पीएम मोदी ने गुरुपर्व पर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करते हुए इस पर माफी मांगी थी। पिछले एक साल से देशभर के किसान दिल्ली के विभिन्न बार्डर्स पर डेरा डालकर इन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित हैं।
नई दिल्ली। तीन कृषि कानूनों को वापस करने के लिए केंद्र सरकार जल्द प्रक्रिया शुरू करने वाली है। केंद्रीय कैबिनेट बुधवार को तीन कृषि कानूनों की वापसी की मंजूरी के लिए बैठ सकती है। शीतकालीन सत्र में कानूनों को वापस लेने के लिए विधेयकों को संसद में पेश किया जाएगा।
किसान नेताओं ने भी किया बड़ा ऐलान
उधर, पीएम मोदी के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान के बाद रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने भी मीटिंग की है। इस मीटिंग में किसान आंदोलन के सभी वरिष्ठ नेता शामिल रहे। मीटिंग में कृषि कानूनों को निरस्त करने को लेकर चर्चा करने के साथ यह निर्णय हुआ कि आंदोलन के पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों को जारी रखा जाएगा। 22 को किसानों का लखनऊ में किसान पंचायत सहित संसद मार्च को रद्द नहीं किया जाएगा।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसान नेताओं की मीटिंग के निर्णय के बारे में बताते हुए कहा कि एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम यथावत जारी रहेंगे। 22 को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 को सभी सीमाओं पर सभा और 29 को संसद तक मार्च होगा। उन्होंने यह भी बताया कि अन्य निर्णय के लिए 27 नवंबर को एसकेएम की एक और बैठक होगी। तब तक की स्थिति के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
प्रधानमंत्री को लिखेंगे पत्र
बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया कि मीटिंग में निर्णय लिया गया है कि हम पीएम को ओपन लेटर लिखेंगे। पत्र के माध्यम से किसानों की लंबित मांगों को बताएंगे। इसमें एमएसपी समिति, उसके अधिकार, उसकी समय सीमा, उसके कर्तव्य; विद्युत विधेयक 2020 आदि मामलों की वापसी के अलावा हम लखमीपुर खीरी मामले में मंत्री (अजय मिश्रा टेनी) को बर्खास्त करने के लिए भी उन्हें पत्र लिखेंगे।
एक साल से आंदोलित हैं किसान
किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक साल से आंदोलित हैं। 26 नवम्बर को किसान आंदोलन का दिल्ली के बार्डर्स पर डेरा डाले एक साल पूरा हो जाएगा। आंदोलन को धार देते हुए किसान पिछले एक साल से घर वापस नहीं लौटे हैं।
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