Global Buddhist Summit: दिल्ली में जुटेंगे होंगे बौद्धिस्ट धर्मगुरू, दुनियाभर की मुख्य समस्याओं को दूर करने पर होगा मंथन

नई दिल्ली में आगामी 20-21 अप्रैल को ग्लोबल बौद्धिस्ट समिट (Global Buddhist Summit) का आयोजन किया जा रहा है। इसमें दुनिया के 30 देशों के कुल 180 बौद्ध धर्मगुरू जुटेंगे और मानवता की समस्याओं का समाधान ढूंढेंगे।

 

Manoj Kumar | Published : Apr 13, 2023 9:19 AM IST / Updated: Apr 18 2023, 12:08 PM IST

Global Buddhist Summit. नई दिल्ली में आगामी 20-21 अप्रैल को ग्लोबल बौद्धिस्ट समिट (Global Buddhist Summit) का आयोजन किया जा रहा है। इसमें दुनिया के 30 देशों के कुल 180 बौद्ध धर्मगुरू जुटेंगे और मानवता की समस्याओं का समाधान ढूंढेंगे। इनमें मेक्सिको और ब्राजील के धर्मगुरू भी पहली बार शामिल होंगे। जिसका विषय होगा- दुनिया के देश, स्टेट और मानवता की समस्याओं का समाधान।

भारत की नीतियों पर भी चर्चा

यह कांफ्रेंस भारत के उस एप्रोच का हिस्सा है जिसमें दुनिया में बढ़ रही कट्टरता और देशों के बीच राजनैतिक समस्याओं का समाधान करना है। इस दौरान भारत की नीतियों पर भी चर्चा की जाएगी। यह आयोजन दिल्ली में आयोजित भारत-इंडोनेशिया के बीच शांति और हार्मोनी के लिए किए गए प्रयास के बाद आया है। यह दो दिवसीय कांफ्रेंस नई दिल्ली स्थित इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफडरेशन की तरफ से आयोजित किया जा रहा है।

इन लोगों की रहेगी प्रतिभागिता

इस आयोजन के दौरान विख्यात स्कॉलर, संघ के नेता, धर्मगुरू शामिल होंगे, जो बुद्धिज्म के सिद्धांतों पर दुनिया भर की समस्याओं का समाधान ढूंढेंगे। इस जिन विषयों को कवर किया जाएगा, उनमें शांति और बुद्धिज्म, पर्यावरणीय समस्या, हेल्थ एंड सस्टेनिबिलिटी, नालंदा बुद्धिस्ट ट्रेडिशन की सुरक्षा शामिल है। साथ ही बौद्धिस्ट तीर्थस्थलों, लिविंग हेरीटेज की सुरक्षा कैसे की जाए, इस पर भी मंथन किया जाएगा। इस दौरान इस बात पर भी मंथन होगा कि किस तरह से मानवता की रक्षा की जाए।

इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफडरेशन

इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कंफडरेशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ. धम्मपिय ने बताया कि दुनिया के सामने चल रही कई तरह की समस्याओं पर मंथन किया जाएगा। दुनिया में बढ़ रही कट्टरता पर विचार होगा और बुद्ध के मध्यम मार्ग पर चलकर बैलेंस बनाने की कोशिश की जाएगी। ताकि इन समस्याओं का निष्कर्ष निकाला जा सके। कांफ्रेंस के दौरान मोरल और कल्चरल डिग्रेडेशन, धार्मिक टकराव, भ्रष्टाचार, खाद्य पदार्थों और पानी की कमी, बेरोजगारी, गरीबी, कुपोषण जैसे गंभीर मुद्दों का भी समाधान खोजने की कोशिश की जाएगी।

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साभार- आवाज द वॉयस

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