ISRO SSLV-D3: भारत के सबसे छोटे रॉकेट की 10 खासियतें

इसरो ने अपने सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D3 से EOS-08 सैटेलाइट को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। कम लागत, फ्लेक्सिबिलिटी और उन्नत क्षमताओं के साथ, SSLV-D3 छोटे सैटेलाइट लॉन्चिंग में क्रांति ला रहा है।

ISRO SSLV-D3 Launch: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। 16 अगस्त को इसरो ने देश के सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D3 से अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-8 (EOS-08) सैटेलाइट को लॉन्च किया। इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। बता दें कि ISRO के सबसे छोटे रॉकेट SSLV की यह तीसरी लॉन्चिंग है। इससे पहले दो कोशिशें 2022 और 2023 में हुई थीं। हालांकि, पहली कोशिश में सफलता नहीं मिली थी। जानते हैं SSLV-D3 सैटेलाइट की खासियत।

1- कम लागत

Latest Videos

SSLV-D3 सैटेलाइट के प्रोडक्शन और लॉन्च की लागत बेहद कम है, जिससे यह छोटे सैटेलाइट को लॉन्च करने की इच्छा रखने वाले संगठनों और कंपनियों के लिए एक अच्छा ऑप्शन बन गया है।

2- फ्लेक्सिबिलिटी

SSLV-D3 में मल्टीपल सैटेलाइट को एडजस्ट करने की सुविधा है। ऐसे में ये अलग-अलग मिशंस के लिए एक शानदार विकल्प है।

3- कम इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत

एसएसएलवी-डी3 सैटेलाइट को लॉन्च करने के लिए कम से कम इन्फ्रास्ट्रक्चर की जरूरत पड़ती है। इसके चलते इसे अलग-अलग जगहों से भी लॉन्च करना आसान होता है।

4- पृथ्वी की निगरानी में सक्षम

एसएसएलवी-डी3 से छोड़ा गया सैटेलाइट EOS-08​ पृथ्वी की निगरानी के साथ ही पर्यावरण और आपदाओं को लेकर सटीक जानकारी देने की क्षमता रखता है।

5- कम्युनिकेशन कैपेबिलिटी

एसएसएलवी-डी3 सैटेलाइट में कम्युनिकेशन कैपेबिलिटी हैं, जो इसे उन मिशंस के लिए परफेक्ट बनाती हैं, जिनमें विभिन्न जगहों के बीच कम्युनिकेशन की जरूरत होती है।

6- छोटा आकार

SSLV-D3 सैटेलाइट आकार में छोटा है, जिससे इसे संभालना और लॉन्च करना बेहद आसान हो जाता है। ये भारत का सबसे छोटा रॉकेट है, जिसकी ऊंचाई 34 मीटर है।

7- थ्री-स्टेज लॉन्च व्हीकल

SSLV-D3 सैटेलाइट में तीन पेलोड हैं। इसमें इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इंफ्रारेड पेलोड, ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम-रिफ्लेक्टोमेट्री पेलोड और SiC-UV डोसीमीटर शामिल हैं। तीन चरणों वाले लॉन्च व्हीकल की मदद से ये अपनी वांछित कक्षा में पहुंचने में सक्षम है।

8- पेलोड कैपेसिटी

एसएसएलवी-डी3 सैटेलाइट की पेलोड क्षमता 500 किलोग्राम है, जो इसे छोटे सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए परफेक्ट बनाती है।

9- ऑर्बिट कैपेबिलिटी

SSLV-D3 सैटेलाइट 10 से लेकर 500 किलोग्राम के ऑब्जेक्ट को धरती से 500 किलोमीटर दूर प्लैनर ऑर्बिट में ले जाने में सक्षम है।

10- वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल

SSLV-D3 सैटेलाइट में एक वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल (VTM) है जो सटीक तरीके से ऑर्बिट में प्रवेश करने के साथ ही वेलोसिटी कंट्रोल में मदद करता है।

ये भी देखें : 

ISRO आखिर क्यों है दुनियाभर के देशों की पहली पसंद, जानें 10 Facts

 

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
Christmas Tradition: लाल कपड़े ही क्यों पहनते हैं सांता क्लॉज? । Santa Claus । 25 December
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में तैयार हो रही डोम सिटी की पहली झलक आई सामने #Shorts
कौन है 12 साल की सुशीला, सचिन तेंदुलकर ने बताया भविष्य का जहीर खान, मंत्री भी कर रहे सलाम