पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने एक इंटरव्यू के दौरान नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर इंटरप्राइजेस (एनआईसीई) के एक प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की बात कही थी। यह कंपनी, बेंगलुरु-मैसुरु इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर (बीएमआईसी) बना रही थी। यह दो शहरों केा जोड़ने वाली एक सिक्स लेन एक्सप्रेसवे है। साल 2011 में देवेगौड़ा ने इसी परियोजना को लूट करार दिया था।
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा (HD Devegowda) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से भी राहत मिल गई है। एपेक्स कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) के एक आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट ने एक डिफेमेशन केस (Defamation Case) में पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ दो करोड़ रुपये के जुर्माना के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी। निर्माण कंपनी ने पूर्व प्रधानमंत्री देवेगौड़ा के खिलाफ मानहानिक का केस दायर किया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार करने के साथ यह भी स्वीकार किया कि प्रभावशाली सार्वजनिक हस्तियों द्वारा कॉरपोरेट के खिलाफ दिए गए बयानों से कंपनियों के शेयर्स में गिरावट आती है साथ ही निवेश भी प्रभावित होता है।
क्या है मामला?
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने एक इंटरव्यू के दौरान नंदी इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर इंटरप्राइजेस (NICE) के एक प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की बात कही थी। यह कंपनी, बेंगलुरु-मैसुरु इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरिडोर (BMIC) बना रही थी। यह दो शहरों केा जोड़ने वाली एक सिक्स लेन एक्सप्रेसवे है। साल 2011 में देवेगौड़ा ने इसी परियोजना को लूट करार दिया था। इसके बाद कंपनी ने देवेगौड़ा पर दस करोड़ रुपये की मानहानि का दावा किया था। निचली अदालत ने बीते साल इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री को कंपनी के खिलाफ किसी भी बयान देने से रोक लगाने के साथ ही दो करोड़ रुपये की मानहानि रकम देने का आदेश दिया था। देवेगौड़ा ने निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रूख किया तो उनको वहां से राहत मिल गई।
कंपनी पहुंची सुप्रीम कोर्ट...
हाईकोर्ट के रोक के बाद कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने एआईसीई की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने 17 फरवरी 2022 को देवेगौड़ा को आदेश दिया था कि वह कंपनी के खिलाफ किसी प्रकार का बयान न दें। जुर्माना की रकम पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह जनहित से जुड़ा मामला है, इसलिए पूर्व पीएम कंपनी के खिलाफ कोई बयान न दें जिससे परियोजना में देरी हो। कोर्ट ने यह माना कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले प्रभावशाली व्यक्तियों के बयान से कॉरपोरेट्स के शेयर व निवेश को नुकसान पहुंचता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर देवेगौड़ा, न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हैं तो कंपनी कोर्ट में अपील कर सकती है।
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