बजट सत्र के दौरान हुई चर्चा के बाद मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपना जवाब दिया। वित्त मंत्री ने दावा किया कि किसी भी विभाग का न तो बजट कम किया गया है न ही किसी राज्य को कम बजट दिया गया है।
Parliament Budget session 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट सत्र के दौरान लोकसभा में बजट पर अपना जवाब दिया है। वित्त मंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य को बजट में भेदभाव नहीं किया गया है। एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट के लिए बजट में वृद्धि की गई है। बजट में सबका साथ-सबका विकास का कांसेप्ट है। इसका उद्देश्य लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करना है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बजट विकसित भारत के लिए है। विकसित भारत सरकार का विजन है। 2047 तक विकसित भारत के निर्माण का ये रोडमैप है। भौगोलिक आधार पर विकास के लिए बजट बना है। बजट स्थिरता के निर्माण के लिए है। समाज कल्याण के लिए भी पिछले साल के मुकाबले तीन लाख करोड़ रुपये अधिक आवंटित किए गए हैं। किसी भी विभाग के बजट में कटौती नहीं की गई है।
वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार का बजट विकास कार्यों के खर्च पर बढ़ रहा है। सोशल सेक्टर के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। सामाजिक क्षेत्र का बजट भी बढ़ा है। भारत सबसे तेज गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है। लेकिन बजट को लेकर विपक्ष की ओर से दुष्प्रचार किया जा रहा है। यह बहुत दु:खद है।
आपकी सरकार में जिन राज्यों का नाम नहीं लिया उनको बजट नहीं दिया?
उन्होंने कहा कि 2004-05 के बजट में 17 राज्यों का नाम नहीं लिया गया था तो क्या उन 17 राज्यों को पैसा नहीं दिया गया था। 2005-06 में 18 राज्यों के नाम नहीं लिए गए थे। निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2009-10 के बजट में यूपी और बिहार को छोड़कर किसी राज्य का नाम नहीं लिया गया था। क्या उन राज्यों को पैसा नहीं गया?
किसानों पर खूब राजनीति विपक्ष ने किया लेकिन लाभ एनडीए ने दिया
निर्मला सीतारमण ने कहा कि कृषि और एमएसपी लीगल गारंटी पर 20 से अधिक सदस्यों ने बात की है। उनको बताना चाहती हूं कि कृषि और किसान कल्याण के लिए 2013-14 में 24 हजार 900 करोड़ बजट था। लेकिन आज यह बढ़कर एक लाख करोड़ से अधिक हो गया है। तीन लाख 24 हजार करोड़ किसानों को हम किसान सम्मान निधि दे चुके हैं। 2014 में 14 परसेंट किसान लोन ले रहे थे लेकिन अभी 76 परसेंट किसान सब्सिडी के साथ लोन ले रहे हैं। ये नंबर अभी और बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि किसान को जो सुविधा मिलनी चाहिए उसे लेकर एक कमेटी काम कर रही है। कांग्रेस और विपक्ष के सदस्यों ने किसानों को लेकर खूब राजनीति की है लेकिन हकीकत यह है कि 2006 में स्वामीनाथन कमेटी ने जो सिफारिश की थी उसे यूपीए सरकार ने एक्सेप्ट नहीं किया था।
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