31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदशों के 38 संस्थानों तक पहुंची विदेशों से आई मदद, जानिए कैसे हो रहा वितरण

कोरोना के खिलाफ भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर 'संपूर्ण सरकार' सिद्धांत के साथ लड़ रही है। देश भर में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के चलते कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। हालांकि, वैश्विक समुदाय ने कोरोना महामारी के खिलाफ इस जंग में भारत के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। कई देशों द्वारा मेडिकल उपकरण, दवाएं, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि दिए जा रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : May 4, 2021 12:02 PM IST / Updated: May 17 2021, 11:11 AM IST

नई दिल्ली. कोरोना के खिलाफ भारत सरकार राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर 'संपूर्ण सरकार' सिद्धांत के साथ लड़ रही है। देश भर में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के चलते कई राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। हालांकि, वैश्विक समुदाय ने कोरोना महामारी के खिलाफ इस जंग में भारत के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है। कई देशों द्वारा मेडिकल उपकरण, दवाएं, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर आदि दिए जा रहे हैं।

भारत सरकार ने मेडिकल और अन्य राहत और सहायता सामग्री के राज्यों में प्रभावी वितरण के लिए एक सुव्यवस्थित और व्यवस्थित तंत्र रखा है। वहीं, इंडियन कस्टम ऑक्सीजन और ऑक्सीजन से संबंधित उपकरणों समेत अन्य मेडिकल उपकरणों की आवश्यकता के प्रति संवेदनशील है। कस्टम द्वारा इस पर 24 x 7 नजर रखी जा रही है। इसी के साथ इन सामानों के आने के तुरंत बाद निकासी के लिए काम हो रहा है। 

 फास्ट ट्रैक आधार पर सामान को जल्द निकालने के लिए उठाए जा रहे ये कदम

- अन्य सामानों की तुलना में इन सामानों को कस्टम संबंधी प्रोसेस में प्राथमिकता दी जा रही है। 
- निगरानी और निकासी के लिए ईमेल पर नोडल अधिकारी भी सतर्क हो जाते हैं।
- कोरोना संबंधी आयातों की मॉनिटरिंग सीनियर अफसरों द्वारा की जा रही है। 
- राज्य सरकार द्वार आयात निशुल्क होने पर या स्वतंत्र रुप से वितरित होने पर प्रमाणीकरण आईजीएसटी भी माफ कर दी गई है। 

राज्यों में कैसे बांटा जा रही विदेशों से मिलने वाली मदद
अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव के तहत मंत्रालय में एक सेल बनाया गया था। यह अनुदान, सहायता और दान के रूप में विदेशी से मिलने वाली मदद की प्राप्ति और आवंटन का समन्वय करता है। यह सेल 26 अप्रैल 2020 से काम कर रहा है। इसमें शिक्षा मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव, विदेश मंत्रालय से दो अतिरिक्त सचिव स्तर के दो अधिकारी, सिविल एविएशन मंत्रालय से आर्थिक सलाहकार,  HLL से तकनीकी सलाहकार, जीएचएस प्रतिनिधि , हेल्थ मिनिस्ट्री  से दो संयुक्त सचिव, आईआरसीएस के अन्य प्रतिनिधि के साथ एक महासचिव। 

भारत में तेजी से बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए अप्रैल के आखिरी हफ्ते से मदद के रूप में मेडिकल उपकरण विदेश मंत्रालय के तहत देश में आने शुरू हुए हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में तात्कालिक और जरूरी आवश्यकताओं की वजह से ये सामग्री देशों द्वारा दी जा रही है। यह सहायता भारत सरकार द्वारा पहले से दी जा रही सहायता से अलग और अतिरिक्त है। 

सभी लंबित मुद्दों को सुलझाने के लिए रोज सुबह 9.30 बजे मीटिंग होती है। इसके अलावा NITI Aayog के सीईओ की अध्यक्षता में पूरे ऑपरेशन की निगरानी करने के लिए विदेश मंत्रालय और हेल्थ मंत्रालय के अफसरों के साथ  उच्च स्तरीय कमेटी बनाई जाती है।

इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी
विदेश मंत्रालय के माध्यम से प्राप्त सभी खेपो और विदेशों से दान के रूप में आने वाले सामान इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी के तहत आते हैं। जरूरी कागजात मिलने पर आईआरसीएस एयरपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी और नियामक मंजूरी के लिए एचएलएल को तुरंत आवश्यक दस्तावेज जारी करता है। देरी कम हो इसके लिए आईआरसीएस स्वास्थ्य मंत्रालय और एचएलएल के साथ संपर्क में रहता है। 

इसके बाद ये सारी मदद विदेश मंत्रालय को सौंप दी जाती है। यहां से इसका वितरण करने के लिए सामान स्वास्थ्य मंत्रालय और गृहमंत्रालय को दिया जाता है। वितरण की व्यवस्था के लिए एक ग्रुप बनाया गया है। इसका अगुआई ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी कर रहे हैं। इन मानदंडों और सिद्धांतों के आधार पर, लगभग 40 लाख सामानों को 24 विभिन्न श्रेणियों के तहत राज्यों में 86 संस्थानों को वितरित किया गया है।

मरीजों को ध्यान में रखकर किया जा रहा वितरण
विदेशों से आने वाली मदद का वितरण  स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं पर भार को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है। पहले कुछ दिनों में, राज्यों को एम्स और अन्य केंद्रीय संस्थानों के माध्यम से कवर किया गया था, जहां कोरोना मरीज ज्यादा थे और वहां आवश्यकता भी अधिक थी। इसके अलावा दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में डीआरडीओ सेंटर्स समेत केंद्रीय सरकारी अस्पतालों को भी मदद पहुंचाई जा रही है। 

उपकरण की प्रमुख श्रेणियों में BiPAP मशीनें, ऑक्सीजन कंसेन्टेटर , पीएसए ऑक्सीजन प्लांट्स, पल्स ऑक्सीमीटर्स, दवाईयां, पीपीई, मास्क शामिल हैं। 

इन 31 राज्यों में भेजी गई मदद, या पहुंचाई जा रही है
आंध्र, असम, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दादरा और नागर हवेली, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, लद्दाख, लक्ष्दीप, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, ओडिशा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु. तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बंगाल, उत्तराखंड। 

इन संस्थानों में भेजे गए उपकरण

दिल्ली- एलएचएमसी, सफदरगंज, आरएमएल, एम्स दिल्ली, डीआरडीओ, दिल्ली के दो अस्पताल, एनआईटीआरडी, आटीबीपी दिल्ली। 

नॉर्थ ईस्ट- NEIGRIHMS शिलॉन्ग, RIMS इम्फाल।

नॉर्थ- एम्स भटिंडा, पीजीआई चंडीगढ़, डीआरडीओ देहरादून, एम्स झज्जर।

ईस्ट- एम्स ऋषिकेस, एम्स रायबरेली, एम्स देओधर, एम्स रायपुर, एम्स भुवनेश्वर, एम्स पटना, डीआरडीओ पटना, एम्स कलयाणी, डीआरडीओ बनारस, डीआरडीओ लखनऊ, पीलीभीत।

वेस्ट- एम्स जोधपुर, डीआरडीओ देहरादून, डीआरडीओ अहमदाबाद, जयपुर। 

सेंट्रल- एम्स भोपाल। 

साउथ- एम्स मंगलागिरी, एम्स बीबीनगर, JIPMER पुडुचेरी। 

केंद्र सरकार और पीएसयू में- CGHS, CRPF, SAIL,रेलवे और आसीएमआर। 

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