From The India Gate: इधर नेताओं को करनी पड़ रही 'डबल ड्यूटी' तो उधर ऑडियो क्लिप से मचा बवाल

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 23वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 23वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

पैनकेक के बहाने दी नसीहत..

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केरल में नई 'वंदे भारत' ट्रेन के ट्रायल रन के दौरान भाजपा के कई कार्यकर्ताओं को स्टेशनों पर घी में बने गर्मागर्म पैनकेक बांटते देखा गया। जिन लोको पायलटों को ये पैनकेक दूसरी मिठाइयों के साथ दिए गए वे पेनकेक्स की 'राजनीतिक प्रासंगिकता' को भले ही न समझ पाए हों, लेकिन देखने वाले निश्चित तौर पर ये जान गए कि ये एक 'प्रोटेस्ट टूल' था। कुछ हफ्ते पहले CPM के स्टेट सेक्रेटरी एमवी गोविंदन ने हाई-स्पीड K-रेल की जरूरत को सही ठहराते हुए कहा था कि इससे कुदुम्बश्री की महिलाओं को अपने गांवों से दूर बाजारों में घर के बने पेनकेक्स बेचने और बेचकर जल्दी लौटने में मदद मिलेगी। गोविंदन ने दावा किया था कि K-रेल के जरिए गांव की ये महिलाएं नाश्ता कर शहर जा सकती हैं और दोपहर के भोजन से पहले कूट्टानाडु (त्रिशूर से 40 किमी दूर एक गांव) लौट सकती हैं। लेकिन विडंबना ये थी कि इन महिलाओं को K-रेल पकड़ने और त्रिशूर पहुंचने के लिए करीब 100 रुपए खर्च करने पड़ते, जो काफी महंगा है। इतना महंगा टिकट लेने के बाद उनके पास कुछ भी नहीं बचेगा क्योंकि पैनकेक का एक पैकेट मुश्किल से 50 रुपए का होता है। गोविंदन की इस रणनीति का लंबे समय तक सोशल मीडिया पर मजाक उड़ा। हालांकि, भाजपा कार्यकर्ताओं ने 'वंदे भारत' के शुरू होने का जश्न मनाने और गोविंदन को कुछ कड़वी सच्चाइयों की याद दिलाने के लिए पेनकेक्स खरीदे।

अचानक बढ़ी 'युवा नेताओं' की डिमांड..

'युवा नेता' ये वो शब्द है, जो भारतीय राजनीति में अक्सर झूठा ही साबित हुआ है। 'युवा' पदाधिकारियों की लिस्ट में उम्र का उल्लेख करने वाले कॉलम के जरिए इसे बहुत ही आसानी से समझा जा सकता है। ज्यादातर वास्तविक युवाओं को लगभग सभी पॉलिटिकल पार्टियों में ग्रुपिज्म और भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) के चलते कभी भी जगह नहीं मिल पाती है। लेकिन सोमवार को कोच्चि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संबोधित किए जाने वाले युवा नेताओं के एक कार्यक्रम 'युवम' की वजह से अचानक राज्य में युवाओं की भारी मांग देखी जा रही है। जैसे ही बीजेपी और उसकी यूथ विंग ने इस योजना को आगे बढ़ाया, दूसरी पार्टियों ने भी अपने 'युवा नेताओं' की लिस्ट खंगालनी शुरू कर दी। कांग्रेस ने सबसे पहले घोषणा की थी कि मई में कोच्चि में एक यूथ इवेंट आयोजित किया जाएगा, जिसमें राहुल गांधी युवाओं को संबोधित करेंगे। लेकिन जिस यूथ कांग्रेस ने राहुल गांधी को मीटिंग के लिए आमंत्रित किया था, उसने अपने ही कार्यक्रम को 'यूथ मीट' का नाम देने से मना कर दिया। उसका कहना था कि राहुल गांधी को उनकी बैठक को संबोधित करना होगा न कि कोच्चि में केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) द्वारा प्रस्तावित बैठक को। इसी बीच, वामपंथी पार्टियां पूरे करेल में अपना वर्जन लॉन्च कर रही हैं, जहां पीएम से 100 सवाल पूछे जाएंगे।

डबल ड्यूटी..

जब बॉस कर्नाटक में डबल इंजन सरकार का उपयोग करते हुए मैक्सिमम माइलेज लेने का फैसला करते हैं, तो पार्टी के सभी सदस्यों को उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना पड़ता है। यही वजह है कि पूर्वोत्तर (नॉर्थ-ईस्ट) से बीजेपी के सांसदों को भी कर्नाटक में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों और रीजन का प्रभार सौंपा गया है। सभी सांसदों को बॉस द्वारा दी गई जिम्मेदारी और टास्क को अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के लिए पूरा करना है। वे जानते हैं कि उन्हें सौंपा गया असाइनमेंट कोई दिखावटी रणनीति नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मतदाताओं के साथ जमीनी स्तर पर संबंध मजबूत करना है। इन सांसदों को ग्रामीण आबादी को ये बताना होगा कि केंद्र सरकार उनके उत्थान के लिए कौन-कौन सी योजनाएं और कार्यक्रम चला रही है। इसके माध्यम से ही उन्हें वोट बैंक के रूप में जनता का समर्थन सुनिश्चित करना होगा। अब केवल जुबानी जुमलेबाजी से काम नहीं चलने वाला, क्योंकि बॉस को इनसे हर दिन एक डिटेल्ड रिपोर्ट की उम्मीद है। कुछ सांसदों का कहना है कि कर्नाटक में काम का बोझ और तनाव उससे कहीं ज्यादा है, जो काम उन्हें सौंपा गया है। हालांकि कुछ सांसदों ने मजाकिया मूड में चुटकी लेते हुए ये भी कहा है कि सांसद का मतलब मेंबर ऑफ पार्लियामेंट है, या मेंबर ऑफ पार्टी।

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टेंशन लेने का नहीं, देने का..

