हरियाणा: सिर्फ सत्ता में वापसी ही नहीं, बीजेपी के मिशन 75 प्लस का असली मकसद है ये

चंडीगढ़/ दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है। बीजेपी इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चेहरे के सहारे दोबारा से सत्ता में सिर्फ वापसी ही नहीं करना चाहती है बल्कि विपक्ष का पूरी तरह से सफाया भी करना चाहती है।

चंडीगढ़/ दिल्ली: हरियाणा विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है। बीजेपी इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चेहरे के सहारे दोबारा से सत्ता में सिर्फ वापसी ही नहीं करना चाहती है बल्कि विपक्ष का पूरी तरह से सफाया भी करना चाहती है। इसी के मद्देनजर बीजेपी ने राज्य में मिशन-75 प्लस का टारगेट सेट किया है। बीजेपी हरियाणा को अपना नया गढ़ बनाने के लिए प्रयासरत है।

बीजेपी ने हरियाणा की सियासी जंग को फतह करने और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कई राजनीतिक एजेंडा सेट किए हैं। अनुच्छेद 370, भ्रष्टाचार मुक्त हरियाणा और गैर जाट मतों सहित पांच साल में किए गए विकास कार्यों के इर्द-गिर्द पार्टी अपने चुनावी समीकरण सेट कर रही है।  

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जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म

हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी पाकिस्तान में किए गए बालाकोट एयर स्ट्राइक और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के जरिए राष्ट्रवाद के मुद्दे के साथ सियासी रण में उतरने का फैसला किया है। बीजेपी के छोटे से बड़े नेता अपनी हर जनसभा में इस मुद्दे को जोर शोर से उठा भी रहे हैं। इतना ही नहीं अब बीजेपी इसे घर-घर तक पहुंचान के लिए जन जागरण अभियान की शुरुआत भी करने जा रही है।

दरअसल, सेना में हरियाणा से काफी लोग जाते रहे हैं। राज्य में पूर्व सैनिकों की संख्या भी काफी ज्यादा है। यही वजह है कि कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले पर सहमति जताते नजर आ रहे हैं। जबकि इस मसले पर कांग्रेस मोदी सरकार के तरीके पर सवाल उठाती रही है। जाहिर सी बात है कि राज्य में अनुच्छेद 370 पर होने वाली बहसों का सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा।

गैर-जाट वोट पर बीजेपी की नजर

बीजेपी ने हरियाणा में गैर जाट वोटों को लेकर  रणनीति बनाई है. देखने में आया है कि हरियाणा की 36 जातियों में से 35 जातियों के लोग जाट समुदाय के खिलाफ खड़े रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इसी फॉर्मूले पर बीजेपी ने राज्य में 2014 और 2019 की राजनीतिक लड़ाई में जीत हासिल की। अब एक बार फिर बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर के चेहरे को आगे कर साफ़ संकेत दिया है कि वो गैर जाट वोटों में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखना चाहती है। 

मौजूदा वक्त में जाट मतदाता भूपेद्र सिंह हुड्डा, आईएनएलडी और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के बीच बंटता नजर आ रहा है। इसीलिए बीजेपी ने अपना पूरा फोकस गैर जाट मतों पर लगा दिया है।

खट्टर सरकार की छवि साफ

हरियाणा में पहले की सरकारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन मनोहर लाल खट्टर की सरकार पर अब तक करप्शन का कोई आरोप नहीं लगा है। यही वजह है कि बीजेपी ने एक बार फिर मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। खट्टर ने जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए राज्य की सभी 90 सीटों पर जाकर बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने की कवायद की है।

भ्रष्टाचार मुक्त हरियाणा

भूपेंद्र हुड्डा को कांग्रेस कैंपेन कमेटी का मुखिया बनाने के फैसले से बीजेपी के लिए कांग्रेस को घेरना आसान हो गया है. हुड्डा के खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामलों में जांच चल रही है। उनके खिलाफ एक मामले में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है। बीजेपी के नेता कहते हैं, 'हुड्डा पर भ्रष्टाचार का आरोप है और उनके खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की गई है। वह बेल पर बाहर हैं। चुनाव का नेतृत्व करने का उनके पास नैतिक अधिकार नहीं है।

स्थानीय मुद्दों को भी उठाएगी बीजेपी

बीजेपी हरियाणा के स्थानीय मुद्दों को भी चुनावी एजेंडा में शामिल करेगी। पिछले पांच सालों में केंद्र और राज्य सरकार के द्वार किए गए विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच जाने का फैसला किया। सुशासन, पारदर्शिता और ईमानदार सरकार के नाम पर जनता से वोट मांगेंगे। बीजेपी के नेता कहते हैं कि पहले सिर्फ सीएम के जिले में विकास की परियोजनाएं जाती थीं। अब विकास का काम पूरे राज्य में हो रहा है।

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