सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 25वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।
From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 25वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।
नेताओं को खाए जा रहा 2000 cr का सवाल, जनता के बीच जाने से बच रहे..
राजस्थान के कांग्रेसी नेताओं को इन दिनों एक ही सवाल खाए जा रहा है और ये सवाल जनता उनसे बार-बार पूछ रही है। सवाल 10 करोड़ का नहीं 2000 करोड़ का है और सबसे बड़ी बात ये है कि इस सवाल का जवाब कोई नेता नहीं दे पा रहा है। यही कारण है कि अब बड़े नेताओं ने तो सार्वजनिक आयोजनों में जाना ही बंद कर दिया है। उनका कहना है इस बारे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ज्यादा बेहतर बता सकते हैं। उधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद भी इस सवाल का जवाब देने से बचते हैं। पिछले 15 दिनों में वो लगभग हर दिन 3 से 4 बड़े आयोजनों में शामिल हो रहे हैं, लेकिन इस सवाल से कन्नी काटते नजर आ रहे हैं ।
जेल अफसर की चर्चा, जो कैदियों की सब्जी तक खा गए..
राजस्थान में सेंट्रल जेल के एक बड़े अफसर की चर्चा इन दिनों पूरे प्रदेश में हो रही है। अफसर ने काम ही ऐसा किया है। दरअसल राजस्थान की इस जेल में कैदियों ने अपने दम पर सब्जियों का ऑर्गेनिक गार्डन डेवलप किया था। वर्तमान अफसर से पहले जो अफसर रहे उन्होंने इसमें मदद की और कैदियों ने करीब 2 हजार स्क्वेयर फीट में लंबा-चौड़ा गार्डन डेवलप कर लिया। लेकिन पुराने अफसर का तबादला होते ही नए अफसर ने जब इन सब्जियों को देखा तो उनकी जुबान पर इसका टेस्ट चढ गया। उसके बाद तो आए दिन वे सब्जियां अपने घर ले जाने लगे। खबर तो यहां तक है कि अपने बड़े अफसरों को खुश करने के लिए ये ऑर्गेनिक सब्जियां उनके घरों तक पहुंचाई जा रही हैं। उधर कैदी अपनी मेहनत को जाया होते हुए देख रहे हैं।
जादू की झप्पी..
फिल्म 'मुन्नाभाई एमबीबीएस' में बंद दिमाग को खोलने के लिए जादू की झप्पी को एक प्रभावी पासवर्ड के तौर पर पेश किया गया था। कुछ इसी तरह की झप्पी लगता है राहुल गांधी ने सिद्धारमैया को देते हुए उन्हें कोलार के सपने को छोड़ने के लिए मना लिया है। पूरा कर्नाटक इस बात से अनजान था कि सिद्धारमैया ने आखिर किस वजह से खुद को वरुणा निर्वाचन क्षेत्र तक सीमित कर लिया है। यहां तक कि पत्रकारों ने भी जब तक उन्हें अच्छे मूड में नहीं देख लिया तब तक उनसे कुछ भी पूछने की हिम्मत नहीं जुटा सके। एक पत्रकार ने सिद्धारमैया से जब इस मुद्दे को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा- एक लड़के ने मुझे हंसते हुए गले लगाया और कहा कोलार नक्कोज। वो नहीं जानते थे कि इस पर कैसे रिएक्ट किया जाए, लेकिन कांग्रेस ने इस हग-डिप्लोमेसी (गले लगाने की राजनीति) के जरिए सिद्धारमैया को वरुणा तक ही सीमित कर दिया। हालांकि, सिद्धारमैया को बाद में स्वीकार करना पड़ा कि वो लड़का कोई और नहीं बल्कि राहुल गांधी थे। ये सब कुछ उसी तरह था, जब राहुल गांधी ने संसद में पीएम मोदी को गले लगाया था।
From The India Gate: इधर नेताओं को करनी पड़ रही 'डबल ड्यूटी' तो उधर ऑडियो क्लिप से मचा बवाल
बदले-बदले से सरकार नजर आते हैं..