आम तौर पर इन नेताजी की मौजूदगी राजस्थान में सत्ताधारी पार्टी की रीढ़ की हड्डी को सीधा रखने का काम करती है। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस पार्टी ने राहत की सांस ली थी, क्योंकि बीजेपी के ये प्रमुख नेता इलाज के लिए दिल्ली में थे। दिलचस्प बात ये है कि नेताजी को चोट तब लगी थी, जब वे सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे। ऐसे में उन्होंने दिल्ली में अपना इलाज कराने की मांग की थी। अब राजस्थान सरकार एक बार फिर चिंता में दिख रही है, क्योंकि इन नेताजी का ब्यूरोक्रेसी (नौकरशाही) के बीच भी अच्छा-खासा दबदबा है। कई आईएएस-आईपीएस उनकी हां में हां मिलाते हैं। दिल्ली से वापसी का टिकट बुक कराने से पहले ही नेताजी ने अपने कार्यकर्ताओं को बता दिया था कि उनके पास 3 प्रमुख मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को घेरना है। वैसे, इन नेताजी को अपनी लड़ाइयां जीतने का अच्छा-खास अनुभव है। उन्होंने जब भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला, तो 80% मामलों में उनकी जीत ही हुई है। ऐसे में अब नेताजी के कमबैक से सरकार को ये चिंता खाए जा रही है कि आने वाली नई मुसीबतों का मुकाबला कैसे किया जाए?

ऑडियो क्लिप से बवाल..

बीजेपी नेता के उस ट्वीट ने बिल्ली को कबूतरों के बीच ला खड़ा किया है, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु के वित्त मंत्री की कथित तौर पर सत्तारूढ़ परिवार के रिश्तेदारों द्वारा जमा की गई अवैध संपत्ति के बारे में आरोप लगाते हुए एक ऑडियो क्लिप जारी की। इस क्लिप में डीएमके अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि और दामाद सबरीसन की संपत्ति का खुलासा करने का दावा किया गया। ये ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद से ही वित्त मंत्री को उनके पद से हटाने की होड़ मच गई है, क्योंकि उन्होंने एक बेहद गोपनीय पारिवारिक रहस्य का खुलासा कर दिया है। इस वॉयस क्लिप में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदारों को पता नहीं है कि हाल के कुछ सालों में उन्होंने 30,000 करोड़ रुपए की संपत्ति का प्रबंधन कैसे किया है। बीजेपी ने इस मौके का फायदा उठाते हुए 'जैसे को तैसा' की तर्ज पर अपने अध्यक्ष को मंहगी घड़ी पहनने पर शर्मिंदा करने का बदला ले लिया है। हालांकि, उन्होंने अपनी सफाई में कहा था कि ये घड़ी उनके एक दोस्त की है, लेकिन बावजूद इसके वो खुद पर लगे दाग को पूरी तरह नहीं धो पाए थे। अब वे लीक हुई वॉयस क्लिप का पूरा इस्तेमाल सत्ता पक्ष पर हमला करने के लिए कर रहे हैं। हालांकि, इस पूरे मामले में वित्त मंत्री ने ऑडियो क्लिप को फर्जी बताते हुए कहा है कि तकनीक की मदद से ऐसी क्लिप तैयारी की जा सकती है। लेकिन, डीएमके नेतृत्व अब भी इससे काफी परेशान दिख रहा है। पिछली बार सुनने में तो ये भी आया था कि वित्त मंत्री को उनके गैर-जिम्मेदाराना कमेंट्स के लिए जल्द ही बदल दिया जाएगा।

चाय की दुकान से मचा तूफान..

राजस्थान में एक वरिष्ठ मंत्री के खिलाफ चल रहे विरोध को दूसरे कांग्रेस नेताओं द्वारा नजरें गड़ा कर देखा जा रहा है। दरअसल, ये चिंगारी तब भड़की जब मंत्रीजी के निर्वाचन क्षेत्र में एक छोटी चाय की दुकान चलाने वाले शख्स ने आत्महत्या कर ली। उसने अपने सुसाइड नोट में मंत्रीजी के साथ ही एक होटल मालिक का नाम भी लिया। साथ ही मृतक ने आत्महत्या से पहले एक वीडियो में अपने आखिरी शब्द भी रिकॉर्ड किए थे। मृतक ने आरोप लगाया था कि जिस होटल मालिक को गिरफ्तार किया गया, वो उसकी फर्म के पास की जमीन के एक हिस्से को हड़पने की कोशिश कर रहा था। कहा तो ये भी जा रहा है कि चाय की दुकान के मालिक को बेदखल करने वाले होटल व्यवसायी को मंत्रीजी का संरक्षण प्राप्त था। फिलहाल, बीजेपी ने तो ये मौका भुना लिया है। लेकिन विपक्ष को सबसे ज्यादा चिंता इस बात की है कि पीड़ित परिवार को कांग्रेस के लोगों का भी सपोर्ट मिल रहा है।

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