मंगलवार को नीतीश कुमार ने जदयू के विधायक व सांसदों की meeting में NDA से अलग होने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। इसके बाद वह सीधे राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा सौंपा। फिर सात दलों के नेताओं ने जाकर राज्यपाल से मिलकर 164 विधायकों का नीतीश कुमार के पक्ष में समर्थन पत्र देकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।
नई दिल्ली। बिहार में नए बने राजनीतिक समीकरण के बाद एक बार फिर पुराने समाजवादी नेता सक्रिय हो गए हैं। जनता दल सरकार में प्रधानमंत्री रहे एचडी देवगौड़ा (HD Devegowda) ने बिहार के घटनाक्रम पर कहा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के एनडीए (NDA) छोड़ने के निर्णय से मुझे उन दिनों की याद आ रही है जब जनता दल परिवार (Janata Dal) एक साथ था। उन्होंने कहा कि अब हम सब बुजुर्ग हो चुके हैं लेकिन यह नई पीढ़ी पर निर्भर करता है कि उनके पास बेहद शानदार मौका है। वह ठान ले तो महान देश के लिए विकल्प दे सकती है।
क्या कहा है एचडी देवगौड़ा ने?
मैं बिहार का घटनाक्रम देख रहा हूं। इसने मुझे उन दिनों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया जब जनता दल परिवार एक छत के नीचे था। इसे तीन पीएम दिए जाते हैं। मैं अपने उन्नत वर्षों में हूं, लेकिन अगर युवा पीढ़ी ठान ले तो वह इस महान राष्ट्र के लिए एक अच्छा विकल्प पेश कर सकती है।
कौन हैं एचड़ी देवगौड़ा?
एचडी देवगौड़ा, भारत के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। कर्नाटक प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके देवगौड़ा, जनता दल सरकार के बड़े नेताओं में शुमार रहे हैं। अटल बिहारी बाजपेयी की 1996 में 13 दिन की सरकार गिरने के बाद कांग्रेस के समर्थन से जनता दल की सरकार बनी थी। पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के पीएम पद संभालने के इनकार के बाद एचडी देवगौड़ा को प्रधानमंत्री बनाया गया था। देवेगौड़ा एक साल के आसपास देश के प्रधानमंत्री रहे। हालांकि, जनता दल में टूट के बाद उन्होंने जनता दल सेकुलर नाम से अलग दल बनाया है। वर्तमान में वह राज्यसभा सांसद हैं।
नीतीश कुमार भी जनता दल से ही निकले
दरअसल, नीतीश कुमार भी जनता दल के ही नेता रहे हैं। बिहार से जार्ज फर्नांडीज, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, शरद यादव, राम विलास पासवान आदि जनता दल के बड़े नेताओं में शुमार थे। लेकिन जनता दल से अलग होने के बाद सभी अलग अलग दल बना लिए। लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल बनाया तो जार्ज फर्नांडीज, शरद यादव व नीतीश कुमार ने मिलकर समता पार्टी बनाई। हालांकि, नीतीश कुमार व शरद यादव ने जनता दल यूनाइटेड बना लिया। जबकि राम विलास पासवान ने लोकजनशक्ति पार्टी बनाई।
बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव फिर साथ
दरअसल, ये सभी नेता, समाजवादी आंदोलन की उपज हैं। जेपी आंदोलन से निकले इन नेताओं के आदर्श जेपी, लोहिया जैसे समाजवादी ही हैं। हालांकि, नीतीश कुमार काफी दिनों तक बीजेपी के साथ गठबंधन कर एनडीए का हिस्सा रहे हैं। पांच साल में दूसरी बार लालू प्रसाद यादव की राजद से गठबंधन करने के बाद नीतीश कुमार ने एनडीए छोड़ दिया है। चूंकि, पुराने दिग्गज समाजवादी अब उम्रदराज होने के साथ करीब-करीब रिटायर्ड हो चुके हैं। उनकी दूसरी पीढ़ियां राजनीति में आ चुकी हैं और तमाम ऐसे हैं जिनके हाथों में उनकी पार्टियों की कमान है।
क्यों देवगौड़ा को नीतीश कुमार में दिखी उम्मीद?
दरअसल, पुराने दिग्गजों में नीतीश कुमार ही जनता दल के ऐसे नेता हैं जो अभी भी काफी सक्रिय हैं। नीतीश कुमार अनुभवी होने के साथ साथ करीब 17 साल से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में समाजवादी नेताओं के नई पीढ़ी को अगर सहेजने में वह सफल हो जाते हैं तो राष्ट्रीय राजनीति में निर्विवाद समाजवादी होंगे। देवगौड़ा ने यह पहल कर कई बड़े संकेत दिए हैं।
नीतीश कुमार ने बीजेपी को दे दिया है बिहार में झटका
देश की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को पश्चिम बंगाल के बाद अब बिहार में झटका लगा है। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक सीट जीतने के बाद भी बीजेपी ने अपने गठबंधन साथी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया। नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लिए थे। लेकिन इसी बीच बीजेपी खुद को संगठन व चुनावी समीकरण को दृष्टिगत रखते हुए मजबूत करने में लगी हुई थी। ऐसा माना जा रहा था कि महाराष्ट्र में शिवसेना की तरह बीजेपी ने जदयू का भी हाल करने का पूरा व्यूह रच दिया था। लेकिन राजनीतिक अनुभवहीन उद्धव ठाकरे के विपरीत अनुभवी राजनीतिज्ञ नीतीश कुमार ने पहले ही झटका दे दिया है।
आठवीं बार सीएम बनेंगे नीतीश कुमार
मंगलवार को नीतीश कुमार ने जदयू के विधायक व सांसदों की meeting में NDA से अलग होने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया। इसके बाद वह सीधे राजभवन पहुंचकर अपना इस्तीफा सौंपा। उधर, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद, कांग्रेस समेत सात दलों के विधायकों ने मीटिंग करके नीतीश कुमार को एनडीए छोड़ने की स्थिति में समर्थन का फैसला किया। कुछ ही देर में नीतीश को विधायक दल का नेता चुना गया। फिर सात दलों के नेताओं ने जाकर राज्यपाल से मिलकर 164 विधायकों का नीतीश कुमार के पक्ष में समर्थन पत्र देकर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया।
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