैचिंग डाउनलिंक सुविधा विकसित करने की आवश्यकता है। इसी तरह रिमोट सेंसिंग पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। लंबे जीवनकाल वाले विशाल उपग्रहों के साथ-साथ, हमारे पास छोटे उपग्रहों का एक बेड़ा भी होना चाहिए।इससे बाद की सीरीज को तेजी से अपग्रेड करने में मदद मिलेगी।

2010 से 2014 तक जीएसएलवी एमके-III के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे
एस. सोमनाथ  इसरो के रॉकेट्स के विकास में काफी अहम योगदान दिया है। सोमनाथ लॉन्च व्हीकल की डिजाइनिंग के मास्टर हैं। वह लॉन्च व्हीकल सिस्टम इंजीनियरिंग, स्ट्रक्चरल डिजाइन, स्ट्रक्चरल डायनेमिक्स और पाइरोटेक्नीक्स के एक्सपर्ट हैं।  सोमनाथ जून 2010 से 2014 तक जीएसएलवी एमके-III के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे।  गौरतलब है कि इससे पहले एस. सोमनाथ 22 जनवरी 2018 से लेकर अब तक विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक का पद संभाल रहे थे। विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर से पहले एस सोमनाथ तिरुवनंतपुरम स्थित लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (LPSC) के डायरेक्टर थे।

1985 में विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में हुए शामिल
एस. सोमनाथ ने एर्नाकुलम से महाराजा कॉलेज से प्री-डिग्री प्रोग्राम पूरा किया है। इसके बाद केरल यूनिवर्सिटी के क्विलॉन स्थित टीकेएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग से स्नानत की पढ़ाई की है। इसके बाद फिर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेज (IISc) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर की डिग्री हासिल की। 1985 में  एस. सोमनाथ ने विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में शामिल हुए किया। शुरुआती दौर में वो PSLV प्रोजेक्ट के साथ काम करते रहे। उसके बाद उन्हें साल 2010 में GSLV Mk-3 रॉकेट का प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनाया गया।


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