नारद घोटाला: चारों नेताओं के 'नजरबंद' आदेश के खिलाफ SC पहुंची CBI, इसलिए HC से सुनवाई टालने की मांग

पश्चिम बंगाल की राजनीति में भूचाल लाने वाले नारद घोटाले को लेकर आज फिर कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। लेकिन CBI ने इसे टालने की मांग की है। CBI इस मामले में गिरफ्तार TMC के तीन और एक पूर्व नेता को नजरबंद(house arrest) करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई है। इधर, TMC नेता कल्याण बनर्जी ने यह मामला CBI को सौंपने पर राज्यपाल को गलत ठहराया है।

कोलकाता, पश्चिम बंगाल. यहां के बहुचर्चित नारद घोटाले में आज फिर कलकत्ता हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। हालांकि CBI ने इसे टालने की मांग की है। CBI इस मामले में गिरफ्तार TMC के तीन और एक पूर्व नेता को नजरबंद(house arrest) करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गई है। बता दें कि इनकी जमानत के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के दो जजों की एक राय नहीं बन पाई थी। ऐसे में इन्हें नजरबंद करने का आदेश दिया गया था। इधर, टीएमसी नेता कल्याण बनर्जी बोले ने कहा है कि राज्यपाल ने नारदा केस सीधे सीबीआई को देकर संविधान का उल्लंघन किया है।

बेल पर बंट गए थे दोनों जज
बता दें कि नारद घोटाले में ममता सरकार के मंत्री फिरहाद हाकिम और सुब्रत मुखर्जी के अलावा विधायक मदन मित्रा व पूर्व TMC नेता सोवन चटर्जी को CBI ने 17 मई को गिरफ्तार किया था। 21 मई को कलकत्ता हाईकोर्ट में आरोपियों की जमानत पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी एकमत नहीं हो सके थे। हालांकि CBI इनकी हिरासत मांग रही है। अरिजीत बनर्जी जमानत के पक्ष में थे, लेकिन राजेश बिंदल इसके खिलाफ। ऐसे में सभी हाउस अरेस्ट(नजर बंद) कर दिए गए थे। बता दें कि इनकी जमानत के अलावा केस दूसरी जगह स्थानांतरित करने के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट में पहले भी लगातार दो दिन सुनवाई टल चुकी है। पहले 19 मई और फिर 20 मई को सुनवाई नहीं हो सकी थी। इसके बाद मंत्री फिरहाद हाकिम और सुब्रत मुखर्जी के अलावा TMC विधायक मदन मित्रा और पूर्व TMC सोवन चटर्जी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। CBI ने इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी पक्ष बनाया है। उन पर धमकी देने का आरोप है। इसके अलावा कानून मंत्री मलय घटक और सांसद व वकील कल्याण बनर्जी को भी पक्ष बनाया है। उधर, TMC ने गिरफ्तारियों को गैर कानूनी बताते हुए CBI के खिलाफ FIR दर्ज करा रखी है।

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ऐसे ही हुई थी गिरफ्तारी और चलता रहा राजनीतिक ड्रामा
CBI ने 17 मई को इन चारों को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने इन्हें जमानत दे दी थी, लेकिन CBI ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, तो जमानत पर रोक लगा दी गई थी। इस पर आरोपियों ने पुनर्विचार की मांग की थी। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई में कलकत्ता हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही थी। 

इससे पहले CBI की ओर से भारत के सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने 17 मई को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ से कहा था कि ममता बनर्जी के जांच एजेंसी के दफ्तर के बाहर धरना देने से परेशानी खड़ी हो गई थी। बता दें कि तृणमूल के समर्थकों ने CBI दफ्तर के बाहर पथराव भी किया था। 

जमानत निरस्त होने के बाद मंत्री सुब्रत मुखर्जी सहित मदन मित्रा और सोवन चटर्जी की कथिततौर पर तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें मंगलवार 18 मई की अलसुबह करीब 3 बजे एसएसकेएम अस्पताल के बुडबर्न ब्लॉक में भर्ती कराना पड़ा था। 

CBI दफ्तर पर हंगामे के बाद ममता पर भी FIR
अपने नेताओं की गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी सीबीआई दफ्तर जा पहुंची थीं। पीछे-पीछे बड़ी संख्या में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता भी आ गए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने लाठी चार्ज करके उन्हें वहां से खदेड़ा। इस हिंसा के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने ममता बनर्जी के खिलाफ FIR दर्ज करा दी। इस मामले में राज्यपाल ने भी ममता सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए पुलिस को नकारा साबित कर दिया। 

मंत्रिमंडल के शपथ के साथ ही विवाद
शपथ ग्रहण से पहले ही राज्य में चौंकाने वाला घटनाक्रम हो गया था। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने नारद घोटाले में 4 नेताओं पर केस चलाने की अनुमति दे दी थी। इस मामले की जांच CBI कर रही है। बता दें कि ये नेता हैं फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी। इस मामले में भाजपा में शामिल होकर ममता बनर्जी को हरा चुके सुवेंदु अधिकारी का नाम भी शामिल था, लेकिन लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी।

यह है नारद घोटाला
2016 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नारद न्यूज के सीईओ मैथ्यु सैमुअल ने एक स्टिंग वीडियो जारी किया था। इसमें वे एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के तत्कालीन 7 सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी को काम कराने के एवज में रिश्वत देते नजर आ रहे थे। इस मामले ने राजनीति भूचाल ला दिया था। सीबीआई बंगाल में हुए शारदा, रोजवैली सहित कई चिटफंड घोटालों की जांच कर रही है, नारद उनमें एक है।

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