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की बहू भवानी रेवन्ना की नजर हमेशा हासन सीट पर रहती थी। लेकिन पार्टी द्वारा स्वरूप प्रकाश को टिकट दिए जाने के बाद भवानी काफी बदली हुई नजर आ रही हैं। दरअसल, जब स्वरूप प्रकाश ने नॉमिनेशन फाइल किया तो भवानी वहां मौजूद थीं। यहां तक कि भवानी खुद स्वरुप प्रकाश को माने मागा (परिवार का बेटा) कहकर संबोधित करते हुए उनके लिए प्रचार कर रही हैं। वैसे, जिला अध्यक्ष के तौर पर भवानी पहले ही अपने प्रशासनिक कौशल का परिचय दे चुकी हैं। पार्टी के अंदरूनी सूत्र जेडीएस सुप्रीमो देवेगौड़ा पर उनके प्रभाव को भलीभांति जानते हैं। कौशल और दृढ़ता का ये कॉकटेल धीरे-धीरे भवानी को जेडीएस के भीतर एक मजबूत नेता के रूप में ढाल रहा है। हालांकि, ये सब कैसे लोकतांत्रिक महत्वाकांक्षा में तब्दील होता है, इसके लिए हमें 2024 के लोकसभा चुनाव का इंतजार करना होगा।
आउट ऑफ फोकस..
केरल की सड़कों पर एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कैमरे लगाने के लिए करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट को ढंकने वाले कथित घोटाले पर वामपंथी सरकार का जीरो रिस्पांस आम आदमी की बुद्धि पर सवाल उठा रहा है। एलडीएफ मंत्रालय को घेरने वाले कई आरोप खासकर मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदारों को परेशान करते हैं। विपक्ष उन बिंदुओं को जोड़ने के लिए फाइलों को स्कैन कर रहा है, जो जांच को क्लिफ हाउस तक ले जा सकते हैं। हालांकि, विपक्ष में अंदरूनी गुटबाजी के चलते उसके सभी प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं। विडम्बना ये है कि कांग्रेस के सभी बड़े नेता `सबूत' जारी करने के लिए अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। विपक्ष के नेता वीडी सतीशन के सबूतों के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस से काफी पहले, कांग्रेस के ही सीनियर लीडर रमेश चेन्निथला ने भ्रष्टाचार के आरोपों से जुड़े कई दस्तावेजों का खुलासा किया। इसके फौरन बाद KPCC के अध्यक्ष के सुधाकरन ने मीडिया से मुलाकात कर सरकार के खिलाफ मजबूत आंदोलन की चेतावनी दी। हालांकि, इतना सबकुछ होने के बाद भी केरल में अब तक घोटाले के खिलाफ कोई संयुक्त आंदोलन देखने को नहीं मिला है। सरकार भी सभी तरह हो-हल्ले की अनदेखी कर रही है। यहां तक कि बीजेपी भी इस मुद्दे पर बंटी हुई दिख रही है और पार्टी की लीडर शोभा सुरेंद्रन स्टेट लीडरशिप को विश्वास में लिए बिना अकेले ही चल रही हैं। हर एक पार्टी में ग्रुपिज्म के चलते ऐसा लगता है कि सरकार आरोपों की इस सीरिज से जल्द छुटकारा पा लेगी। सीसीटीवी घोटाले को लेकर विपक्षी दलों का आंदोलन वाकई में आउट ऑफ फोकस नजर आ रहा है।
क्यूबा मॉडल..
केरल सरकार क्यूबा के मॉडल से सीखने का कोई मौका नहीं छोड़ती है। हेल्थकेयर में क्यूबा के मॉडल से लेकर मच्छरों के उन्मूलन तक, एक के बाद एक केरल की सरकारों ने क्यूबा की बेस्ट प्रेक्टिसेस को अपनाने की कोशिश की है। हालांकि, ये बात अलग है कि उनमें से एक का भी वांछित परिणाम सामने नहीं आया है। बल्कि इसके उलट उनमें से कुछ हेल्थकेयर मॉडल फेल हो गए हैं। तिरुवनंतपुरम में तो इस तरह के एक प्रयास ने वाकई में एक सरकारी अस्पताल को आस-पड़ोस की आबादी के लिए बेफिजूल बना दिया है। मच्छरों को खत्म करने के लिए एक क्यूबन मॉडल में जिस दवा का इस्तेमाल किया गया, उसकी लागत काफी ज्यादा थी। हालांकि, बावजूद इसके मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री क्यूबा से अभी और अधिक चीजें सीखने के लिए आतुर नजर आ रहे हैं।
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