ओटीटी कंटेंट प्लेटफार्म्स को रेगुलेट करने के लिए नया बिल सरकार ने लाया, नेटफ्लिक्स, डिज़नी हॉटस्टार जैसे प्लेटफार्म्स के लिए नया कानून

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मसौदा कानून की घोषणा करते हुए कहा कि इस बिल को प्रधानमंत्री के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' और 'ईज ऑफ लिविंग' के दृष्टिकोण के अनुसार लाया जा रहा है।

Dheerendra Gopal | Published : Nov 11, 2023 12:41 PM IST / Updated: Nov 12 2023, 01:07 AM IST

New Bill for OTT content platforms regulations: भारत सरकार ने ओवर द टॉप (ओटीटी) कंटेंट प्लेटफार्म्स को रेगुलेट करने के लिए नया बिल लाया है। नया विधेयक नेटफ्लिक्स, अमेज़न, डिज़नी प्लस हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफार्म्स को रेगुलेट करने के साथ उनके कंटेंट्स का समितियों के माध्यम से मूल्यांकन करने के लिए लाया जा रहा है। बिल पास हो जाने के बाद कंटेंट को इवैल्यूएशन कमेटीस द्वारा मूल्यांकन की शुरूआत की जाएगी।

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मसौदा कानून की घोषणा करते हुए कहा कि इस बिल को प्रधानमंत्री के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' और 'ईज ऑफ लिविंग' के दृष्टिकोण के अनुसार लाया जा रहा है। इससे ब्रॉडकॉस्टिंग सर्विसेस रेगुलेशन बिल को आधुनिक बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और ईज ऑफ लिविंग के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया गया है। हमें ब्रॉडकास्टिंग सर्विस रेगुलेशन बिल पेश ने पर गर्व है। यह महत्वपूर्ण कानून हमारे ब्रॉडकास्टिंग फील्ड की रेगुलेटरी इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाते हुए पुराने अधिनियमों की जगह लेगा।

दंड का भी होगा प्रावधान, जुर्माना से लेकर जेल तक का प्रस्ताव

अनुराग ठाकुर ने बताया कि इस बिल के पास होने के बाद ओटीटी प्लेटफार्म्स पर हो रहे उल्लंघनों पर सरकार को सलाह देने के लिए एक कौंसिल होगी। उन्होंने कहा कि ब्रॉडकास्ट एडवाइजरी काउंसिल विज्ञापन कोड या प्रोग्राम कोड से संबंधित उल्लंघनों पर सरकार को सलाह देगी। प्रत्येक प्रसारक या प्रसारण नेटवर्क ऑपरेटर को विभिन्न सामाजिक समूहों के सदस्यों के साथ एक कंटेंट मूल्यांकन कमेटी (सीईसी) स्थापित करनी होगी।

विधेयक में दंडों का भी प्राविधान होगा। इसके लिए भी ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। नियमों के उल्लंघन के लिए दंड में ऑपरेटर्स या ब्रॉडकास्टर्स के लिए चेतावनी, जुर्माना के अलावा सलाह या निंदा भी शामिल किया गया है। इसके अलावा कानूनी तौर पर गंभीर अपराधों के लिए कारावास या जुर्माना का प्रावधान है।

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