Blue Tick: शाहरुख-अमिताभ से लेकर राहुल-योगी आदित्यनाथ तक, देखें आधी रात ट्विटर ने किन VVIPs का ब्लू टिक हटाया

ट्विटर ने गुरुवार रात को सभी अकाउंट्स से ब्लू टिक हटा दिया है। अब सिर्फ उन्हीं यूजर को ब्लू टिक मिलेगा जो इसके लिए ट्विटर को पैसे देंगे। इसके चलते फिल्मी सितारों, नेताओं और क्रिकेटरों समेत बहुत से VVIPs के अकाउंट से ब्लू टिक हट गया है।

नई दिल्ली। माइक्रो-ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने गुरुवार को सभी अकाउंट्स से ब्लू टिक हटा दिया है। इसके चलते शाहरुख खान और अमिताभ बच्चन जैसे फिल्मी सितारों से लेकर राहुल गांधी और योगी आदित्यनाथ जैसे नेताओं के अकाउंट से ब्लू टिक हट गया है। अब लोग यह नहीं जान पा रहे हैं कि संबंधित ट्विटर अकाउंट वेरिफाइड है या नहीं।

ट्विटर ने ब्लू टिक हटाने का फैसला पैसे कमाने के लिए किया है। अब सिर्फ उन्हीं यूजर को ब्लू टिक मिलेगा जो इसके लिए ट्विटर को पैसे देंगे। वेब यूजर को ब्लू टिक के लिए हर महीने ट्विटर को 8 डॉलर देना होगा। वहीं, iOS और Android यूजर को हर महीने 11 डॉलर देना होगा।

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ट्विटर ने गुरुवार आधी रात को ब्लू टिक हटाया है। इसके चलते शाहरुख खान, अमिताभ बच्चन, आलिया भट्ट सहित कई फिल्मी सितारों और सीएम योगी आदित्यनाथ, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी जैसे नेता के अकाउंट से ब्लू टिक हट गए हैं। विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे क्रिकेटरों के अकाउंट से भी ब्लू टिक हटाया गया है।

 

ट्विटर के अधिग्रहण के बाद घोषणा एलोन मस्क ने की थी घोषणा

एलोन मस्क के ट्विटर के अधिग्रहण के बाद घोषणा की थी कि सिर्फ उन्हीं यूजर को ब्लू टिक मिलेगा जो इसे सब्सक्राइब करेंगे। जो यूजर ट्विटर की सदस्यता नहीं लेंगे उनके अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिया जाएगा। ट्विटर ने पहले ब्लू टिक को यूजर की पहचान के लिए इस्तेमाल किया था। इससे लोग समझ पाते थे कि जिस VVIP के अकाउंट को वे देख रहे हैं वह सच में उसी का है या नहीं। इससे फर्जी ट्विटर अकाउंट की मदद से गलत सूचनाएं फैलाने पर रोक लगती थी।

2009 में हुई थी ब्लू टिक की शुरुआत
इससे पहले ट्विटर ने मार्च में कहा था कि 1 अप्रैल से हम वेरिफाइड प्रोग्राम और चेकमार्क हटाने का काम शुरू करेंगे। ट्विटर पर अपना ब्लू टिक बनाए रखने के लिए यूजर साइन अप कर सकते हैं। गौरतलब है कि ट्विटर ने 2009 में ब्लू टिक मार्क की शुरुआत की थी। इसे मशहूर हस्तियां, नेताओं, कंपनियों, समाचार संगठनों और सार्वजनिक हित के अकाउंट्स की पहचान करने के लिए शुरू किया गया था। इससे पता चलता था कि संबंधित खाता सही है या फर्जी। कंपनी इसके लिए फीस नहीं लेती थी।

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